Budget Yatra: 'किसान' और 'खेती' शब्द बजट भाषण में सबसे अधिक बार हुए इस्तेमाल
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के 'जय जवान, जय किसान' के नारे के बाद से खेती और किसान शब्द का इस्तेमाल बढ़ा.
- छठे दशक के मध्य तक के बजट भाषणों में कृषि की कभी-कभार चर्चा होती थी
- सबसे अधिक 10 बार बजट पेश करने का रिकार्ड मोरारजी देसाई के नाम
- पूर्व पीएम राजीव गांधी ने अपने बजट में कॉरपोरेट टैक्स की शुरुआत की थी
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नई दिल्लीः वर्ष 1947 में देश आजाद होने के बाद से अब तक के बजट भाषण में कई तरह की रोचक बातें दोहरायी जाती रही हैं. वित्त मंत्री बजट पेश होने के वक्त के गंभीर माहौल को हल्का करने के लिए शेरो-शायरी की भी मदद लेते रहे हैं. लेकिन इस सबके बीच अब तक के सभी बजट में अगर कोई शब्द सबसे ज्यादा बार इस्तेमाल हुआ है तो वो है 'किसान', 'किसानों', 'खेती' और 'कृषि'. अगर आप आजाद भारत के सभी बजट भाषणों पर गौर करें तो छठे दशक के मध्य तक के भाषणों में कृषि की कभी-कभार चर्चा होती थी. इसके बाद देश में अनाज संकट पैदा होने के 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया. तब से बजट का एजेंडा बदल गया. उसके बाद से 2000 तक के बजट में कृषि और खेती की खूब चर्चा होती रही. उसके बाद 2002-2003 के बजट में कृषि की चर्चा में थोड़ी कमी.