Electricity Safety: क्या जानते हैं आप, कितना करंट झेल सकता है हमारा शरीर? हम कैसे कर सकते हैं बिजली से बचाव
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Electricity Safety: क्या जानते हैं आप, कितना करंट झेल सकता है हमारा शरीर? हम कैसे कर सकते हैं बिजली से बचाव

Electricity Safety Tips: क्या आप जानते हैं कि हमारा शरीर कितना करंट सहन कर सकता है. आखिर करंट की वह कौन सी डोज होती है, जिससे हमारी मृत्यु हो सकती है. 

Electricity Safety: क्या जानते हैं आप, कितना करंट झेल सकता है हमारा शरीर? हम कैसे कर सकते हैं बिजली से बचाव

Electricity Safety Tips: घर में काम करते हुए कई बार आपको भी छोटा-मोटा करंट लगा होगा. करंट लगते ही आप भी सहम गए होंगे और ईश्वर को धन्यवाद भी दे रहे होंगे कि आप मरने से बच गए. लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि हरेक करंट से आपकी जान नहीं जा सकती. दरअसल ईश्वर ने हमारे शरीर को कुछ इस प्रकार बनाया है कि हम एक तय सीमा तक करंट सहन कर सकता है. आइए जानते हैं कि हमारी बॉडी किस लेवल तक करंट को सहन कर सकता है और कितने करंट से हमारी मौत हो सकती है. 

पांच प्रकार के होते हैं करंट

सबसे पहले हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि करंट के 5 प्रकार होते हैं, जिनका हमारे शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है. इनमें पहला है 1 mA करंट. करंट की यह मात्रा सहन करने योग्य होती है. हालांकि यही करंट अगर शरीर में ज्यादा देर तक रहे तो पीड़ित को नुकसान भी हो सकता है. 

दूसरे प्रकार का करंट 5 mA का होता है. इसमें पीड़ित को करंट लगने पर हल्का झटका लगता है और इसके साथ ही बिजली उसे छोड़ देती है. इस क्षमता का करंट लगने से इंसान को शरीर में कुछ समय के लिए झनझनाहट होने लगती है. हालांकि यह करंट लगने पर वह कुछ समय बाद ही ठीक होने लगता है. 

तीसरी श्रेणी के करंट में बच सकती है जान

यह करंट की तीसरी श्रेणी होती है. इसमें 6 -16 mA का करंट किसी इलेक्ट्रिक उपकरण में बह रहा होता है. उस उपकरण से बॉडी का कोई हिस्सा टच हो जाने पर इंसान वहीं चिपककर खड़ा हो जाता है और अपनी सुध-बुध खोने लगते है. इस स्थिति को लेट गो स्थिति कहा जाता है. अगर तुरंत ही कोई बिजली स्विच ऑफ कर दे तो पीड़ित की जान बचाई जा सकती है. साथ ही प्लास्टिक या सूखे डंडे से पीड़ित को अलग कर देने पर भी उसे बचाया जा सकता है. 

इस श्रेणी के करंट में धीरे-धीरे मरने लगता है इंसान

करंट लगने की यह चौथी और खतरनाक श्रेणी होती है. इस श्रेणी में 17 -99 mA का करंट प्रवाहित हो रहा होता है. इस प्रकार के करंट की चपेट में आने से इंसान वहीं पर चिपककर खड़ा हो जाता है. करंट लगने से पीड़ित के शरीर के अंग और अंदरुनी कोशिकाएं धीरे-धीरे सिकुड़नी शुरू हो जाता है. उसके खून का प्रवाह रुकने लगता है और सांस अटकने लगती है. उसका दिमाग और शरीर का कोई हिस्सा काम नहीं करता और कुछ ही मिनटों में वह धीरे-धीरे मौत के मुंह में समा जाता है. अगर वक्त रहते बिजली बंद कर दी जाए या पीड़ित को किसी सेफ चीज से मारकर बिजली के उपकरण से बचा लिया जाए तो उसकी जान बचने के चांस होते हैं लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित को कितने समय में बचाया गया. 

यह करंट की सबसे खतरनाक और ऊंची श्रेणी होती है. इसमें 100-2000 mA का करंट प्रवाहित हो रहा होता है. अगर गलती से इंसान इस करंट की चपेट में आ जाए तो उसका सीधा अटैक हार्ट पर होता है और वह सिकुड़ने लगता है. जिससे शरीर के बाकी अंगों को खून और ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होती है. इससे वे अंग भी सिकुड़ने लगते हैं. कुछ ही सेकंडों में पीड़ित का ब्रेन भी काम करना बंद कर देता है और हार्ट अटैक से उसकी मौत हो जाती है. 

ऐसे काम करता है बिजली का करंट

अब आप यह समझ लीजिए कि हमारे शरीर पर करंट कैसे असर करता है. सबसे पहले बात तो करंट की वह मात्रा होती है, जो हमारे शरीर से गुजरती है. वह मात्रा जितनी ज्यादा होगी, मौत की आशंका भी उतनी ही ज्यादा होगी. दूसरी बात, हमारी जीभ, होंठ, आंख जैसे शरीर के अंगों पर अगर करंट लगे तो मौत का खतरा भी ज्यादा बढ़ जाता है. जबकि दूसरे अंगों पर करंट लगने से बचने की संभावना बची रहती हैं. करंट लगने के बाद कितने समय तक वह आपके शरीर तक गुजरता रहा, इस बात पर भी खतरे की आशंका निर्भर करती है. अगर आप जल्दी बिजली बंद कर देते हैं तो इंसान को बचाने में आसानी हो जाती है. 

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