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नई दिल्ली: दुनिया के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच को Australian Open Tournament में बिना वैक्सीन लगवाए खेलने की इजाजत मिल गई है. वो चार दिन तक Detention Centre में रहने के बाद कल (सोमवार को) टेनिस कोर्ट में नजर आए. इस टेनिस कोर्ट में पहुंचने के लिए उन्हें असली कोर्ट में जाकर कानून लड़ाई लड़नी पड़ी. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या ये उन लाखों लोगों के साथ नाइंसाफी नहीं है, जो ऑस्ट्रेलिया में लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार से कई महीनों तक नहीं मिल पाए थे.
ये ऑस्ट्रेलिया के वो लोग हैं, जो कई महीनों तक अपने घर और परिवार से दूर रहे क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ऐलान किया था कि जब तक कोई व्यक्ति वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगवा लेता तब तक उसे ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी. फिर चाहे वो व्यक्ति ऑस्ट्रेलिया का नागरिक ही क्यों ना हो?
इस सख्ती की वजह से ऑस्ट्रेलिया के लाखों नागरिकों को कई कुर्बानियां देनी पड़ीं और जब लंबे संघर्ष के बाद वो अपने देश वापस लौटे तो उनके लिए ये पल भावुक कर देने वाला था. लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया और वहां की अदालत ने इन लाखों लोगों के साथ एक बहुत बड़ा मजाक किया है. और कहीं ना कहीं ये बताने की कोशिश की है कि अगर आप आम इंसान हैं, आपके पास पैसा और पावर नहीं है तो आपको तो सरकार द्वारा बनाए गए सभी नियमों का ईमानदारी से पालन करना होगा. लेकिन अगर इन्हीं लोगों की जगह नोवाक जोकोविच जैसा कोई बड़ा खिलाड़ी है तो उन पर ये नियम लागू नहीं होंगे क्योंकि पूरी दुनिया में उनकी पहचान और रुतबा है.
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नोवाक जोकोविच ने ऑस्ट्रेलिया सरकार के खिलाफ वहां की अदालत में केस जीत लिया है. ये केस Tennis के चार Grand Slam में से एक Australian Open में खेलने को लेकर था. नियमों के मुताबिक, नोवाक जोकोविच ने वैक्सीन नहीं लगवाई है, इसलिए वो इसमें शामिल नहीं हो सकते थे. लेकिन एक Medical Expert Panel की सिफारिश पर Tennis Australia ने जोकोविच के मामले को अपवाद मानते हुए उन्हें Australian Open में खेलने की अनुमति दे दी और उनके लिए सारे नियम हटा लिए गए.
हालांकि जोकोविच जब 5 जनवरी को Melbourne की फ्लाइट में थे, उसी दौरान सरकार की आलोचना होने पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Scott Morrison ने ऐलान किया कि नियम सबके लिए बराबर होंगे और जोकोविच को Melbourne पहुंचने पर अपने मेडिकल दस्तावेज को सही साबित करना होगा. जब वो ऐसा नहीं कर पाए तो उन्हें 6 जनवरी को Immigration Detention Centre भेज दिया गया और तब से लेकर सोमवार तक वो वहीं थे.
ऑस्ट्रेलिया की अदालत ने जोकोविच के पक्ष में फैसला देने के पीछे दो कारण दिए हैं. पहला कारण तो ये है कि जिस दिन वो Melbourne एयरपोर्ट पहुंचे थे, उस दिन उन्हें अपना जवाब देने के लिए पूरा समय नहीं दिया गया. इसलिए कोर्ट को लगता है कि जोकोविच के साथ ज्यादती हुई. और दूसरा अदालत ने माना है कि जोकोविच को दिसंबर महीने में कोरोना हुआ था और Tennis Australia के नियमों के मुताबिक अगर 6 महीने के अंदर किसी खिलाड़ी को संक्रमण हुआ हो तो वो इस Tournament में हिस्सा ले सकता है.
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हालांकि जोकोविच पर झूठ बोलने के भी आरोप लग रहे हैं. उनका कहना है कि वो 16 दिसंबर को कोरोना से संक्रमित हुए थे. जबकि 17 दिसंबर को उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिसमें वो Serbia सरकार के एक कार्यक्रम में मौजूद थे. इससे ऐसा लगता है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की अदालत में झूठ बोला. लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऑस्ट्रेलिया की अदालत ने इसे आसानी से स्वीकार भी कर लिया.
