आईसीजे जज के रूप में दलवीर भंडारी को एक और कार्यकाल! भारत ने फिर से किया नॉमिनेट
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आईसीजे जज के रूप में दलवीर भंडारी को एक और कार्यकाल! भारत ने फिर से किया नॉमिनेट

भारत ने न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश पद के उम्मीदवार के रूप में नौ साल के एक और कार्यकाल के लिए नामित किया है. भंडारी (69) को अप्रैल, 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में एक साथ हुए मतदान में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के लिए चुना गया था. उनका मौजूदा कार्यकाल फरवरी, 2018 तक है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय नीदरलैंड के दि हेग में स्थित है. भारत की ओर से भंडारी की दावेदारी का आवेदन संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के समक्ष सोमवार (19 जून) को दायर किया गया है, हालांकि आवेदन दायर करने की आखिरी तिथि तीन जुलाई है.

न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी का मौजूदा कार्यकाल फरवरी, 2018 तक है. (फाइल फोटो)

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश पद के उम्मीदवार के रूप में नौ साल के एक और कार्यकाल के लिए नामित किया है. भंडारी (69) को अप्रैल, 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में एक साथ हुए मतदान में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के लिए चुना गया था. उनका मौजूदा कार्यकाल फरवरी, 2018 तक है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय नीदरलैंड के दि हेग में स्थित है. भारत की ओर से भंडारी की दावेदारी का आवेदन संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के समक्ष सोमवार (19 जून) को दायर किया गया है, हालांकि आवेदन दायर करने की आखिरी तिथि तीन जुलाई है.

यह चुनाव नवंबर में होगा. भंडारी यदि चुने जाते हैं तो वह नौ साल तक सेवा में रहेंगे. आईसीजे में अपने कार्यकाल के दौरान भंडारी न्यायालय के काम में सक्रियता से लगे रहे हैं. उन्होंने 11 मामलों में अपनी राय जाहिर की जिनमें समुद्री सीमा क्षेत्र विवाद, नरसंहार, परमाणु निरस्त्रीकरण, आतंकवाद के वित्तपोषण और संप्रभुता के अधिकारों का उल्लंघन जैसे विषय शामिल रहे. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में शामिल होने से पहले भंडारी ने भारत में उच्च न्यायपालिका में 20 वर्षों से अधिक समय तक सेवा दी. वह उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश रहे.

आईसीजे में 15 न्यायाधीश होते हैं जिनको संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में एक साथ मतदान के जरिए चुना जाता है. निर्वाचित होने के लिए उम्मीदवार को दोनों इकाइयों में पूर्ण बहमुत मिलना चाहिए. आईसीजे की वेबसाइट के अनुसार न्यायाधीश उच्च नैतिक चरित्र वाले लोगों में से चुने जाने चाहिए जो अपने संबंधित देशों में उच्च न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति के लिए आवश्यक योग्यता रखते हों या जो अंतरराष्ट्रीय कानून में मान्यताप्राप्त पात्रता रखने वाले विधिवेता हों. न्यायाधीश उनकी योग्यता के आधार पर चुने जाते हैं, न कि उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर. इसके साथ ही दो न्यायाधीश एक ही राष्ट्रीयता रखने वाले नहीं हो सकते. यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रयास किया जाता है कि न्यायालय के गठन में विश्व की प्रधान कानूनी प्रणालियां झलकती हों.

वर्ष 1945 में स्थापित आईसीजे देशों के बीच विवादों को निपटाती है और संयुक्त राष्ट्र के अन्य अधिकृत अंगों द्वारा इसे भेजे जाने वाले कानूनी सवालों पर परामर्श मत उपलब्ध कराती है. न्यायालय इसकी व्यवस्था में शामिल सभी पक्षों के लिए खुला होता है जिसमें स्वाभावकि तौर पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य शामिल होते हैं. आईसीजे की वेबसाइट पर भंडारी के परिचय के अनुसार वह 1994 से इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन, इंडिया चैप्टर के कार्यकारी सदस्य रहे हैं. वह 2007 में इंडिया इंटरनेशनल लॉ फाउंडेशन के सर्वसम्मत अध्यक्ष चुने गए थे और उस पद पर बरकरार हैं. वह दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश तथा बंबई उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के रूप में काम कर चुके हैं.

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