पूरी दुनिया के मुकाबले अकेले चीन में सज़ा-ए-मौत की संख्या सबसे ज़्यादा
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पूरी दुनिया के मुकाबले अकेले चीन में सज़ा-ए-मौत की संख्या सबसे ज़्यादा

चीन में मौत की सजा के आंकड़ों में गोपनीयता के बावजूद ऐसा अनुमान है कि पिछले दशक में इसमें तेज गिरावट के बावजूद अब भी बाकी दुनिया में दी जाने वाली फांसी की सजा की कुल घटनाओं से आगे है.

एमनेस्टी ने बताया कि चीन को छोड़कर दुनियाभर में फांसी की सजा के आंकड़ों में वर्ष 2015 के मुकाबले 37 प्रतिशत की गिरावट आयी है.

बीजिंग: चीन में मौत की सजा के आंकड़ों में गोपनीयता के बावजूद ऐसा अनुमान है कि पिछले दशक में इसमें तेज गिरावट के बावजूद अब भी बाकी दुनिया में दी जाने वाली फांसी की सजा की कुल घटनाओं से आगे है.

मानवाधिकार संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ की रिपोर्ट के अनुसार चीन को छोड़कर दुनियाभर में वर्ष 2016 में 1,032 लोगों को सरकार-प्रायोजित फांसी दी गयी, जबकि इसका वास्तविक आंकड़ा अज्ञात है क्योंकि सरकार इसे गोपनीय मानती है. समूह का मानना है कि चीन में करीब हजारों व्यक्तियों को फांसी की सजा दी गयी.

मानवाधिकार समूह ‘दुई हुआ’ के कार्यकारी निदेशक जॉन कैम ने बताया कि समूह का अनुमान है कि पिछले साल चीन में करीब 2,000 लोगों की फांसी दी गयी. बहरहाल यह आंकड़ा करीब एक दशक पहले के 6,500 के आंकड़ों से कम है.

कैम ने बताया कि यह आंकड़ा निचले स्तर के अदालती मामलों और सरकारी अधिकारियों से संपर्क एवं पश्चिमी विधि शोधार्थियों के शोध पर आधारित है.

एमनेस्टी ने बताया कि चीन को छोड़कर दुनियाभर में फांसी की सजा के आंकड़ों में वर्ष 2015 के मुकाबले 37 प्रतिशत की गिरावट आयी है.

अमेरिका में 20 लोगों को फांसी की सजा का रिकॉर्ड है जो 25 वर्षों में सबसे कम है. ऐसा कुछ हद तक अदालती फैसलों और घातक इंजेक्शन में इस्तेमाल होने वाले रासायनिकों की कमी के चलते हुआ.

एमनेस्टी इंटरनेशनल पूर्वी एशिया के निदेशक निकोलस बेकलिन ने कहा कि अन्य देश जहां मृत्युदंड से परहेज करते दिख रहे हैं वहीं चीन अब भी इससे दूर है. बहरहाल, सरकारी अधिकारियों ने एमनेस्टी की रिपोर्ट पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं की.

लेकिन चीन के प्रधान न्यायाधीश झाउ छियांग ने पिछले महीने राष्ट्रीय संसद को बताया था कि पिछले एक दशक से ‘गंभीर अपराधों के मामलों में बेहद कम अपराधियों’ को सजा सुनाने से फांसी की सजा में सीमित हुई.

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