डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक है COVID-19, सामने आईं चौंकाने वाली बातें
Advertisement
trendingNow1688519

डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक है COVID-19, सामने आईं चौंकाने वाली बातें

फ्रांस के नानटेस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 1,317 COVID-19 रोगियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जिसमें diabetes से जुड़े रोगियों के बारे में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं.

डायबिटीज़ के मरीजों में कोरोना वायरस से मौत का खतरा बाकियों की तुलना में ज्यादा होता है

लंदन: कोरोना वायरस(Coronavirus) से संक्रमित व्यक्ति के लिए वायरस से लड़ना ही बेहद बड़ी लड़ाई होती है, लेकिन अगर व्यक्ति पहले से अन्य बीमारियों से पीड़ित होता है तो कोरोना की लड़ाई बेहद मुश्किल साबित होती है. एक अध्ययन के अनुसार अस्पताल में भर्ती 10 COVID-19 रोगियों में से एक जिन्हें मधुमेह (Diabetes) भी है, उनकी भर्ती होने के सात दिनों के अंदर-अंदर मौत हो सकती है. और 5 में से 1 रोगी को नली लगानी पड़ सकती है और वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है.

  1. डायबिटीज़ के रोगियों को कोरोना से सावधान रहने की जरूरत
  2. 10 में से 1 व्यक्ति हो सकता है मौत का शिकार
  3. बढ़ती उम्र और BMI ज्यादा प्रभावित करते हैं

फ्रांस के नानटेस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 10 से 31 मार्च 2020 के बीच 53 फ्रांसीसी अस्पतालों में भर्ती 1,317 COVID-19 रोगियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया.

उन्होंने कहा कि इन रोगियों में से अधिकांश यानी करीब 90 प्रतिशत लोगों को टाइप 2 डायबिटीज़ थी, जबकि केवल 3 प्रतिशत को टाइप 3 डायबिटीज़ थी, और बाकी मामलों में अन्य प्रकार की डायबिटीज़ थी.

ये भी पढ़ें- कोरोना से लड़ने में कारगर है ये भारतीय नुस्खा, ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने भी माना असरदार

Diabetologia जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार, डायबिटीज़ वाले COVID-19 रोगियों में से दो-तिहाई रोगी पुरुष थे और सभी की औसत आयु 70 वर्ष थी. शोधकर्ताओं ने पाया कि खराब ब्लड शुगर कंट्रोल ने सीधे तौर पर किसी मरीज के परिणाम पर असर नहीं डाला, लेकिन डायबिटीज़ की जटिलताओं और बुढ़ापे ने मौत के जोखिम को बढ़ा दिया.

उन्होंने कहा कि एक बढ़ा हुआ बॉडी मास इंडेक्स-BMI (लंबाई के अनुसार व्यक्ति का वजन होता है) रोगी में मकेनिकल वेटिलेशन की जरूरत और मृत्यु के जोखिम दोनों के साथ जुड़ा हुआ है.

ये भी देखें-

अध्ययन में पाया गया कि 47 प्रतिशत लोगों में आंख, गुर्दे और नसों में जटिलताएं देखी गईं, जबकि 41 प्रतिशत रोगियों में हृदय, मस्तिष्क और पैरों से जुड़ी समस्याएं मौजूद थीं. शोधकर्ताओं ने कहा कि 5 में से 1 रोगी को सातवें दिन तक नली लगानी पड़ी और गहन देखभाल में वेंटिलेटर पर रखा गया था. इस समय तक 10 में से 1 की मौत को गई थी और 18 प्रतिशत ठीक होकर घर चले गए थे. 

ये भी पढ़ें- 6 फुट की सामाजिक दूरी का नियम नाकाफी, 20 फुट तक जा सकता है वायरस

शोधकर्ताओं के अनुसार, सातवें दिन माइक्रोवैस्कुलर जटिलताओं ने मृत्यु के खतरे को दोगुना कर दिया था. उन्होंने कहा कि बढ़ती उम्र ने भी मौत के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा दिया था. 75 साल से ज्यादा की उम्र के रोगियों में 55 साल से कम उम्र के रोगियों की तुलना में मृत्यु होने की संभावना 14 गुना ज्यादा होती है.

वैज्ञानिकों ने कहा सांस से जुड़ी परेशानियां करीब एक सप्ताह के अंदर मौत के खतरे को तीन गुना बढ़ा देती हैं.

वैज्ञानिकों ने अध्ययन में लिखा है कि- 'बुजुर्ग जिनमें लंबे समय से डायबिटीज़ हो या डायबिटीज़ से जुड़ी जटिलताएं हों या श्वसन संबंधी परेशानियां हों, उन मरीजों में जल्दी मृत्यु हो जाने का खतरा हो सकता है और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए उन्हें खास प्रबंधन की आवश्यकता हो सकती है. 

अध्ययन ने पिछले शोध की भी पुष्टि की कि ब्लड शुगर को संशोधित करने के लिए इंसुलिन और अन्य उपचार, COVID-19 के गंभीर रूपों के लिए खतरा नहीं होते और डायबिटीज़ के रोगियों में इसे जारी रखा जा सकता है.

अध्ययन के अनुसार, 65 वर्ष से कम उम्र के रोगी जिन्हें टाइप 1 डायबिटीज़ थी, उनमें से किसी की भी मौत नहीं हुई.

हालांकि, शोधकर्ताओं ने कहा कि वर्तमान अध्ययन में टाइप 1 डायबिटीज़ वाले केवल 39 रोगी ही थे, और इन लोगों में COVID-19 के प्रभाव देखने के लिए और ज्यादा शोध करने की जरूरत है.

Trending news