इजरायल-हमास युद्ध के बीच खुल रहा नया 'मोर्चा', क्या अमेरिका भी जंग में होगा शामिल?
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इजरायल-हमास युद्ध के बीच खुल रहा नया 'मोर्चा', क्या अमेरिका भी जंग में होगा शामिल?

Israel–Hamas War: पिछले कुछ हफ्तों में संयुक्त राज्य अमेरिका ने मध्य पूर्व में बड़ी मात्रा में अपनी नौसैनिक शक्ति भेजी है, जिसमें दो विमान वाहक, उनके सहायक जहाज और लगभग 2,000 नौसैनिक शामिल हैं.

फोटो साभार: @IsraeliPM

Israel–Hamas War News: मिडिल ईस्ट में अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर को ईरान समर्थित ग्रुप द्वारा ड्रोन हमलों में निशाना बनाया जा रहा है. हालांकि अब तक अमेरिका इन हमलों को नाकाम करने में कामयाब रहा है, लेकिन इस बात की चिंता बढ़ रही है कि एक बड़ा हमला अमेरिका को इजरायल-हमास युद्ध में और खींच सकता है. ठीक वैसे ही जैसे जापान के पर्ल हार्बर पर किए हमले के बाद अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होने का ऐलान किया था.

पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट्रिक राइडर ने 19 अक्टूबर को कहा कि पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) में तैनात नौसेना विध्वंसक यूएसएस कार्नी को उत्तरी लाल सागर में ड्रोन और मिसाइलों द्वारा निशाना बनाया गया.

राइडर ने कहा, 'हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि ये मिसाइलें और ड्रोन किस टारगेट को निशाना बना रहे थे, लेकिन इन्हें यमन से लाल सागर के साथ-साथ उत्तर की ओर, शायद इजरायल की ओर लॉन्च किया गया था.' उन्होंने यह भी कहा कि वह निश्चित नहीं हैं कि हमलों में अमेरिकी नौसेना के जहाज को निशाना बनाया गया था या नहीं.

राइडर ने मिसाइलों और ड्रोन हमले करे लिए यमन में ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों को दोषी ठहराया. हाला़ंकि, यह कोई अकेली घटना नहीं थी.

मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सेना पर बढ़े हमले
पिछले सप्ताह में, मध्य पूर्व के अन्य हिस्सों-इराक और सीरिया-में तैनात अमेरिकी सैनिकों पर हमले हुए हैं. इराक में लगभग 2,500 अमेरिकी सैनिक हैं.

ऐन अल-असद एयरबेस, को 19 अक्टूबर की शाम को ड्रोन और मिसाइलों द्वारा निशाना बनाया गय. कथित तौर पर बेस के अंदर कई विस्फोट सुने गए. यह एयरबेस पश्चिमी इराक में अमेरिकी और अन्य अंतरराष्ट्रीय बलों की मेजबानी करता है.

एक दिन पहले बुधवार को, इराक में अमेरिकी सेना को दो अलग-अलग ड्रोन हमलों में निशाना बनाया गया. इनमें से एक हमले में कम संख्या में सैनिकों को मामूली चोटें आईं. हालांकि अमेरिकी सेना ड्रोन को रोकने में कामयाब रही. उसी समय, सीरिया में अमेरिकी सेना पर एक ड्रोन हमला हुआ, जिसमें सैनकों को मामूली चोटें आईं.

मिडिल ईस्ट में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ता यूएस
इस बीच अमेरिका मिडिल ईस्ट के देशों में अपनी सैन्य मौजूदगी लगातार बढ़ा रहा है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका मध्य पूर्व के कई देशों में कम से कम 12 एयर डिफेंस सिस्टम भेज रहा है.  पेंटागन का कहना है कि अमेरिका के एफ-16 लड़ाकू विमानों का एक दस्ता मध्य पूर्व में आ गया है, बिना यह बताए कि यह क्षेत्र कहां है.

बता दें अरब देशों ने वाशिंगटन द्वारा इजरायल की मदद के लिए सैन्य सलाहकार और गोला-बारूद भेजने के फैसले पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है. वे इसे इज़राइल-हमास संघर्ष में अमेरिकी दखल के रूप में देखते हैं.

पिछले कुछ हफ्तों में संयुक्त राज्य अमेरिका ने मध्य पूर्व में बड़ी मात्रा में अपनी नौसैनिक शक्ति भेजी है, जिसमें दो विमान वाहक, उनके सहायक जहाज और लगभग 2,000 नौसैनिक शामिल हैं.

इसके अलावा, इजरायल की युद्ध तैयारियों की मदद के लिए अमेरिका ने शहरी युद्ध में एक्सपर्ट एक मरीन कॉर्प्स जनरल सहित सैन्य सलाहकारों को भी इजरायल भेज रहा है.

अमेरिका को ईरान से खतरा
अमेरिका का मानना है कि अमेरिकी नौसेना विध्वंसक को इजरायल के पास भेजने और उन्हें अधिक सैनिक मदद देने का वादा करने के बाद ईरान प्रायोजित प्रॉक्सी मध्य पूर्व में अमेरिकी सेना को निशाना बना रहे हैं.

न्यूयॉर्क सिक्योरिटी काउंसिल में मंगलवार (24 अक्टूबर) को न्यूयॉर्क में मिडिल ईस्ट पर त्रैमासिक खुली बहस के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ईरान को चेतावनी भी दी थी.

ब्लिकंन ने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान के साथ संघर्ष नहीं चाहता है. हम नहीं चाहते कि यह युद्ध बढ़े. लेकिन अगर ईरान या उसके प्रतिनिधि कहीं भी अमेरिकी कर्मियों पर हमला करते हैं, तो कोई गलतफहमी न पाले. हम अपने लोगों की रक्षा करेंगे - हम अपनी सुरक्षा की रक्षा करेंगे - तेजी से और निर्णायक रूप से.’

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