CT Scan of a Mummy : शिकागो के एक म्यूजियम में वैज्ञानिकों ने प्राचीन मिस्त्र की ममियों के हजारों सीटी स्केन किए हैं, ताकि इनसे जुड़े कई रहस्यों से पर्दा हटाया जा सके.
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Egyptian Mummy Scan : हजारों साल पहले संरक्षित किए गए शव जो कि ममी के रूप में मौजूद हैं, उनके सीटी स्केन किए जा रहे हैं. शिकागो के फील्ड म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के वैज्ञानिक इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं और कमाल की बात यह है कि इसके लिए ममियों पर लिपटी पट्टियों में से एक को भी नहीं हटाया गया है. यानी कि ममियों की पटि्टयों को बिना उतारे और बिना उन्हें कोई नुकसान पहुंचाए ये स्केन किए जा रहे हैं. ताकि इन ममियों की पहचान की जा सके और जाना जा सके कि मृत्यु के बाद के जीवन के लिए कैसे तैयार किया गया था.
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26 ममियों का किया गया सीटी स्केन
26 ममियों का नुकसान ना पहुंचाने वाली तकनीक के जरिए सीटी स्केन किया गया. 4 दिन में इन ममियों और ताबूतों के हजारों एक्सरे किए गए. फिर तो एक्स-रे ने 3डी छवियां बनाईं, जिससे अंदर के कंकाल और कलाकृतियां सामने आईं. 3000 साल पुरानी ममियों के स्केन से जो इमेजेज सामने आई हैं, वह मिस्त्रवासियों के शवगृहों और मृत्यु के बाद के जीवन को लेकर उनकी सोच को समझने में मददगार साबित हो रही हैं.
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विश्लेषण में लगेंगे कई साल
म्यूजियम में एंथ्रोपोलॉजी के सीनियर कंजर्वेटर जेपी ब्राउन ने कहा कि स्कैन पूरा होने में भले ही 4 दिन लगे, लेकिन जबकि 3डी रेंडरिंग की प्रोसेसिंग की जाएगी और उनका विश्लेषण किया जाएगा तो उसमें करीब 3 साल तक का समय लग सकता है.
पीढ़ियों तक ममियों को संरक्षित रखने का तरीका
इस प्रक्रिया से प्राचीन मिस्त्रवासियों द्वारा पीढ़ियों तक ममियों को संरक्षित करने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में तो पता चलेगा ही. साथ ही जिन लोगों को ममी के तौर पर संरक्षित किया गया उनके व्यक्तित्व और निजी जानकारियों को भी समझने का मौका मिलेगा.
इस मामले में म्यूजियम के मानव अवशेष संग्रह के प्रबंधक स्टेसी ड्रेक कहते हैं, "पुरातात्विक दृष्टिकोण से, यह अविश्वसनीय रूप से दुर्लभ है कि आपको किसी एक व्यक्ति के नजरिए से इतिहास की जांच करने या देखने का मौका मिलता है. यह वास्तव में हमारे लिए यह देखने का एक शानदार तरीका है कि ये लोग कौन थे? न केवल वे चीजें जो उन्होंने बनाईं और जो कहानियां हमने उनके बारे में गढ़ी हैं, बल्कि वे वास्तविक व्यक्ति जो उस समय रह रहे थे."
ब्राउन ने कहा कि हालांकि हर प्राचीन मिस्रवासी को ममीकृत नहीं किया जाता था, लेकिन उच्च मध्यम वर्ग और उच्च स्थिति वाले लोगों के बीच यह प्रतिबंधित प्रथा स्पष्ट रूप से आम थी.
आत्मा को संरक्षित करने के लिए बनाते थे ममी
फील्ड संग्रहालय के वैज्ञानिकों के अनुसार, प्राचीन मिस्रवासियों का मानना था कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर में लौटकर आती है. यदि शरीर को संरक्षित करके नहीं रखा गया तो आत्मा संसार में भटकती रहेगी और लोगों को नुकसान पहुंचाएगी. इसलिए मिस्त्रवासियों ने ममीकरण की तकनीक को विकसित किया ताकि आत्मा की वापसी के लिए शरीर को लंबे समय तक संरक्षित करके रखा जा सके.