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सिडनी: चीन (China) की दादागिरी के चलते एक बड़े युद्ध की आशंका पैदा हो गई है. ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने स्वीकार किया है कि चीन के साथ युद्ध हो सकता है. ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री पीटर डटन (Peter Dutton) ने कहा कि जिस तरह का रुख चीन अपना रहा है उससे युद्ध की आशंका प्रबल हो गई है. चीन इस युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है और ब्रिटेन (Britain) को भी उसमें घसीट सकता है. डटन ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया को युद्ध की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.
‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और ब्रिटेन (US & UK) के साथ सैन्य समझौता करने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने चीन के साथ युद्ध की आशंका जताई है. ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री पीटर डटन ने स्वीकार किया है कि ताइवान (Taiwan) पर चीन के साथ युद्ध की प्रबल संभावना है. उन्होंने चीनी मीडिया का हवाला देते हुए कहा कि प्रशांत महासागर में चीन की कई पनडुब्बियां गश्त लगा रही हैं. ऐसे में ये पनडुब्बियां ऑस्ट्रेलिया को परमाणु हमले का लक्ष्य बना सकती है.
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ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री इन दिनों AUKUS समझौते के सिलसिले में अमेरिका में हैं. उन्होंने कहा कि नया गठबंधन ऑस्ट्रेलिया को कम से कम आठ परमाणु पनडुब्बियां अन्य उन्नत सैन्य तकनीक देगा. उन्होंने इस समझौते को क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए जरूरी बताया. हालांकि, आशंका जताई कि चीन शांति के बजाये युद्ध की स्थिति पैदा कर सकता है. डटन ने कहा कि "चीनी, ताइवान के संबंध में अपने इरादे के बारे में बहुत स्पष्ट है. अमेरिका भी ताइवान के प्रति अपने इरादे को लेकर स्पष्ट है. कोई भी संघर्ष नहीं देखना चाहता, लेकिन यह वास्तव में चीनियों के लिए एक सवाल है.
इस बीच बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने दक्षिण चीन सागर की लड़ाई में ब्रिटेन को घसीटे जाने की आशंका के बीच संसद में AUKUS समझौते में शामिल होने का बचाव किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय कानून की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है और उसी के अनुसार काम करेगा. इस बीच, चीनी विमानों ने एक बार फिर से ताइवान की सीमा में घुसपैठ की. ताइवान ने बताया कि आठ चीनी फाइटर जेट्स और दो सपोर्ट एयरक्राफ्ट उसकी सीमा में घुसे. बता दें कि चीन की इन हरकतों के चलते ही क्षेत्र में तनाव बढ़ता जा रहा है.
ऑकस के तहत अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से ऑस्ट्रेलिया परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का एक बेड़ा बनाएगा, जिसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देना है. जब से इस समझौते की खबर सामने आई है चीन बौखला गया है. उसका कहना है कि यह समझौता क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खोखला कर देगा. उसकी तरफ से यह भी कहा गया कि तीनों देश शीतयुद्ध की मानसिकता से काम कर रहे हैं. इससे हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिलेगा और परमाणु अप्रसार की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को नुकसान पहुंचेगा.