ऑस्ट्रेलिया की सरकार और वहां की अदालत ने ये रुख उन लाखों लोगों के लिए कभी नहीं दिखाया, जो इसी देश के नागरिक थे लेकिन वैक्सीन नहीं लगवाने की वजह से उन्हें महीनों तक ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश तक नहीं दिया गया. दुनियाभर में जो लोग लॉकडाउन और सरकारी नियमों का पालन कर रहे हैं, जिनकी रोजमर्रा की जिंदगी अब पूरी तरह बदल चुकी है, जो बीमारी में अपने माता-पिता को नहीं देख पाए. अपनों के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके. ये फैसला उन सभी लोगों के लिए एक भद्दा मजाक है. ऑस्ट्रेलिया ने आज ये बताया है कि नियम दो तरह के होते हैं. आम लोगों के लिए अलग और बड़ी हस्तियों के अलग.
ऑस्ट्रेलिया और वहां की राजनीति को छोड़ भी दें, तब भी इस मामले में कई नैतिक प्रश्न खड़े होते हैं. नोवाक जोकोविच दुनिया में टेनिस के नंबर एक खिलाड़ी हैं. वो Tennis की दुनिया में Greatest Of All Time बनने से सिर्फ एक Grand Slam दूर हैं. दुनियाभर में करोड़ों युवा उन्हें अपनी प्रेरणा मानते हैं. वो उनके लिए Role Model हैं. लेकिन इसके बावजूद वो एक गलत उदाहरण पेश करते हैं. आज दुनियाभर में जो उनके Fans हैं, जिन्होंने कोविड को हराने के लिए वैक्सीन लगवाई है, उन्हें जोकोविच के रवैये से निराशा हुई है.
इस समय जोकोविच को पूरी दुनिया में Anti Vaxxer के तौर पर देखा जा रहा है. उनका कहना है कि उन्हें अपने शरीर में किसी वैक्सीन को प्रवेश करने देने के लिए ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता इसलिए वो वैक्सीन नहीं लगवाएंगे. और शायद इसीलिए आज दुनियाभर के Anti Vaxxers उनका समर्थन कर रहे हैं और आज जब कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, तब इन लोगों ने सुनवाई को लाइव देखा.
ये सब देख कर ऐसा लगता है कि जैसे खेल अब खेल ना रह कर एक व्यापार बन गया है. अब इसमें Sportsman Spirit नहीं देखी जाती, बल्कि ये देखा जाता है कि कौन सा खिलाड़ी, पैसों का स्कोर बढ़ा सकता है? किसके नाम पर ज्यादा Sponsors आ सकते हैं? किस खिलाड़ी के खेलने से उस प्रतियोगिता की Viewership बढ़ सकती है और कितना मुनाफा हो सकता है. नोवाक जोकोविच ने इसी तरह से व्यवहार किया. इस मामले में एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि वो दुनिया के एक महान खिलाड़ी हैं. बल्कि ऐसा ही प्रतीत हुआ कि वो एक ऐसे सेलिब्रिटी की भूमिका में हैं, जो आखिर में यही देखता है कि उसे किस Event से कितना फायदा होगा?
वर्ना सोचिए, ऑस्ट्रेलिया नोवाक जोकोविच को तो सारे नियमों से छूट दे देता है लेकिन भारत के 17 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी अमन दहिया को ये छूट नहीं मिलती. अमन दहिया को Australian Open Junior में Qualify करने के बावजूद ये कह कर इस Tournament से बाहर कर दिया गया कि वो Vaccinated नहीं है. ऐसा नहीं है कि अमन दहिया ने जोकोविच की तरह जानबूझकर वैक्सीन नहीं लगवाई. वो 17 साल के हैं और भारत में 15 से 18 साल के युवाओं को वैक्सीन 3 जनवरी से लगनी शुरू हुई है. और इसी वजह से वो चाह कर भी 15 दिनों में अपनी दोनों डोज नहीं लगवा सकते थे.
लेकिन इसके बावजूद अमन दहिया को ऑस्ट्रेलिया ने प्रतियोगिता से बाहर कर दिया. और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जोकोविच की तरह उनके नाम पर बड़े-बड़े Sponsors नहीं आ सकते, वो पैसा नहीं ला सकते और Viewership नहीं बढ़ा सकते. वो केवल अच्छा खेल सकते हैं और शायद आज के जमाने में खुद को साबित करने के लिए इतना ही काफी नहीं है.