डोनाल्ड ट्रंप ने फ्रांस के राष्ट्रपति को दिया जवाब, कहा- अमेरिका के बिना बर्बाद हो गए होते
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डोनाल्ड ट्रंप ने फ्रांस के राष्ट्रपति को दिया जवाब, कहा- अमेरिका के बिना बर्बाद हो गए होते

फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यूरोप ने अपनी सेनाएं बनाई क्योंकि देश रक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर नहीं है. 

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप.(फाइल फोटो)

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को फ्रांस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि देश का बड़ा यूरोपीय सहयोगी दोनों विश्वयुद्धों में बर्बाद हो गया होता अगर अमेरिका ने उसे सैन्य हथियार ना उपलब्ध कराए होते. फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यूरोप ने अपनी सेनाएं बनाई क्योंकि देश रक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर नहीं है. मैक्रों ने यह भी कहा कि यूरोप को चीन, रूस तथा अमेरिका के साइबर खतरों के खिलाफ रक्षा करने की जरुरत है. इस बयान के बाद ट्रंप ने ट्वीट किया.

ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मैक्रों ने अमेरिका, चीन और रूस के खिलाफ यूरोप की रक्षा के लिए अपनी सेना बनाने का सुझाव दिया. लेकिन प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी भारी था. अमेरिका के आने से पहले वे पेरिस में जर्मन सीख रहे थे.’’ 

डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को बताया 'राष्ट्रवादी', फ्रांस के राष्ट्रपति ने दिया ये जवाब
प्रथम विश्वयुद्ध के खत्म होने के 100 साल पूरे होने पर पेरिस में आयोजित कार्यक्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को बड़े गर्व के साथ ‘‘राष्ट्रवादी’’ घोषित किया, लेकिन इस दौरान अधिकतर समय ट्रंप अलग-थलग ही नजर आये. यूं कहा जाये तो पेरिस में डोनाल्ड ट्रंप के लिये उनकी ‘अमेरिका प्रथम’ का मतलब अमेरिका का अलग-थलग पड़ना था.

ट्रंप ने अपनी यात्रा की शुरुआत फ्रांस के राष्ट्रपति के यूरोपीय रक्षा बल के आह्वान की आलोचना वाले ट्वीट से की. हालांकि कार्यक्रम में वह अकेले ही पहुंचे और अपनी यात्रा का अधिकतर समय उन्होंने मध्य पेरिस में अमेरिकी राजदूत के घर में सबकी नजरों से दूर ही बिताया.

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रविवार को उन्होंने ‘राष्ट्रवाद के अलग-थलग पड़ने के खतरे’ पर भाषण सुना. इसके बाद पेरिस शांति शिखर सम्मेलन के उद्घाटन की तैयारियों के शुरू होने से ठीक पहले वह अमेरिका के लिये रवाना हो गये. उनकी इस यात्रा ने स्पष्ट किया कि करीब दो साल पहले राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद ट्रंप ने नाटकीय रूप से दशकों पुरानी अमेरिकी विदेश नीतियों को खत्म किया है.

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इससे सहयोगी देशों को झटका लगा. इसमें रविवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की वह चेतावनी भी शामिल है जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘जिन आसुरी ताकतों के कारण’’ प्रथम विश्वयुद्ध हुआ और लाखों लोगों की मौत हुई वे एक बार फिर अपना सिर उठा रहे हैं. मैक्रों ने उन बहुराष्ट्रीय संगठनों और सहयोग को फिर से समावेशित करने का अनुरोध किया है, जिनसे ट्रंप हट चुके हैं.

उन्होंने कहा कि देशभक्ति राष्ट्रवाद के बिल्कुल विपरीत है. मैक्रों ने कहा कि जब कोई राष्ट्र अपने हितों को आगे रखता है और यह फैसला करता है कि उसे किसी की परवाह नहीं है, तो वे एक राष्ट्र के पास मौजूद सबसे कीमती चीज... उसके नैतिक मूल्यों को मिटा देता है.

ट्रंप के जाने के बाद जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने भी शांति के मंच से वैश्विक सहयोग पर जोर देते हुए कहा कि प्रथम विश्वयुद्ध ने यह स्पष्ट किया है कि ‘‘राजनीति और कूटनीति में अगर समझौता करने की प्रवृत्ति नहीं अपनायी जाये तो इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।’’ मैक्रों के भाषण के दौरान अधिकतर समय ट्रंप के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखा.

ट्रंप ने साथी नेताओं के साथ भी बातचीत नहीं की और ना ही वह शनिवार को म्युजी दीओरसे में मैक्रों की मेजबानी में विश्व के नेताओं के लिये आयोजित स्वागत भोज में शामिल हुए. राष्ट्रपति ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप भी कार्यक्रम में अलग-अलग पहुंचे. हालांकि व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव साराह हकाबी सैंडर्स ने इसके लिये सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला दिया. 

इनपुट भाषा से भी 

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