International Women's Day: ताजमहल सहित ASI के सभी ऐतिहासिक स्थलों पर महिलाओं की एंट्री रहेगी फ्री!
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International Women's Day: ताजमहल सहित ASI के सभी ऐतिहासिक स्थलों पर महिलाओं की एंट्री रहेगी फ्री!

बता दें कि देश में एएसआई के तहत 3,693 केंद्र संरक्षित स्मारक और स्थल है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Womens Day 2020) के मौके पर ताजमहल (Taj Mahal) के साथ-साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सभी ऐतिहासिक स्थलों पर महिलाओं की एंट्री फ्री रहेगी. ये ऐलान कंद्रीय टूरिज्म कल्चर मिनिस्टर प्रहलाद पटेल ने शनिवार को किया है. 

  1. देश में ASI के 3,693 केंद्र संरक्षित स्मारक है
  2. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने किया ऐलान
  3. केवल उत्तर प्रदेश में ASI के 745 संरक्षित स्मारक है

बता दें कि देश में एएसआई के तहत 3,693 केंद्र संरक्षित स्मारक और स्थल है. जिसमें उत्तर प्रदेश में 745, कर्नाटक में 506 और तमिलनाडु में 413 एएसआई-अनुरक्षित स्थलों की संख्या है. 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस एएसआई स्मारक और स्थलों पर घूमने जाना महिलाओं के लिए लाभकारी होगा. इस दिन महिलाओं को एंट्री से छूट दी गई है.

8 मार्च को ही क्यों मनाते हैं International Women's Day?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक मज़दूर आंदोलन की उपज है. जो वर्ष 1908 में हुआ था. उस वक्त लगभग 15 हज़ार महिलाओं ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में Protest March निकालकर, महिलाओं के लिए काम के घंटे कम करने की मांग की थी.

इसके अलावा उनकी मांग थी, कि उन्हें बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान करने का अधिकार भी दिया जाए. इसके एक साल बाद Socialist Party of America ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया. इसके बाद इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर Celebrate करने का Idea जर्मनी की एक महिला Clara Zetkin ने दिया, जो जर्मनी की एक Activist थीं.

Clara Zetkin ने वर्ष 1910 में Denmark की राजधानी Copenhagen में कामकाजी महिलाओं की एक International Conference के दौरान अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था. हालांकि Clara Zetkin ने महिला दिवस मनाने के लिए कोई तारीख़ पक्की नहीं की थी.  अब सवाल ये है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है? 1917 में विश्व युद्ध के दौरान Russia की महिलाओं ने 'Bread and Peace' यानी भोजन और शांति की मांग की थी.

महिलाओं की इस हड़ताल की वजह से वहां के सम्राट निकोलस को पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था और वहां की अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया था. इसे एक महत्वपूर्ण घटना माना गया था और यही घटना बाद में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तारीख का आधार बनी. उस समय Russia में Julian कैलेंडर का प्रयोग होता था और जिस दिन महिलाओं ने ये हड़ताल शुरू की थी, वो तारीख़ थी 23 फरवरी. लेकिन, Gregorian कैलेंडर में ये दिन 8 मार्च था और उसी के बाद से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत एक नेक मकसद से की गई थी. लेकिन, सौ से ज्य़ादा वर्ष बीत जाने के बाद भी भारत सहित दुनिया भर में महिलाओं की एक बहुत बड़ी आबादी, आज भी अपना हक पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा को सबसे अहम माना गया है लेकिन सच ये है कि शिक्षा के मामले में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अब भी काफी पीछे हैं.

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