इस मैच में सलामी बल्लेबाज संजू सैमसन ने ऐसा शानदार कैच पकड़ा कि सभी के जेहन में जॉन्टी रोड्स की यादें ताजा हो गई. संजू ने ये शानदार कैच भी जॉन्टी रोड्स की सरजमीं पर लपका है.
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प्रिटोरिया : शानदार फार्म में चल रहे मनीष पांडे की नाबाद 93 रन की कप्तानी पारी से भारत (ए) ने त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट सीरीज के एक करीबी मैच में आज यहां मेजबान दक्षिण अफ्रीका को एक विकेट से हराकर फाइनल से पहले मनोबल बढ़ाने वाली जीत दर्ज की. भारत के सामने जीत के लिए 267 रन का लक्ष्य था लेकिन उसकी शुरूआत अच्छी नहीं रही और उसके चोटी के तीन बल्लेबाज 70 रन तक पवेलियन लौट गए. पांडे ने यहीं से जिम्मेदारी संभाली और नाबाद 85 गेंदों पर पांच चौकों और दो छक्कों की मदद से 93 रन बनाए, जिससे भारतीय टीम 49.4 ओवर में नौ विकेट पर 267 रन बनाकर जीत दर्ज करने में सफल रही. पांडे के अलावा सलामी बल्लेबाज संजू सैमसन ने 68 रन और कृणाल पांड्या ने 25 रन का योगदान दिया.
VIDEO : शतक से सनसनी मचाने वाले संजू सैमसन ने हवा में उड़कर रोका छक्का
इस मैच में सलामी बल्लेबाज संजू सैमसन ने ऐसा शानदार कैच पकड़ा कि सभी के जेहन में जॉन्टी रोड्स की यादें ताजा हो गई. संजू ने ये शानदार कैच भी जॉन्टी रोड्स की सरजमीं पर लपका है, इसलिए ये और भी खास है. दरअसल, जॉन्टी रोड्स ने अपनी फील्डिंग के कारण क्रिकेट में पहचान बनाई और अपना नाम क्रिकेट के इतिहास में दर्ज करवाया.
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साउथ अफ्रीकी की पारी के 25वें ओवर में युजवेंद्र चहल ने बल्लेबाज ड्वेन प्रीटोरियस को गेंद फेंकी. इस गेंद को प्रीटोरियस शानदार शॉट खेला, लेकिन संजू सैमसन ने उल्टी दौड़ लगाते हुए बाउंड्री के पास ऐसा शानदार कैच लपका कि बल्लेबाज को पवेलियहन लौटना ही पड़ा. संजू सैमसन की इस कैच को क्रिकेट जगत की सबसे शानदार कैचों में से एक माना जा रहा है. अगर आपने भी ये कैच नहीं देखी, तो वाकई में आपने बहुत कुछ मिस कर दिया है.
Sanju Samson with the catch of the Series so far!!#SaAvIndA pic.twitter.com/MQmwQ8WLN1
— Abhay Chaudhary (@ImAbhay03) August 3, 2017
बिना प्लेइंग इलेवन में शामिल हुए बने 'मैन ऑफ द मैच'
1993 में जब दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर जॉन्टी रोड्स को वेस्ट इंडीज के खिलाफ मैच में टीम के प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन इस मैच में जॉन्टी रोड्स ने फील्डिंग में जोरदार शानदार प्रदर्शन किया और 'मैन ऑफ द मैच' के अवार्ड अपने नाम किया था.
दक्षिण अफ्रीका की तरफ से कार्ल जूनियर डाला और तबरेज शम्सी ने तीन. तीन विकेट लिए. भारत की यह चार मैचों में तीसरी जीत है, जबकि दक्षिण अफ्रीका को तीन मैचों में पहली हार झेलनी पड़ी. ये दोनों टीमें पहले ही फाइनल में अपनी जगह सुरक्षित कर चुकी हैं. फाइनल आठ अगस्त को खेला जाएगा.
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जॉन्टी रोड्स ने ये कारनामा एक नही, दो बार किया है. पहले मैच में साउथ अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 40 ओवर में 180 रन बनाए और वेस्टइंडीज के शानदार बैटिंग लाइनअप को देखकर साउथ अफ्रीका की हार तय मानी जा रही थी. इसी बीच डेरेल कुलीनन चोटिल हो गए और जॉन्टी रोड्स को मैदान में लाया गया. उसके बाद जॉन्टी रोड्स ने करिश्माई फील्डिंग करते हुए वेस्टइंडीज के 5 प्लेयर्स को पवेलियन भेज दिया. साउथ अफ्रीका ने यह मैच 41 रन से मैच जीत गई थी और जॉन्टी रोड्स को 'मैन ऑफ द मैच' से नवाजा गया था.
ऐसा रहा मैच का रोमांच
दक्षिण अफ्रीका (ए) की टीम पहले बल्लेबाजी का न्यौता मिलने पर 48.2 ओवर में 266 रन बनाकर आउट हो गई थी. उसकी पारी का आकर्षण विकेटकीपर बल्लेबाज हेनरिच क्लासेन (127) का शतक रहा. निचले क्रम के बल्लेबाज विलियम ने 66 रन की पारी खेली. भारत की तरफ से शार्दुल ठाकुर ने 35 रन देकर चार और सिद्धार्थ कौल ने 41 रन देकर तीन विकेट लिए.
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भारत की शुरूआत अच्छी नहीं रही और उसने श्रेयस अय्यर (नौ), विजय शंकर (शून्य) और ऋषभ पंत (20) के विकेट जल्दी गंवा दिये. इसके बाद भी एक छोर से विकेट गिरते रहे लेकिन पांडे ने दूसरा छोर संभाले रखा. पहले सैमसन और बाद में यजुवेंद्र चहल (17) ने कुछ देर तक उनका साथ दिया. पंड्या ने 15 गेंदों पर तीन चौकों और एक छक्के की मदद से 25 रन बनाये लेकिन चार गेंद के अंदर दो विकेट गंवाने से स्कोर नौ विकेट पर 263 रन हो गया. पांडे ने ऐसे में दो रन लेकर स्कोर बराबर किया जबकि मोहम्मद सिराज (नाबाद दो) ने विजयी रन बनाया. पांडे को 'मैन आफ द मैच' चुना गया.
इस मुकाबले में संजू सैमसन ने अपने बल्ले के साथ-साथ फील्डिंग में भी शानदार प्रदर्शन किया है. 90 गेंदों पर शानदार 68 रनों के अलावा फील्डिंग के दौरान संजू एक ऐसा कैच लपका जिसकी चर्चा पूरे पूरे क्रिकेट जगत में हो रही है.
कौन हैं संजू सैमसन?
संजू का जन्म 11 नंवबर 1994 को केरल में तिरुवनन्तपुरम के पुलुविला में हुआ था. संजू एक शानदार विकेटकीपर भी हैं. उन्हें केरल का एक उभरता हुआ चेहरा माना जा रहा है. संजू बैटिंग और विकेट कीपिंग दोनों में तकनीकी रूप से बढ़िया माने जाते हैं. संजू की फर्स्ट क्लास क्रिकेट में एंट्री 17 साल की उम्र में केरल के लिए विदर्भ के खिलाफ हुई थी.
संजू ने अपना प्रभाव तभी दिखा दिया था. केरल के लिए खेलते हुए संजू ने दो शतक और एक अर्द्धशतक मारे थे. 2012 में संजू को कोलकाता नाइट राइडर्स में जगह मिली पर उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था. 2013 में जब संजू राजस्थान रॉयल्स के लिए खेले तो उन्होंने अप्रत्याशित प्रदर्शन किया.