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नई दिल्ली: आज की शौकीन दुनिया में एप्पल के मोबाइल (Apple iPhone) यूज करना भी काफी लोगों के लिए जुनून की तरह है. यह काफी महंगी डिवाइस है. अपने खास प्रोडक्ट्स के चलते कंपनी ने मोबाइल, कंप्यूटर से जुड़े टेक के मार्केट में काफी नाम कमाया है. कंपनी का नाम जितना अनोखा है उससे ज्यादा अनोखा इसका लोगो (Apple logo) है.
दरअसल इस कंपनी की पहचान कटे हुए सेब से है. आपने गौर किया होगा कि एप्पल कंपनी का लोगो आधे खाए हुए सेब जैसा दिखता है. खास बात ये है कि महंगी-महंगी डिवाइस यूज करने वाले शौकीन लोगों को भी इसके लोगो का राज नहीं पता होता. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर इसके पीछे कारण क्या है.
गौरतलब है कि साल 1976 में जब कंपनी की स्थापना की गई थी तब इसका लोगो (Apple logo evolution) ऐसा नहीं था. लोगो में आइजैक न्यूटन बने थे और ऊपर एक सेब लटका था. मगर साल 1977 में कंपनी के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) ने रॉब जैनॉफ (Rob Janoff) नाम के ग्राफिक डिजाइनर को नया लोगो डिजाइन (Who designed Apple logo) करने की जिम्मेदारी दी. उन्होंने खाए हुए सेब का लोगो डिजाइन किया जो रेनबो के रंग में था.
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Apple का सबसे पहले सेब वाले लोगो का कलर रेनबो था. उसका कारण ये था कि स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) चाहते थे कि कंपनी को एक मानवीय दृष्टिकोण से भी देखा जाए. जैनॉफ ने ये भी बताया था कि इस लोगो में विबग्योर के ही ऑर्डर में उन्होंने रंग नहीं डाले. सबसे ऊपर पत्ती थी इसलिए हरा रंग सबसे ऊपर रखा गया. उसके बाद 1998 से अभी तक एप्पल के लोगो का रंग एक ही रंग में रखा गया. कभी वो पूरा नीला हो गया तो कभी ग्रे और कभी शाइनिंग ग्रे.
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कोड्सजेस्चर नाम की वेबसाइट के मुताबिक रॉब जैनॉफ ने एक इंटरव्यू में ये राज खोला था कि उन्होंने क्यों लोगो को कटा हुआ बनाया था. उन्होंने कहा था कि सेब के कटे होने का कारण ये था कि लोग आसानी से समझ सकें कि वो सेब है ना कि चेरी या टमाटर. उन्होंने दूसरा कारण बताया कि वो चाहते थे कि लोग समझें कि वो सेब में से एक बाइट ले रहे हैं. मगर उस दौरान एक थ्योरी ये भी बनी की एप्पल के कटे हुए बाइट को कंप्यूटर के बाइट से भी जोड़ कर देखा गया.
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