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नई दिल्ली: रूस- यूक्रेन विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. अस बीच खबर आई है कि रशिया ने यूक्रेन की सीमाओं पर भारी सुरक्षाबल की तैनाती कर दी है. रशिया ने अब यूक्रेन के पास अस्थायी अस्पताल बना लिए हैं और रसद के साथ रेलगाड़ियों को भी खड़ा दिया है. रशिया की इस तैयारी की कुछ satellite images भी सामने आई हैं, जिनमें दिख रहा है कि यूक्रेन की सीमा पर जिन इलाकों में चार फरवरी तक कोई तैनाती नहीं हुई थी, वहां अब रशिया ने जबरदस्त तैयारी की हुई है.
रूस- यूक्रेन विवाद पर आज के पांच जरूरी अपडेट हैं. पहला अपडेट ये है कि रशिया ने यूक्रेन से अपने राजनयिक वापस बुलाने का ऐलान कर दिया, जिससे युद्ध की आशंकाएं बढ़ गई हैं. इसके अलावा यूक्रेन ने बताया है कि जिन दो क्षेत्रों में रशिया ने अपनी शांति सेना भेजी है, वहां अलगाववादियों की तरफ से बमबारी करके एक Power Plant को नष्ट कर दिया गया है. इससे यूक्रेन में बिजली का संकट पैदा हो सकता है.
अमेरिका के बाद अब european union ने भी रूस पर सीमित आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान किया है और फ्रांस और जापान जैसे देशों ने भी कहा है कि वो रशिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे. जापान ने रशिया के बैंकों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है और ये भी घोषणा की है कि वो जापान में काम करने वाले Russian कारोबारियों की संपत्ति जब्त कर सकता है. इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति Joe Biden ने भी रशिया पर इसी तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था.
इस सबके बीच आपके मन में ये सवाल जरूर होगा कि जब कोई देश, किसी दूसरे देश पर Sanctions यानी प्रतिबंध लगाता है तो इसका मतलब क्या होता है और क्या ये प्रतिबंध प्रभावी भी होते हैं? या ये सिर्फ हाथी के दिखाने वाले दांत की तरह हैं. कूटनीति की भाषा में Santions शब्द का इस्तेमाल तब होता है, जब कोई देश किसी दूसरे देश के हमलावर रुख को रोकने के लिए या अंतर्राष्ट्रीय कानून तोड़ने के लिए उस पर कार्रवाई करता है. यानी ये Sanctions, एक तरह की सजा के तौर पर देखे जाते हैं.
इन प्रतिबंधों का खास मकसद होता है, उस देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना. उस देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना. उसे मिलने वाली वित्तीय सहायता को रोक देना और ये सब करके उस देश को ऐसा करने के लिए मजबूर करना, ताकि वो अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करे. हालांकि अमेरिका इस समय इतना Confuse है कि उसने रशिया पर आर्थिक प्रतिबंध तो लगाए हैं, लेकिन ये प्रतिबंध सीमित हैं, व्यापक नहीं.
अमेरिका द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों के तहत, वो अपने नागरिकों और सहयोगी देशों को पूर्वी यूक्रेन के उन दो क्षेत्रों में कारोबार करने से रोक सकता है, जिन्हें रशिया ने स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया है. अमेरिका ने कहा है कि वो व्यापक प्रतिबंध लगाने का भी ऐलान कर सकता है.
अगर ऐसा होता है तो, अमेरिका, रशिया को डॉलर में कारोबार करने से रोक सकता है. रशिया में विदेशी निवेश पर रोक लगाई जा सकती है. रशिया के बैंकों पर प्रतिबंध लगा कर उन्हें वैश्विक बाजार से अलग-थलग किया जा सकता है. अमेरिका उन कंपनियों को रशिया को कोई भी ऐसा सामान बेचने से रोक सकता है, जिनमें अमेरिकी Technology, Software या उपकरण का इस्तेमाल हुआ है और रशिया से गैस और तेल की आपूर्ति को भी गैर कानूनी करार दिया जा सकता, ताकि इसका रशिया की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़े. ये सब हो सकता है, अगर अमेरिका, रशिया पर व्यापक प्रतिबंध लगाता है.
इस समय अमेरिका द्वारा दुनिया के कुल 23 देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं. इन देशों में नॉर्थ कोरिया, म्यांमार, बेलारूस, क्यूबा, Congo, ईरान, इराक, सीरिया, Venezuela, यमन, लेबनान, Sudan और सोमालिया प्रमुख हैं. लेकिन इन प्रतिबंधों का इन देशों पर कितना असर हुआ है, इसे आप कुछ उदाहरण से समझ सकते हैं.
अमेरिका ने नॉर्थ कोरिया पर प्रतिबंध इसलिए लगाए थे ताकि वो Ballistic Missiles के परीक्षण रोक दे. लेकिन नॉर्थ कोरिया का इस पर कोई असर नहीं पड़ा और पिछले ही महीने उसने एक और Ballistic Missiles का सफल परीक्षण किया है.
इसी तरह क्यूबा पर अमेरिका ने वर्ष 1958 में आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे और ये आज भी जारी हैं. अमेरिका इन Sanctions के जरिए क्यूबा में Communist शासन को खत्म करना चाहता था, लेकिन उसका मकसद आज तक पूरा नहीं हुआ है और क्यूबा में अब भी Communist सरकार सत्ता में है.
इसी तरह अमेरिका ने ईरान पर इसलिए प्रतिबंध लगाए ताकि उसके परमाणु कार्यक्रमों को रोका जा सके. लेकिन अमेरिका को इस मकसद में भी कामयाबी नहीं मिली और सीरिया से लेकर यमन तक पश्चिमी एशिया के ज्यादातर देशों में आज ईरान का प्रभाव है.
इन प्रतिबंधों के सफल नहीं होने का एक कारण ये भी है कि जब अमेरिका और पश्चिमी देश, किसी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाते हैं तो जिस देश पर ये कार्रवाई होती है, उसके साथ वो देश खड़े हो जाते हैं, जो Western Block के खिलाफ हैं. जैसे, अभी रशिया के मामले में चीन, इन प्रतिबंधों के खिलाफ उसके साथ खड़ा हुआ है. चीन ईरान से तेल खरीद कर भी पहले भी इन प्रतिबंधों को बकवास बता चुका है.
आपको याद होगा वर्ष 1998 में जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था, तब भी अमेरिका ने भारत पर सीमित आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. लेकिन भारत इन प्रतिबंधों से बिल्कुल नहीं डरा और इन प्रतिबंधों के बावजूद, हमारे देश की GDP लगातार बढ़ती रही और बाद में अमेरिका ने ये प्रतिबंध हटा लिए थे. अब रशिया के राष्ट्रपति पुतिन ने भी यही कहा है कि अमेरिका, ब्रिटेन और European Union द्वारा जिन Sanction को लगाने की बात की जा रही है, उसका रशिया पर कोई असर नहीं होगा.
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