ऋषभ पंत ने बताया, क्यों पिता की मौत के बाद भी खेलने की हिम्मत कर पाए
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ऋषभ पंत ने बताया, क्यों पिता की मौत के बाद भी खेलने की हिम्मत कर पाए

आईपीएल के 10वें सीजन में जिस उभरते हुए खिलाड़ी को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वे दिल्ली डेयरडेविल्स के विकेट कीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत हैं. पिता के निधन के बाद शानदार खेल भावना का परिचय दिया उसके बाद हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. उनकी खेल भावना और शानदार प्रदर्शन से हर कोई खुश है. 

ऋषभ पंत ने कहा- पापा चाहते थे कि मैं क्रिकेट खेलूं (PIC : IPL/BCCI)

नई दिल्ली : आईपीएल के 10वें सीजन में जिस उभरते हुए खिलाड़ी को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वे दिल्ली डेयरडेविल्स के विकेट कीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत हैं. पिता के निधन के बाद शानदार खेल भावना का परिचय दिया उसके बाद हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. उनकी खेल भावना और शानदार प्रदर्शन से हर कोई खुश है. 

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19 साल के विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत ने अपने पिता की मौत के बाद भी मैदान पर उतरकर अपनी टीम दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए परफॉर्म किया. खुद ऋषभ ने अब खुलासा किया है कि अपना फर्ज निभाने की ये प्रेरणा उन्हें अपने दिवंगत पिता से ही मिली.

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टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में ऋषभ पंत ने कहा, पापा हमेशा चाहते थे कि मैं क्रिकेट खेलूं. वो हमेशा मुझे बढ़ावा देते थे. मैंने उनकी प्रेरणा से ही क्रिकेट खेलना शुरू किया. इसीलिए उनके जाने के बाद भी मैं मैदान पर उतरा और अपना फर्ज निभाया.

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उनकी बल्लेबाजी देख टीम के बल्लेबाज सैम बिलिंग्स भी हैरान हैं और उन्हें टीम इंडिया के भविष्य के बड़े खिलाड़ी के तौर पर देख रहे हैं. दिल्ली डेयरडेविल्स के सलामी बल्लेबाज और इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ी सैम बिलिंग्स का मानना है कि भारतीय टीम में ऋषभ पंत महेंद्र सिंह धोनी के स्थान की पूर्ति कर सकते हैं.

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ऋषभ पंत आईपीएल 2017 में दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से खेल रहे हैं. हाल ही में ऋषभ पंत के पिता का निधन हो गया था. उनके अंतिम संस्कार के बाद 19 वर्षीय युवा खिलाड़ी ने दिल्ली डेयरडेविल्स टीम का रुख किया था. जहां उन्होंने आरसीबी के खिलाफ सलामी बल्लेबाज़ के रूप में पहला मैच खेला था. वहीँ उन्होंने 36 गेंदों में 57 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली थी. 

सचिन-कोहली के बाद पंत ने भी दिखाई हिम्मत

अपने इस मुश्किल वक्त को याद करते हुए पंत ने कहा, भावनात्मक रूप से ये मेरी जिंदगी की सबसे मुश्किल पारी थी. मैं पूरी तरह टूट चुका था. लेकिन पापा चाहते थे कि मैं क्रिकेट खेलूं. वो चाहते थे कि मैं लंबे वक्त तक भारत के लिए खेलूं. उनकी प्रेरणा से ही मैंने मैदान पर उतरने का फैसला किया.

इस हिम्मती कदम के साथ ही पंत सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली सरीखे साहस की श्रेणी में आ गए हैं. ये दोनों खिलाड़ी भी अपने पिता की मौत के बात मैदान पर उतरकर मिसाल पेश कर चुके हैं.

सचिन-कोहली भी ऐसे ही जीत चुके हैं देश का दिल

ऋषभ पंत के साथ जो हुआ वैसा ही कुछ सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली के साथ भी हुआ था. सचिन और विराट ने भी हिम्मत दिखाते हुए टीम के लिए खेलने का फैसला लिया था. कोहली जब दिल्ली की रणजी टीम का हिस्सा थे तब एक मैच के दौरान उनके पिता का देहांत हो गया था. कोहली पिता के अंतिम संस्कार के बाद मैदान पर उतरे और अपनी टीम के लिए शानदार पारी खेली थी. साल 2006 में अपनी पहली रणजी सीजन में कर्णाटक के खिलाफ मैच के दौरान विराट कोहली के पिता का निधन हो गया था. इसके बावजूद उन्होंने मैच खेला और 90 रन की पारी खेली.

वहीं इंग्लैंड में खेले गए 1999 वर्ल्ड कप के दौरान सचिन के पिता का देहांत हो गया था. सचिन पिता के देहांत के चलते एक मैच नहीं खेल पाए थे लेकिन पिता के अंतिम संस्कार के बाद वह फौरन इंग्लैंड पहुंच गए थे. सचिन ने अगले ही मैच में केन्या के खिलाफ सेंचुरी लगाई थी. देश के लिए खेलना उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान था. शायद यही वजह थी कि वह अपने पिता की मौत के बाद अगले दिन भारत के लिए बल्लेबाजी करने उतरे थे. क्योंकि उनके पिता का ही सपना था कि सचिन देश का नाम रोशन करें. भारतीय टीम टूर्नामेंट से बाहर होने के कगार पर थी ऐसे में सचिन ने देश के लिए खेलने का निर्णय लिया और वापस इंग्लैंड आए. केन्या के खिलाफ अगले मुकाबले में सचिन ने पिता की मौत का दर्द झेलने के बावजूद 140 रनों की पारी खेलते हुए भारत को टूर्नामेंट की पहली जीत दिलाई.

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