Global Warming: Antarctica में टूटा दुनिया का सबसे बड़ा Iceberg, आकार के मामले में Delhi का तीन गुना
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Global Warming: Antarctica में टूटा दुनिया का सबसे बड़ा Iceberg, आकार के मामले में Delhi का तीन गुना

अंटार्कटिका के पश्चिमी हिस्‍से में स्थित रोन्‍ने आइस शेल्फ से दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड टूटा है. इस विशाल हिमखंड का पूरा आकार 4320 वर्ग किलोमीटर है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण अंटार्कटिका की बर्फ की चादर गर्म होकर पिघल रही है. जिसकी वजह से ऐसा हो रहा है.

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अंटार्कटिका में बर्फ के पहाड़ पिघल रहे हैं. इंसर्ट में वह स्थान जहां सबसे बड़ा हिमखंड टूटा (फोटो: यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी)

लंदन: ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की वजह से अंटार्कटिका (Antarctica) को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां बर्फ की चादर का पिघलना जारी है. अब अंटार्कटिका में बर्फ के एक विशाल पहाड़ के टूटने की खबर सामने आई है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड यानी आइसबर्ग (World's Largest Iceberg) बताया जा रहा है. यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी द्वारा ली गईं सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि यह आइसबर्ग 170 किलोमीटर लंबा और करीब 25 किलोमीटर चौड़ा है. सीधे शब्दों में कहें तो आकार के मामले में यह दिल्ली का करीब तीन गुना है.  

  1. जलवायु परिवर्तन के चलते पिघल रहे हैं पहाड़
  2. 170 किमी लंबा और 25 किमी चौड़ा है हिमखंड
  3. इस घटना से पूरी दुनिया आई सकते में 
  4.  

Weddell Sea में तैर रहा 

सैटलाइट तस्‍वीरों के अनुसार, अंटार्कटिका के पश्चिमी हिस्‍से में स्थित रोन्‍ने आइस शेल्फ (Ronne Ice Shelf) से यह विशाल बर्फ का टुकड़ा टूटा है. इस घटना को लेकर पूरी दुनिया खौफ में आ गई है, क्योंकि यदि इसी रफ्तार से बर्फीले पहाड़ पिघलते रहे तो बड़ा संकट आ जाएगा. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि आइसबर्ग (Iceberg) A-76 टूटने के बाद अब वेडेल सागर पर तैर रहा है.

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VIDEO

बढ़ेगा समुद्र का जलस्तर?

इस विशाल हिमखंड का पूरा आकार 4320 वर्ग किलोमीटर है. आइसबर्ग टूटने के इस घटना को यूरोपीय यूनियन के सैटेलाइट कापरनिकस सेंटीनल (Copernicus Sentinel) ने कैमरे में कैद किया है. यह सैटलाइट धरती के ध्रुवीय इलाके पर नजर रखता है. ब्रिटेन के अंटार्कटिक सर्वे दल ने सबसे पहले इस हिमखंड के टूटने की खबर दी थी. जानकारों का कहना है कि हिमखंड के टूटने से सीधे समुद्र के जलस्‍तर में वृद्धि नहीं होगी लेकिन अप्रत्‍यक्ष रूप से जलस्‍तर बढ़ सकता है.  

यह है टूटने का Reason

एक्सपर्ट्स के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण अंटार्कटिका की बर्फ की चादर गर्म होकर पिघल रही है. इसके चलते ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं, मुख्यतौर पर वेडेल सागर के आसपास. जैसे ही ग्लेशियर पीछे हटते हैं, बर्फ के टुकड़े टूट जाते हैं और समुद्र में तब तक तैरते रहते हैं जब तक कि वे पूरी तरह से अलग नहीं हो जाते या जमीन से टकरा नहीं जाते. पिछले साल भी दक्षिण जार्जिया में भी एक बड़ा हिमखंड टूटा था.

 

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