मेरे पुतले से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी : मिल्खा सिंह
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मेरे पुतले से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी : मिल्खा सिंह

मिल्खा सिंह के पुतले को एक दिसंबर से दिल्ली में खुल रहे मैडम तुसाद मोम संग्रहालय में लगाया जाएगा. संग्रहालय के खेल क्षेत्र में लगने वाले पुतले में मिल्खा सिंह दौड़ते हुए दिखेंगे.

मिल्खा सिंह ने अपने मोम के पुतले का अनावरण किया (File Photo)

\नई दिल्ली : 'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर पूर्व एथलीट मिल्खा सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में दिसम्बर से खुलने वाले मैडम तुसाद संग्रहालय में रखे जाने वाले अपने मोम के पुतले का अनावरण किया. इस दिग्गज धावक का मोम का पुतला मैडम तुसाद संग्रहालय के खेल जोन में देखा जा सकेगा. यहां उनके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ियों के मोम के पुतले होंगे.  मैडम तुसाद संग्राहलय के प्रवक्ता ने कहा, "यह पुतला यहां आने वाले लोगों को 1958 के पलों को दोबारा जीने का मौका देगा, जब उन्होंने (मिल्खा सिंह) अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था."

  1. 1958 में मिल्खा सिंह ने पहला स्वर्ण पदक जीता था 
  2. इस पुतले में मिल्खा सिंह दौड़ते हुए दिखेंगे 
  3. रोम ओलंपिक 1960 में बहुत थोड़े से अंतर से पदक चूके थे

मिल्खा सिंह के पुतले को एक दिसंबर से दिल्ली में खुल रहे मैडम तुसाद मोम संग्रहालय में लगाया जाएगा. संग्रहालय के खेल क्षेत्र में लगने वाले पुतले में मिल्खा सिंह दौड़ते हुए दिखेंगे.

उन्होंने बताया, "मिल्खा का पुतला 300 नापों और फोटो के द्वारा मैडम तुसाद के बेहद योग्य कलाकारों द्वारा बनाया गया है. यह पुतला उनके दौड़ने के पोज में है. यह पोज राष्ट्रमंडल खेल-1958 में जीत की है. इसे देखने वाले काफी प्रसन्न होंगे और उस गर्व के पल में चले जाएंगे."

मिल्खा ने इस मौके पर कहा, "मैं इस सम्मान को पा कर काफी खुश हूं. अपना पुतला दिल्ली में महान खिलाड़ियों के साथ देखना मेरे लिए गर्व की बात होगी." उन्होंने कहा, "मैं मैडम तुसाद संग्रहालय को इस सृजन के लिए धन्यवाद देता हूं और उनके प्रयास का सम्मान करता हूं." लंदन से शुरू हुए मैडम तुसाद संग्रहालय के कई देशों में केंद्र हैं. 

फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर 85 वर्ष के मिल्खा सिंह ने कहा, ‘‘ यह बड़ी बात हैं. मिल्खा सिंह शायद दो वर्ष और जिंदा रहे, लेकिन मेरे निधन के बाद भी यह पुतला लोगों को प्रेरित करेगा.’’ रोम ओलंपिक (1960) में बहुत थोड़े से अंतर से पदक चूकने वाले मिल्खा अपने मोम का पुतला बनने से भावुक है.

उन्होंने कहा, ‘‘मिल्खा सिंह अपने जीवन के आखिरी दिनों में है. जिस तरह मिट्टी का दिया बुझने से पहले सबसे ज्यादा प्रकाश करता है, उसी तरह उम्र के इस पड़ाव में मिले इस सम्मान ने मेरे दिल को छू लिया.’’

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