Inida Monkeypox: कोरोना के बाद लोगों में अब मंकीपॉक्स का डर बैठ गया है. शरीर पर हल्का सा निशान दिखने पर लोग त्वचा रोग विशेषज्ञों के पास जा रहे हैं. हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि महज शरीर पर घाव या कुछ निशान दिखने पर घबराने की जरूरत नहीं है. इसके साथ अन्य लक्षण भी दिखते हैं.
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Monkeypox Symptoms: मंकीपॉक्स ने भारत में भी दस्तक दे दी है. इस संक्रमण को लेकर लोग काफी दहशत में हैं. हल्का सा भी लक्षण दिखने पर लोग डॉक्टरों के पास जा रहे हैं. 10 महीने की बच्ची के हाथों और पैरों में छाले हो गए. माता-पिता ने इसे मंकीपॉक्स का संक्रमण समझ लिया और बच्ची को त्वचा विशेषज्ञ के पास ले गए. हालांकि डॉक्टर ने इसे कीड़े के काटने की प्रतिक्रिया के रूप में पहचाना. हालांकि, पूजा अकेली नहीं है. भारत में मंकीपॉक्स फैलने की खबर के साथ सोशल मीडिया, न्यूज पोर्टल्स और चैनलों के माध्यम से डरावने फफोले और चकत्ते की तस्वीरें प्रसारित की जा रही हैं, जो लोगों में घबराहट और भय की भावना पैदा कर रहे हैं.
लोग कर रहे हैं काफी सवाल
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के त्वचा विशेषज्ञ सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सचिन धवन ने कहा कि हमें लोगों के यह सोचने के बारे में बहुत सारे प्रश्न मिल रहे हैं कि रैशेज मंकीपॉक्स हैं. जबकि, रैशेज मंकीपॉक्स हो सकते हैं, किसी को यह समझना होगा कि मंकीपॉक्स में बुखार आदि जैसे अन्य लक्षण भी होंगे.
रैशेज के बारे में जान रहे हैं लोग
उन्होंने कहा कि हमें रैशेज के बारे में और अधिक प्रश्न मिल रहे हैं, जो मंकीपॉक्स की तरह लग सकते हैं या तस्वीरें जो इंटरनेट पर हैं. हाथों और पैरों पर पानी से भरे फफोले के साथ, ऐसा कुछ भी, एक कीड़े के काटने या एलर्जी हो सकता है. गुरुग्राम के मेदांता के डर्मेर्टोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट रमनजीत सिंह ने कहा कि जिन लोगों के चेहरे या पीठ पर मुंहासे हैं, वे भी डर रहे हैं कि घाव मंकीपॉक्स के हैं या नहीं.
रैशेज के साथ होंगे अन्य लक्षण
उन्होंने कहा कि खुजली या मोलस्कम जैसे अन्य त्वचा विकार भी हैं, जहां घाव मंकीपॉक्स त्वचा के घावों की तरह लग सकते हैं, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि यह रोग त्वचा के घावों के साथ अन्य लक्षण भी प्रस्तुत करता है. श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के त्वचा विज्ञान के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. विजय सिंघल ने कहा कि रोग के शुरूआती निदान में त्वचा विशेषज्ञ एक निश्चित भूमिका निभा सकते हैं.
अब तक मिले 18 हजार मामले
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हैस क्योंकि कई चिकित्सकों को चिकनपॉक्स, पेम्फिगस वल्गरिस, बुलस पेम्फिगॉइड और हर्पीज जैसे अन्य ब्लिस्टरिंग विकारों का अंदाजा नहीं है. केवल देखकर, एक त्वचा विशेषज्ञ 90-95 प्रतिशत मामलों में यह पता लगा सकता है कि त्वचा की स्थिति है या नहीं. 78 देशों से WHO को अब तक 18,000 से अधिक मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं. अफ्रीका में पांच मौतें हुई हैं. भारत ने अब तक वायरस के 4 पुष्ट मामले दर्ज किए गए हैं.
चेचक से संबंधित है बीमारी
बता दें कि मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल बीमारी है, जो चेचक से संबंधित है. वायरस आमतौर पर फुंसी या छाले जैसे घाव और फ्लू जैसे लक्षण जैसे बुखार का कारण बनता है. घाव आमतौर पर बाहों और पैरों पर केंद्रित होते हैं, लेकिन नवीनतम प्रकोप में, वे खासकर समलैंगिक पुरुषों के जननांग और पेरिअनल क्षेत्र पर अधिक बार दिखाई दे रहे हैं.
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