नई दिल्ली: भारत एक विशाल देश है. यहां प्राकृतिक पहाड़, झरनें, वादियां तो अपनी खूबसूरती के लिए जाने ही जाते हैं, लेकिन इसी के साथ ही मानव निर्मित भी ऐसी कई जगहें हैं जो मनभावन हैं और अपनी आकर्षण का केंद्र मानी जाती हैं. यह पुल यातायात को आसान बनाने के साथ ही अपनी बेजोड़ बनावट के लिए भी जाने जाते हैं. आज हम आपके लिए देश के सबसे बड़े और खूबसूरत पुलों की जानकारी लेकर आए हैं, जिनको देखकर नजरें नहीं हटती हैं. तो आइये जानते हैं इन पुलों के बारे में.
9.15 किलोमीटर लंबाई और 12.9 मीटर चौड़ाई के साथ भूपेन हजारिका सेतु (Bhupen Hazarika Setu) भारत का सबसे लंबा पुल है. बताते चलें कि भारत के सबसे बड़े इस सड़क पुल को ढोला-सादिया पुल (Dhola Sadiya Bridge) के रूप में भी जाना जाता है. लोहित नदी पर बना भूपेन हजारिका सेतु असम राज्य के तिनसुकिया जिले में बना हुआ जो असम और अरुणाचल प्रदेश को एक दूसरे से जोड़ने का काम करता है. 2017 में बने इस पुल की आधारशिला 2003 में अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुकुट मीठी (Mukut Mithi) ने रखी थी. इस पुल को पूरा बनने में 14 साल का लंबा समय लगा. 26 मई 2017 को पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बड़ी धूमधाम से इस पुल का उद्घाटन किया और भारत के सबसे बड़े ब्रिज के रूप में गौरवान्वित किया.
बिहार राज्य के पटना जिले में स्थित महात्मा गांधी सेतु सबसे पवित्र गंगा नदी के ऊपर बना हुआ है. इसे गंगा सेतु के नाम से भी जाना जाता है. यह पुल पटना से हाजीपुर को जोड़ता है. 18,860 फीट की ऊंचाई और 5,750 मीटर की लंबाई वाला यह पुल भारत का दूसरा सबसे लंबा पुल है. आपतो बता दें कि साल 2017 में ढोला-सादिया पुल के बनने से पहले यही पुल भारत का सबसे बड़ा पुल माना जाता था. इसके बारे में कहा जाता है कि साल 1982 में 46.67 करोड़ रुपये की लागत से बना यह महात्मा गांधी सेतु एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, जिसे स्टील और कंक्रीट का प्रयोग करके तैयार किया गया था.
भारत के सबसे लंबे सड़क पुलों की बात होती है तो बांद्रा सी लिंक ब्रिज के बारे में भी चर्चा जरूर की जाती है. यह पुल बांद्रा को मुंबई के पश्चिमी उपनगरों से जोड़ता है. आपको बताते चलें कि इस ब्रिज को राजीव गांधी सागर लिंक (Rajiv Gandhi Sea Link) के रूप में भी जाना जाता है. वर्ली सी लिंक मुंबई का वह पुल है जो कि शहर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है. इस पुल पर खड़े होकर आप शहर की खूबसूरत शाम और सुबह के नजारों का जी भर के आनंद ले सकते हैं. 5.6 किलोमीटर लंबा यह विशाल समुद्री लिंक सुचारू रूप से 8 ट्रैफिक लेन चलाता है और हर दिन यहां से लगभग 37,500 कारों का आवागमन होता है. यह समुद्री लिंक निश्चित रूप से एक सिविल इंजीनियरिंग का अजूबा है, जो मुंबई शहर के आधुनिक बुनियादी ढांचे को दर्शाता है. भारत के सबसे बड़े ब्रिज में से एक के रूप में पहचाना जाने वाले बांद्रा सी लिंक ब्रिज का निर्माण साल 2000 में शुरू हुआ था, जो लगभग 10 साल बाद 24 मार्च 2010 को बनकर तैयार हो गया था.
बोगीबील पुल भारत का सबसे लंबा रेल-सह-सड़क पुल है जो डिब्रूगढ़ और धेमाजी जिलों को जोड़ता है. ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस पुल की लंबाई 4.94 किमी है जो पूरे ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश को कनेक्टिविटी प्रदान करता है. पुल का ऊपरी डेक 3-लेन का सड़क मार्ग है और निचला डेक 2-लाइन ब्रॉड गेज रेलवे है. इस इंजीनियरिंग डिजाइन प्रारूप को ट्रस ब्रिज (Truss bridge) के रूप में जाना जाता है. साल 2000 में इसका निर्माण शुरू हुआ था जिसे पूरा होने में लगभग 18 साल लंबा समय लग गया. 25 दिसंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही इस पुल का उद्घाटन किया था जिसके बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था.
विक्रमशिला सेतु भारत का पांचवा और बिहार का दूसरा सबसे लंबा पुल है. यह पुल बिहार राज्य के भागलपुर जिले में गंगा नदी के ऊपर बना है. इस पुल की लम्बाई 4700 मीटर है जो NH 80 और NH 31 को आपस में जोड़ता है. खास बात ये है कि यह पुल पूरी तरह से कंक्रीट और लोहे से बना हुआ है. 2001 में बन कर तैयार हुए इस पुल पर बढ़ते ट्रैफिक के कारण फिलहाल इसके पास ही एक और समानांतर पुल बनाने की मांग बढ़ रही है.
बिहार एक ऐसी जगह है जिसका इतिहास अगर आप पढ़ने बैठेंगे तो हो सकता है कि आपको सालों लग जाएं और फिर भी आपको पूरा ज्ञान ना मिले. दरअसल बिहार का भूगोल ऐसा है कि गंगा इसे 2 भागों में बांटती है. इस वजह से ट्रांसपोर्टेशन में बड़ी दिक्कत आती है. इसीलिए भारत के सबसे लंबे पुल अधिकतर बिहार में गंगा नदी पर ही बनाए गए हैं. दीघा-सोनपुर ब्रिज या लोकनायक जयप्रकाश नारायण सेतु बिहार का चौथा सबसे बड़ा और भारत में सातवां सबसे बड़ा पुल है. जबकि असम में बोगीबील ब्रिज के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा रेल-सह-सड़क पुल है. यह पुल बिहार के उत्तर और दक्षिण भाग को कनेक्टिविटी प्रदान करता है. इस पुल का पूरा उपयोग करने के लिए इसके दोनों ओर पाटलिपुत्र (Pataliputra) और भरपुरा रेलवे स्टेशन बनाए गए हैं. 4.55 किमी लंबाई और 10 मीटर चौड़ाई के साथ स्टील ट्रस डिजाइन वाले इस पुल का निर्माण 2003 में शुरू हुआ जो कि 2016 में जाकर पूरा हुआ.
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