Osama का पार्टनर, अब सबसे बड़ा खतरा; जानिए Taliban टेरर का 'कोड 23'
Advertisement

Osama का पार्टनर, अब सबसे बड़ा खतरा; जानिए Taliban टेरर का 'कोड 23'

Taliban History: आतंकी संगठन तालिबान ने अपने पिछले शासन में महिलाओं की जिंदगी को बद से बदतर कर दिया था. बच्चों के हाथों में जंग के लिए बंदूकें दे दी थीं.

तालिबान की चार्जशीट.

काबुल: तालिबान (Taliban) के अफगानिस्तान (Afghanistan) में कब्जे के साथ ही अफगानिस्तान के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. एयरपोर्ट पर देश छोड़ने के लिए सैकड़ों लोग जमा हैं. महिलाओं में खौफ है और हर जगह आतंक का साया है. काफी संख्या में भारतीय अफगानिस्तान से भारत लौट चुके हैं और भारत सरकार लगातार उन्हें लाने में जुटी हैं. दरअसल तालिबान का खौफ और तालिबान दुनिया के लिए कैसे खतरा है इसे समझना बेहद जरूरी है और इसी को समझाने के लिए हम आपको आज से लेकर बीते 23 साल का इतिहास बताना चाहते हैं.

  1. तालिबान ने अमेरिका में किया हमला
  2. ओसामा और तालिबान का साथ
  3. पाकिस्तान में मिली ओसामा को शरण

तालिबान का पहला शासन

साल 1996 में पहली बार तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ. गोली, बम और बारूद के जोर पर ये सत्ता हासिल की गई थी. पूरे अफगानिस्तान में शरिया कानून (Sharia Law) को लागू कर दिया गया था. महिलाओं की जिंदगी बद से बदतर कर दी गई. बच्चों को बंदूकें थमा दी गईं और उस समय तालिबान ने दुनियाभर के आतंकियों को शरण दी. एक तरह से कह सकते हैं कि तालिबान दुनियाभर के आतंकियों का शरणगाह बन गया था. ओसामा और अलकायदा को भी शरण तालिबान ने ही दी थी.

ये भी पढ़ें- तालिबान के हाथ लगा 74 लाख करोड़ का खजाना, बन सकता है मालामाल

कंधार प्लेन हाइजैक

साल 1999 में अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था. दिसंबर में भारतीय विमान IC 814 को हाइजैक करके अफगानिस्तान ले जाया गया क्योंकि अपहरणकर्ताओं को पता था कि वहीं वे सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि भारत सरकार अफगानिस्तान में अपहरणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती थी, जिससे लोगों को छुड़ाया जाए सके. तो तालिबान ने ऐसी किसी भी कार्रवाई नहीं करने के लिए साफ तौर पर कह दिया कि वो चाहता था कि आतंकियों को छोड़ दिया जाए. यहां तक कि अपहरणकर्ताओं को अफगानिस्तान में और हथियार दे दिए गए.

अमेरिका में 9/11 हमला

इसके बाद तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता से बाहर हुआ और अमेरिकी सेना अफगानिस्तान पहुंची. साल 2001 में 9 सितंबर को अमेरिका में Twin Tower पर हाइजैक प्लेन के जरिए हमला हुआ और करीब 3 हजार लोग मारे गए. जबकि 25 हजार घायल हुए थे. इस हमले को ओसामा बिन लादेन ने अपने संगठन अलकायदा और उसके सदस्य मोहम्मद अता के जरिए अंजाम दिया. इसके बाद ही अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में तालिबान पर हमले शुरू किए.

ये भी पढ़ें- अफगानिस्तान में मचे कोहराम पर फिर आई बाइडेन की सफाई, क्या तालिबान पर होगा एक्शन?

पाकिस्तान और ओसामा की दोस्ती

साल 2011 में सुबह-सुबह खबर आई कि ओसामा मारा गया. अमेरिका में हमले का जिम्मेदार ओसामा मारा गया. लेकिन वो अफगानिस्तान में नहीं पाकिस्तान में मारा गया. यहीं से पाकिस्तान-आतंकी और तालिबान के सबसे बड़े गठजोड़ का सबसे बड़ा सबूत सामने आया. ये साफ हो गया कि ओसामा को पाकिस्तान ने छिपाया था और पाकिस्तान भी आतंकियों का शरणगाह है.

अफगानिस्तान में तालिबान रिटर्न

ठीक 20 साल बाद तालिबान फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका है. लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. दिल दहलाने वाली एक के बाद एक तस्वीर आ रही है और फिर से धीरे-धीरे ये साफ हो रहा है कि आतंकियों का पनाहगार अफगानिस्तान और उसका रहनुमा तालिबान बनेगा. यहां याद रखने वाले बात ये है कि अफगानिस्तान की सीमा PoK से लगती है और ये सबसे बड़ी चिंता की बात है. फिर से आतंकियों के सक्रिय होने और हालात बिगड़ने की आशंका होने लगी है.

पाकिस्तान ने जैश और लश्कर के कई कैंप अफगानिस्तान में शिफ्ट कर दिए हैं. मकसद है FATF की कार्रवाई से बचना और फिर से आतंकवाद को बढ़ावा देना. ये बेहद खतरनाक संकेत है और भारत के लिए यही चिंता का बड़ा विषय है. पिछले कुछ सालों में भारत ने आतंक और आतंकवादियों को पूरी तरह से कुचला है ऐसे में तालिबान की मदद से पाकिस्तान फिर से आतंकी गतिविधियों को बढ़ा सकता है.

LIVE TV

Trending news