हुजूर मेरी सुन लीजिए, जल्दी कुछ कीजिए, वरना इजरायल सबको मार डालेगा, जानें किसने नेतन्याहू के सामने दिखाई हिम्मत
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हुजूर मेरी सुन लीजिए, जल्दी कुछ कीजिए, वरना इजरायल सबको मार डालेगा, जानें किसने नेतन्याहू के सामने दिखाई हिम्मत

Israeli military incursion into Rafah: इजरायल और हमास की जंग जारी है,  गाजा के बाद अब इजरायल ने राफा में भी कहर बरपाना शुरू कर दिया है, अधिकतर ताकतवर देश चुप्पी साधे हुए हैं, कोई इजरायल के हमले का समर्थन कर रहा है तो कोई गाजा में हो रहे हमले का विरोध, लेकिन एक देश जंग को रोकने के लिए अपनी आवाज उठाई है. 

हुजूर मेरी सुन लीजिए, जल्दी कुछ कीजिए, वरना इजरायल सबको मार डालेगा, जानें किसने नेतन्याहू के सामने दिखाई हिम्मत

International Court on israel: इजरायल का हमास के गढ़ राफा में हमला जारी है. जब सब चुप हैं तो एक मुल्क ने इजरायल का जमकर विरोध किया है, बात यहां तक पहुंच गई कि नेतन्याहू की सेना को रोकने के लिए वह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय पहुंच गया. अब कोर्ट में सुनवाई हो रही है. जानें पूरा मामला. 

दक्षिण अफ्रीका के आवेदन पर आईसीजे में सुनवाई शुरू
दक्षिण अफ्रीका ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) से आग्रह किया है कि वह फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार को रोकें और इज़राइल को राफा पर हमला करने से रोकने का आदेश दे. दक्षिण अफ्रीका ने गाजा पर इजरायल के हमले के खिलाफ शुरू से रहा है, यह चौथी बार है जब दक्षिण अफ्रीका ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से आपातकालीन उपायों के लिए अनुरोध किया है.

10 लाख लोगों की जान मुश्किल में 
दक्षिण अफ्रीका का आरोप है कि इजरायल को तत्काल नहीं रोका गया तो नरसंहार बढ़ता ही जाएगा. जिसमें लाखों लोगों की जान जाएगी. यही वजह है दक्षिण अफ्रीका गाजा पट्टी के शहर राफा पर हुए हमले पर अतिरिक्त आपातकालीन उपायों की मांग कर रहा है. इस जगह दस लाख से अधिक विस्थापित फिलिस्तीनियों ने इजरायल के हमलों से आश्रय मांगा था. दक्षिण अफ्रीका ने हेग में अदालत को बताया कि फिलिस्तीनी लोग “निरंतर विनाश” का सामना कर रहे हैं. राफा पर हमला “उस अंतिम खेल का हिस्सा था जिसमें गाजा पूरी तरह से नष्ट हो गया है”.

इजराइल पर नरसंहार का आरोप
नीदरलैंड में दक्षिण अफ्रीका के राजदूत वुसिमुजी मैडोनसेला ने कहा कि इजराइल का नरसंहार तेजी से जारी है और यह एक नए एवं भयानक दौर में पहुंच गया है. दक्षिण अफ्रीका ने अदालत से इजराइल को राफा से पीछे हटने का निर्देश देने, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों, मानवीय संगठनों और पत्रकारों के लिए गाजा पट्टी तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने को लेकर उपाय का आग्रह किया है.

कोर्ट में तीसरी बार पहुंचा दक्षिण अफ्रीका
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, नीदरलैंड में दक्षिण अफ्रीका के राजदूत वुसिमुजी मैडोनसेला ने जजों को बताया कि उनके देश ने दोबारा आईसीजे का दरवाजा खटखटाया है क्योंकि "फिलिस्तीनी लोगों का विनाश जारी है, 35 हजार लोग मारे गये हैं और गाजा के अधिकांश हिस्से मलबे में तबदील हो चुके हैं". उन्होंने कहा कि इजरायल फिलिस्तीनियों की जान को जान नहीं समझ रहा है और इसलिए "फिलिस्तीनी लोगों के बुनियादी अधिकारों" की रक्षा के लिए उनका देश लगातार अपील कर रहा है.

29 दिसंबर को पहली बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
दक्षिण अफ्रीका ने पिछले साल 29 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद उसने इस साल फरवरी और मार्च में भी अतिरिक्त कदम उठाने की मांग के साथ आईसीजे का रुख किया था.
मौजूदा अनुरोध में राजदूत मैडोनसेला ने राफा समेत "गाजा में बदतर होती स्थिति" को रेखांकित किया है और पूरी गाजा पट्टी से इजरायली सेना की वापसी का आदेश जारी करने की मांग की है. साथ ही दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल से गाजा में संयुक्त राष्ट्र और मानवीय सहायता एजेंसियों के लिए बिना किसी रोक-टोक की पहुंच की भी मांग की है.

इजरायल भी रखेगा अपना पक्ष
इजरायल को शुक्रवार को उसका पक्ष रखने का मौका मिलेगा.  मामले में फैसला आने वाले सप्ताहों में सुनाये जाने की उम्मीद है. इसके पहले इजरायल ने कोर्ट से कहा था कि हम कोई नरसंहार नहीं कर रहे हैं. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल ने दक्षिण अफ्रीका के इस दावे को खारिज कर दिया था कि वह 1949 के नरसंहार सम्मेलन का उल्लंघन कर रहा है.

राफा में हालात बदतर
राफा एक छोटा, भीड़भाड़ वाला शहर है जहां हजारों फिलिस्तीनियों ने तंबुओं में शरण ली है और बीमारियों के तेजी से फैलने और भोजन और साफ पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र का एकमात्र अस्पताल बंद हो गया है, केवल एक छोटी सी सुविधा बची है, जो चरमरा गई है.

7 अक्टूबर से जंग जारी
युद्ध की शुरुआत पिछले साल सात अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल में हमास के हमले से हुई जिसमें फलस्तीनी आतंकवादियों ने लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी और करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया था. वहीं, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि युद्ध में 35,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं.

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