उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा पर सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने संभल पर एक बार फिर भड़काऊ बयान दिया है तो एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) भी इसमें पीछे नहीं है.
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Asaduddin Owaisi on Sambhal: संभल हिंसा पर सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है और इस बीच भड़काऊ बयान देने वालों पर भी कोई रोक नहीं है. कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने संभल पर एक बार फिर भड़काऊ बयान दिया है तो असदुद्दीन ओवैसी भी इसमें पीछे नहीं है. ओवैसी ने संभल की मस्जिद में सर्वे पर सवाल उठाया और बीजेपी के अलावा आरएसएस पर निशाना साधते हुए भड़काऊ बयान दे दिया. इस बीच उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा की जांच अब तेज हो गई है. तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की टीम संभल पहुंची और हिंसाग्रस्त इलाकों का जायजा लिया. न्यायिक आयोग की टीम संभल के उस इलाके में पहुंची जहां पत्थरबाजी और हिंसा हुई थी. टीम ने उन गलियों में बारीकी से पड़ताल की और पुलिस प्रशासन से पूरा अपडेट लिया कि कब और कैसे हिंसा भड़की.
मस्जिद के नाम पर शहीद होने के लिए मुस्लिम तैयार...
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि जामा मस्जिद के नाम पर शहीद होने के लिए पूरी मुस्लिम कौम तैयार है. इसके साथ ही सपा विधायक नवाब इकबाल महमूद ने भी भड़काऊ बयान दिया है और कहा है कि जामा मस्जिद के नाम पर शहीद होने के लिए पूरी मुस्लिम कौम तैयार है.
RSS ने लोगों को एक ही काम पर लगाया: ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन औवेसी (Asaduddin Owaisi) ने मालेगांव में भड़काऊ बयान दिया है और कहा कि मोदी, बीजेपी और आरएसएस (RSS) ने लोगों को एक ही काम में लगा दिया है. उन्होंने कहा कि आरएसएस ने लोगों को मस्जिदों में गड्ढा खोदने पर लगाया है. संभल की मस्जिद कोई मसला नहीं है. मुस्लिम मस्जिद और वक्फ के लिए मरने को तैयार हैं. ओवैसी ने कहा, 'डेढ़ घंटे में ऑर्डर लेकर आ गए और वहां पुलिस मौजूद है. शाम में 6 बजे सर्वे होता है. फिर उसके बाद रविवार को सर्वे होता है और फिर जब दूसरा सर्वे, जिसका कानूनी मतलब नहीं है उसमें फायरिंग हुई. इसमें 5 लोग शहीद हो गए. इसमें खिलौने बेचने वाला एक 17 साल के बच्चे के सीने पर गोली लगी. 5 में से 4 के सीने और एक के सीने पर गोली लगी.'
RSS को लेकर ओवैसी ने क्यों कहा - 'मैं जान दे दूंगा'#RSS #Owaisi #SambhalMasjid | #ZeeNews @Chandans_live@_poojaLive pic.twitter.com/epZtiNaEfS
— Zee News (@ZeeNews) December 2, 2024
संभल मस्जिद के सर्वे पर ओवैसी ने उठाए सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश के संभल में मुगल कालीन मस्जिद को लेकर दायर याचिका में प्रवेश के अधिकार का अनुरोध किया गया था तो वहां की अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया? सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि जो देश महंगाई, बेरोजगारी, किसान आत्महत्या और अन्य मुद्दों का सामना कर रहा है, वहां इस तरह (मस्जिद के संदर्भ में) के मुद्दे देश को कमजोर करते हैं.
संभल की घटना पर छत्रपति संभाजीनगर में ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा, 'हम याचिका को पढ़ें तो पता चलेगा कि इसमें (मस्जिद में) प्रवेश के लिए अधिकार प्रदान करने का अनुरोध किया गया था. अगर ऐसा है तो अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया और यह आदेश अनुचित है. अगर उन्हें प्रवेश करना है तो मस्जिद में जाने और बैठने से कौन रोकता है?' उन्होंने सवाल उठाया, 'अगर उपासना स्थल अधिनियम के अनुसार, किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति को बदला नहीं जा सकता है तो फिर सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया गया?'
24 नवंबर को संभल में भड़क गई थी हिंसा
संभल के दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिविजन) की एक अदालत ने 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करने के बाद ‘एडवोकेट कमिश्नर’ से शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश पारित किया. इस याचिका में दावा किया गया है कि मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में मस्जिद का निर्माण एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया था. मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की एक अधीनस्थ अदालत को शाही जामा मस्जिद और चंदौसी में इसके सर्वेक्षण से संबंधित मामले की सुनवाई रोकने का आदेश दिया, साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया.
बुद्ध और जैन समुदाय के लोग भी कर सकते हैं दावा...
हाल ही में एक अदालत ने राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह को मंदिर घोषित करने के अनुरोध वाली याचिका को स्वीकार किया है. कई विपक्षी नेताओं ने अजमेर दरगाह को लेकर विवाद पर गंभीर चिंता जताई है. अजमेर में दरगाह पर दावों के बारे में पूछे जाने पर ओवैसी ने कहा कि दरगाह 800 साल से मौजूद है और (सूफी कवि) अमीर खुसरो ने भी अपनी किताब में इस दरगाह का जिक्र किया है. उन्होंने कहा, 'अब वे कहते हैं कि यह दरगाह नहीं है. अगर ऐसा है तो यह मामला कहां जाकर रुकेगा? यहां तक कि प्रधानमंत्री भी ‘उर्स’ के दौरान इस दरगाह पर चादर भेजते हैं. मोदी सरकार जब हर साल चादर भेजती है, तो वह क्या कहेगी?' ओवैसी ने कहा, 'अगर बुद्ध और जैन समुदाय के लोग (इस तरह से) अदालत जाते हैं तो वे भी (कुछ) स्थानों पर दावा करेंगे. इसलिए 1991 में एक कानून लाया गया था कि किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति में बदलाव नहीं किया जाएगा और यह वैसा ही रहेगा जैसा 15 अगस्त 1947 को था.'