Ukraine War: यह कानूनी लड़ाई यूक्रेन ने पिछले साल 24 फरवरी को रूसी आक्रमण के तुरंत बाद शुरू की थी. एक ओर जहां रूस यूक्रेन पर नरसंहार करने का आरोप लगाता रहा है, वहीं यूक्रेनी सरकार यह स्थापित करना चाहती है कि रूस का आक्रमण अनुचित था.
Trending Photos
ICJ hearing On Ukraine war: रूस और युक्रेन के बीच युद्ध जारी है लेकिन सोमवार को यह दोनों देश एक दूसरे से कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे. दरअसल रूस और यूक्रेन अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में एक ऐसे मामले में आमने-सामने होने वाले हैं, जो मॉस्को के इस दावे के इर्द-गिर्द घूमता है कि यूक्रेन पर उसका आक्रमण कथित तौर पर कीव द्वारा किए गए नरसंहार को रोकने के लिए एक आवश्यक उपाय था. रॉयटर ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. रूस ने अब तक यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई बंद करने के आईसीजे के आदेशों की अनदेखी की है. यह ध्यान देने योग्य है कि न्यायालय के पास अपने निर्णयों को लागू करने की कोई शक्ति नहीं है. हालांकि, विशेषज्ञों के हवाले से रॉयटर्स ने कहा कि यूक्रेन के पक्ष में भविष्य का फैसला संभावित क्षतिपूर्ति दावों के लिए महत्व रख सकता है.
पिछले साल से जारी है कानूनी लड़ाई
यह कानूनी लड़ाई यूक्रेन ने पिछले साल 24 फरवरी को रूसी आक्रमण के तुरंत बाद शुरू की थी. कीव द्वारा दिया गया मुख्य तर्क यह है कि रूस पूर्वी यूक्रेन में कथित नरसंहार को रोकने के साधन के रूप में अपने आक्रमण को उचित ठहराकर अंतरराष्ट्रीय कानून में हेरफेर कर रहा है.
एक ओर जहां रूस यूक्रेन पर नरसंहार करने का आरोप लगाता रहा है, वहीं यूक्रेनी सरकार यह स्थापित करना चाहती है कि रूस का आक्रमण अनुचित था. रूस न सिर्फ मामले का विरोध करता है बल्कि आईसीजे के अधिकार क्षेत्र को भी चुनौती देता है. 18 सितंबर से 27 सितंबर तक होने वाली आगामी सुनवाई मुख्य रूप से क्षेत्राधिकार के संबंध में कानूनी दलीलों पर केंद्रित होगी. यूक्रेन को शुरुआती जीत तब हासिल हुई जब पिछले साल मार्च में आईसीजे ने प्रारंभिक फैसले में उसके पक्ष में फैसला सुनाया. इस फैसले के आधार पर, अदालत ने रूस को यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई तुरंत बंद करने का आदेश दिया.
32 अन्य राज्यों की भी सुनवाई करेगा कोर्ट
इन सुनवाई के दौरान कोर्ट 32 अन्य राज्यों की भी सुनवाई करेगा. ये सभी राज्य यूक्रेन की स्थिति का समर्थन करते हैं कि आईसीजे के पास मामले को आगे बढ़ाने का अधिकार क्षेत्र है. रॉयटर्स ने दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के कानून व्याख्याता जूलियट मैकइंटायर के हवाले से कहा, ‘अगर अदालत को पता चलता है कि रूस के कृत्यों के लिए नरसंहार कन्वेंशन के तहत कोई कानूनी औचित्य नहीं है, तो निर्णय मुआवजे के लिए भविष्य का दावा स्थापित कर सकता है.’
बता दें 1948 संयुक्त राष्ट्र नरसंहार कन्वेंशन 9 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा अपनाई गई पहली मानवाधिकार संधि थी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किए गए अत्याचारों के बाद 'फिर कभी नहीं' के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता का प्रतीक थी. कन्वेंशन के अनुच्छेद II में निहित परिभाषा में नरसंहार को एक राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को नष्ट करने के इरादे से किए गए अपराध के रूप में वर्णित किया गया है.