जहीर खान को आलातरीन गेंदबाज के रूप में याद रखेगा भारत
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जहीर खान को आलातरीन गेंदबाज के रूप में याद रखेगा भारत

भारतीय क्रिकेट के इतिहास में बहुत कम तेज गेंदबाजों का इस कला पर उतना नियंत्रण रहा है जितना जहीर खान का और वह भारत के सबसे आलातरीन गेंदबाजों में से एक के रूप में याद रखे जायेंगे।

जहीर खान को आलातरीन गेंदबाज के रूप में याद रखेगा भारत

नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट के इतिहास में बहुत कम तेज गेंदबाजों का इस कला पर उतना नियंत्रण रहा है जितना जहीर खान का और वह भारत के सबसे आलातरीन गेंदबाजों में से एक के रूप में याद रखे जायेंगे।

आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले जहीर ने 92 टेस्ट में 311 विकेट लिये और 200 वनडे में 282 विकेट चटकाये। वह सभी हालात में विकेट लेने में सक्षम तेज गेंदबाज और मैच विनर थे। पिछले चार साल में चोटों के कारण उनका कैरियर बाधित रहा जिसमें वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और आईपीएल नहीं खेल सके। 

37 साल के जहीर को भारत का अपना ‘वसीम अकरम’ कहा जा सकता है जो रिवर्स स्विंग की बाजीगरी में भले ही उनके समकक्ष ना हो लेकिन प्रभावी कम नहीं रहे। मनोज प्रभाकर भारत में रिवर्स स्विंग का हुनर लेकर आये और जहीर उसे उच्च स्तर तक ले गए। जहीर ने भारतीय गेंदबाजों को यकीन दिलाया कि रिवर्स स्विंग की कला सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है।

महाराष्ट्र के छोटे से शहर श्रीरामपुर के इस तेज गेंदबाज के करियर को तीन चरण में देखा जा सकता है। पहले चरण में उन्होंने 2000 में नैरोबी में मिनी विश्व कप में कैरियर का आगाज किया। सौरव गांगुली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। दूसरे चरण में वह ऐसे गेंदबाज के रूप में उभरे जिसे पता था कि गेंद कैसे डालनी है। उन्होंने अपना रनअप छोटा किया और उपमहाद्वीप के हालात में पुरानी गेंद के महारती हो गए।

यह दौर वह है जब भारत ने इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला जीती थी, आस्ट्रेलिया को अपनी धरती पर हराया और विश्व कप जिसमें जहीर ने 21 विकेट लिये थे। तीसरा चरण निराशाजनक रहा जिसकी शुरूआत लार्ड्स पर इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के पहले दिन पहले सत्र में हैमस्ट्रिंग चोट के साथ हुई। जहीर का ऑपरेशन हुआ और उसके बाद वह पुरानी लय हासिल नहीं कर सके। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट फरवरी 2014 में वेलिंगटन में खेला और तभी उनके करियर ग्राफ में गिरावट आनी शुरू हो गई थी।

जहीर खान का भारतीय टीम में पदार्पण तब हुआ जब जवागल श्रीनाथ का करियर ढलान पर था। उनके करियर के शुरूआती चरण के यादगार विकेटों में दूसरे वनडे में स्टीव वॉ का विकेट था जो उनके खतरनाक यार्कर पर बोल्ड हुए थे। गांगुली को जहीर के रूप में एक बेहद भरोसेमंद तेज गेंदबाज मिल गया। उसी दौर में वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह और आशीष नेहरा भी भारतीय क्रिकेट में उभर रहे थे। इन सभी ने मिलकर गांगुली की अगुवाई में भारतीय टीम को विश्व विजेताओं वाले तेवर दिये। 

नेटवेस्ट ट्राफी जीती, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया में टेस्ट श्रृंखलायें ड्रा कराई, पाकिस्तान में जीते और विश्व कप 2003 के फाइनल तक पहुंचे। ग्रेग चैपल के कोच रहते दो साल जहीर के करियर का सबसे खराब दौर रहा। चैपल ने उनसे कह दिया था कि उन्हें टीम से निकाला जा सकता है। उनकी फिटनेस और प्रदर्शन में गिरावट आने लगी। वह काउंटी क्रिकेट खेलने गए और वोर्सेस्टरशर के साथ अच्छा प्रदर्शन किया। इसकी बदौलत 2006 के आखिर में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिये वापसी की।
 
इंग्लैंड के 2007 के दौरे पर उन्होंने तीन टेस्ट में 18 विकेट लिये। आखिरी मैच में उन्होंने नौ विकेट लिये जिसे ‘जैली बीन टेस्ट’ भी कहा गया क्योंकि इंग्लैंड के खिलाड़ियों पर पिच के करीब कैंडीज फेंकने का आरोप लगा जब जहीर बल्लेबाजी कर रहे थे। दूसरी पारी में जहीर ने पांच विकेट लिये। राहुल द्रविड़ की अगुवाई में भारत ने 21 बरस बाद इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला जीती।

जहीर को कभी छींटाकशी की जरूरत नहीं पड़ी। वह बल्लेबाज को घूरकर देखते और उनकी कातिलाना मुस्कुराहट ही उसके हौसले खत्म करने के लिये काफी थी। वह करियर के आखिरी दौर में आरपी सिंह, एस श्रीसंत, प्रवीण कुमार, मुनाफ पटेल जैसे गेंदबाजों के मेंटर रहे। महेंद्र सिंह धोनी ने 2011 विश्व कप में उनका बखूबी इस्तेमाल किया और टूर्नामेंट में उन्होंने 21 विकेट चटकाये। इंग्लैंड के खिलाफ भारत का मैच टाई रहा तो सिर्फ जहीर की वजह से। वह अगले साल आईपीएल खेलेंगे लेकिन उनके प्रशंसक उन्हें सफेद जर्सी में रिवर्स स्विंग की जादूगरी दिखाने वाले भारतीय तेज गेंदबाज के रूप में ही याद रखना चाहेंगे।

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