US Ban on Chinese Comapnies: अमेरिका और चीन के बीच सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी को लेकर तनाव बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका चीन की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर तीसरी बार प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
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अमेरिका और चीन के बीच सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी को लेकर तनाव बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका चीन की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर तीसरी बार प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है. नए नियम सोमवार को घोषित हो सकते हैं. इनसे चिप उपकरण निर्माता नौरा टेक्नोलॉजी ग्रुप समेत 140 से ज्यादा चीनी कंपनियां प्रभावित होंगी. साथ ही अमेरिका एडवांस टेक्नोलॉजी के एक्सपोर्ट पर कड़े कंट्रोल लगाएगा.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दो सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिका का यह कदम चीन की एडवांस चिप्स डेवलप करने की क्षमता को कमजोर करने के लिए है.
अमेरिका क्यों लगा रहा है तीसरी बार प्रतिबंध?
अमेरिका को लगता है कि चीन एडवांस चिप्स का इस्तेमाल अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कर सकता है. इसलिए अमेरिका चीन की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और सैन्य कामों में इस्तेमाल होने वाले चिप्स तक पहुंच और उत्पादन को रोकने के लिए कई कदम उठा रहा है. ये चिप्स अमेरिका के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा माने जाते हैं.
नए नियमों से किन चीजों पर लगेगा बैन
रिपोर्ट के मुताबिक ये नए प्रतिबंध चीन के सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के कई पहलुओं को प्रभावित करेंगे, जिनमें शामिल हैं:
चीनी कंपनियों पर एक्सपोर्ट कंट्रोल - 140 से ज्यादा चीनी कंपनियों पर नए एक्सपोर्ट कंट्रोल लगाए जाएंगे, जिससे उनकी अमेरिकी टेक्नोलॉजी और उपकरणों तक एक्सेस सीमित हो जाएगा.
एडवांस मेमोरी चिप प्रतिबंध - एआई प्रशिक्षण के लिए महत्वपूर्ण हाई बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) चिप्स के शिपमेंट पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.
अमेरिका चीन में खास चिप कारखानों के लिए अन्य देशों में अमेरिकी, जापानी और डच कंपनियों द्वारा बनाए गए चिपमेकिंग उपकरण के निर्यात को कंट्रोल करने के अपने अधिकार का विस्तार करेगा. यह नियम चीन के एडवांस चिपमेकिंग लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली 16 चीनी कंपनियों पर लागू होगा.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इन उपायों का असर लैम रिसर्च, केएलए और एप्लाइड मटेरियल्स जैसी प्रमुख अमेरिकी चिप उपकरण निर्माताओं के साथ-साथ एएसएमएल जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर भी पड़ेगा.
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बैन से क्या छूट है?
रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल, मलेशिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ताइवान में बने उपकरण नए नियम के दायरे में आएंगे, जबकि जापान और नीदरलैंड इससे बाहर रहेंगे. एक्सपैंडेड फॉरेन डायरेक्ट प्रोडक्ट रूल 16 कंपनियों पर लागू होगा, जिन्हें चीन की सबसे एडवांस्ड चिपमेकिंग के लिए सबसे जरूरी माना जाता है.
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चीन का क्या कहना है?
चीन ने अमेरिका की कार्रवाइयों का कड़ा विरोध किया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि इस तरह के व्यवहार से इंटरनेशनल इकोनॉमिक ट्रेड ऑर्डर कमजोर होता है और ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होती है. उन्होंने कहा कि चीन अपनी कंपनियों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगा.