भारत के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करना चाहता है ऑस्ट्रेलिया: एंड्रयूज
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भारत के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करना चाहता है ऑस्ट्रेलिया: एंड्रयूज

भारत को उभरती महाशक्ति बताते हुए ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री केविन एंड्रयूज ने कहा कि वह अपनी भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की दिशा तय करने के लिए नये विचारों को चिह्नित करेंगे।

साभार: Indian defence research wing

मेलबर्न : भारत को उभरती महाशक्ति बताते हुए ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री केविन एंड्रयूज ने कहा कि वह अपनी भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की दिशा तय करने के लिए नये विचारों को चिह्नित करेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत एशिया की उभरती लोकतांत्रिक महाशक्ति है। इसलिए महत्वपूर्ण है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध विकसित और मजबूत हों। उन्होंने एक सितंबर से शुरू हो रही भारत की अपनी तीन दिनी यात्रा से पहले कहा, ‘‘मैं ऑस्ट्रेलिया-भारत रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए भारत जाउंगा। इस यात्रा के तहत मैं मेरे समकक्ष मनोहर पर्रिकर से मुलाकात करुंगा। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करुंगा।’’ एंड्रयूज ने कहा कि रक्षा मंत्री के तौर पर उनकी पहली यात्रा भारत के साथ निजी संबंधों को मजबूत करने का हिस्सा है जो दोनों नेताओं- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने पिछले साल तय किये थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ हमारा साझा इतिहास और एक सुरक्षित भारत-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत हित हमें एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं जिस पर हम अपने संयुक्त हितों के पक्ष में भविष्य की साझेदारी गतिविधियों पर विश्वास के साथ काम कर सकते हैं।’’ एंड्रयूज ने कहा कि मैं इस साल की वार्ता में अपने मौजूदा रक्षा सहयोग को बढ़ाने के नये विचारों को चिह्नित करने को उत्सुक हूं। उन्होंने कहा कि मोदी की ऑस्ट्रेलिया की राजकीय यात्रा के दौरान उन्होंने एबट के साथ सुरक्षा सहयोग के लिए रूपरेखा जारी की थी जिसके बाद रक्षा मंत्रियों की बैठक में बातचीत खासतौर पर महत्वपूर्ण होगी।

'शांति एवं सतत विकास के लिए लोकतंत्र की जरूरत', 'दुनिया को लोगों की इच्छा के अनुकूल बनाना’ विषय पर अपने संबोधन में महाजन ने कहा कि ‘वसुधव कुटुम्बकम’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) की भावना के अनुसार विकासशील देशों के प्रयासों को समर्थन देने के लिए मजबूत वैश्विक भागीदारी की जरूरत है और परिवार में परस्पर निर्भरता की तरह ही सभी को अपनी अपनी हैसियत और क्षमता के मुताबिक जिम्मेदारी साझा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश ऐसी दुनिया में रहना चाहते हैं जो शांतिपूर्ण हो, जहां समानता हो, मानवाधिकार और श्रम का सम्मान हो, जो भेदभाव, गरीबी और भूख से मुक्त हो। ऐसे में सवाल पूछा जाना चाहिए कि लोकतंत्र शांति और सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए किस तरह काम कर सकता है।

महाजन ने कहा ‘‘हमें यह सुनिश्चित कर लोकतंत्र को अधिकारसंपन्न बनाना चाहिए कि यह भागीदारीपूर्ण एवं समावेशी हो ताकि समाज के संवेदनशील वर्गों के जीवन में बदलाव आए।’’ उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों में से एक लक्ष्य में न्याय तक सबकी पहुंच मुहैया कराना और हर स्तर पर प्रभावी, जवाबदेह तथा समावेशी संस्थान तैयार करना शामिल है।

महाजन ने आगे कहा कि विकास के लिए मुख्य बात बेहतर प्रशासन है। ‘‘बेहतर प्रशासन के साथ समावेशी भागीदारी से शांति और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 के बाद के विकास एजेंडा में गरीबी और भूख को खत्म करने, लिंग समानता एवं महिलाओं तथा लड़कियों को अधिकार संपन्न बनाने तथा देशों के अंदर और उनके बीच असमानता कम करने पर साफ जोर दिया गया है।

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