ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका ( Oxford/AstraZeneca) की कोरोना वैक्सीन के मामले में नया खुलासा हुआ है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की नई स्टडी रिपोर्ट में पता चला है कि कोरोना के बाद शरीर में खून के थक्के बनने की आशंका पहले से कई गुणा ज्यादा बढ़ जाती है.
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लंदन: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की एक नई स्टडी में पता चला है कि कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में खून का थक्का बनने का खतरा सामान्य से लगभग 100 गुना अधिक है. वहीं टीकाकरण या इन्फ्लूएंजा के बाद इसका जोखिम कई गुना अधिक है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह नई स्टडी गुरुवार को प्रकाशित हुई. स्टडी में पाया गया कि खून का थक्का बनना यानी सेरेब्रल वेनस थ्रोम्बॉसिस (CVT) बनना कोरोना के बाद किसी भी तुलना समूह की तुलना में अधिक होते हैं. इनमें से 30 प्रतिशत मामले 30 से कम उम्र वाले लोगों में होते हैं. स्टडी के अनुसार अध्ययन के अनुसार मौजूदा कोविड टीकों की तुलना में यह जोखिम 8-10 गुना अधिक है और ‘बेसलाइन’ की तुलना में करीब 100 गुना ज्यादा है.
यह स्टडी रिपोर्ट ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका ( Oxford/AstraZeneca) की कोरोना वैक्सीन और CVT के दुर्लभ मामलों के बीच संभावित लिंक का पता करने के लिए की गई थी. ऑक्सफोर्ड / एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन दवा नियामकों की गहन जांच से गुजर रही है. अभी तक की जांच में इस टीके को सुरक्षित और प्रभावी माना गया है.
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रिसर्च से जुड़े पॉल हैरीसन ने कहा कि कोरोना वैक्सीन और सीवीटी के बीच संभावित कड़ी को लेकर कुछ चिंताएं हैं. जिसके चलते सरकार और नियामक संस्था कुछ टीकों के उपयोग पर रोक लगा सकते हैं. फिर भी इस सवाल का जवाब पता करना बाकी है कि कोविड की पहचान के बाद सीवीटी का कितना जोखिम है.
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