कोरोना वायरस प्रकोप ने न केवल डेढ़ लाख से ज्यादा जानें ली हैं, बल्कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को ऐसा करारा झटका दिया है, जिससे उबरने में उसे सालों लग जाएंगे.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस प्रकोप ने न केवल डेढ़ लाख से ज्यादा जानें ली हैं, बल्कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को ऐसा करारा झटका दिया है, जिससे उबरने में उसे सालों लग जाएंगे. जाहिर है इससे आई बेरोजगारी की बाढ़ लाखों-करोड़ों लोगों के लिए मुसीबत बनकर आएगी. सऊदी अरब सरकार ने इस बारे में एक निर्णय जारी कर लाखों लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें भी ला दी हैं. यहां के मंत्रालय से कोरोना वायरस प्रकोप के कारण बनी असाधारण परिस्थितियों का हवाला देते हुए श्रम अनुबंध को लेकर एक निर्णय जारी किया गया है.
सऊदी अरब के अखबार अशरक अल-अस्वत ने इस आदेश की कॉपी का हवाला देते हुए रिपोर्ट की है कि यह नियोक्ताओं को काम के घंटे कम करने और छह महीने की अवधि के लिए कुल वेतन का 40 प्रतिशत कटौती करने की अनुमति देता है. इतना ही नहीं इस अवधि के बाद कर्मचारियों के साथ अनुबंध की समाप्ति करने की भी अनुमति देता है.
इस निर्णय में यह इशारा भी किया गया है कि इसके प्रावधानों को लागू करने से निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं को राज्य से मिलने वाले लाभ जैसे कि श्रमिकों के लिए मजदूरी का भुगतान या सरकारी शुल्क से छूट आदि बंद नहीं होंगे. हालांकि निर्णय में कहा गया है कि नियोक्ता अनुबंधों को समाप्त न करें. यदि नियोक्ता ऐसा करता है तो उसके लिए तीन शर्तों पर उतरना जरूरी होगा.
ये शर्तें- सैलरी में कटौती के फैसले को लागू करके 6 माह हो चुके हों, या कर्मचारी की सारी छुट्टियां खत्म हो चुकी हों, या फिर कंपनी यह साबित कर दे कि कंपनी को कोरोना वायरस महामारी के कारण नुकसान उठाना पड़ा हो. बता दें कि सऊदी अरब में 25 लाख से अधिक भारतीय रहते हैं.