इजरायल में राजनीतिक संकट गहराया: संसद भंग, मुश्किल में Benjamin Netanyahu
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इजरायल में राजनीतिक संकट गहराया: संसद भंग, मुश्किल में Benjamin Netanyahu

गठबंधन सरकार के सहयोगी और रक्षामंत्री बेनी गेंट्ज (Benny Gantz) ने मांग की थी कि 2020 और 2021 दोनों को कवर करते हुए एक बजट पारित किया जाए, ताकि स्थिरता बनी रह सके. लेकिन प्रधानमंत्री इसके लिए तैयार नहीं हुए. इसी बात को लेकर गठबंधन में दरार चौड़ी हो गई.

 

फाइल फोटो

यरूशलम: इजरायल (Israel) में राजनीतिक संकट गहरा गया है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) की गठबंधन सरकार के बजट पारित करने में विफल रहने पर संसद को भंग कर दिया गया है. इस तरह से इजरायल महज दो सालों में चौथे आम चुनाव के करीब पहुंच गया है. गठबंधन सरकार के सहयोगी और रक्षामंत्री बेनी गेंट्ज (Benny Gantz ) ने नेतन्याहू पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि अब बेहतर यही होगा कि देश में नए चुनाव कराए जाएं. गौरतलब है कि दिसंबर की शुरुआत में संसद भंग करने का प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसके पक्ष में 61 वोट पड़े थे.  

  1. बजट पारित नहीं होने के चलते भंग हुई संसद
  2. अगले साल मार्च में कराए जा सकते हैं चुनाव
  3. प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर लगे हैं कई आरोप
  4.  

बस कुछ ही घंटे शेष

संसद भंग होने के बाद माना जा रहा है कि इजरायल (Israel) में अगले साल मार्च में चौथी बार आम चुनाव कराए जाएं. बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) सरकार के पास 2020 बजट पारित करवाने के लिए महज कुछ ही घंटों का समय है, यदि सरकार इसमें नाकाम रहती है, तो वैधानिक तौर पर संसद को भंग माना जाएगा और फिर चुनाव के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं रहेगा.

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Budget बना तकरार की वजह
नेतन्याहू लिकुड पार्टी के अध्यक्ष हैं, जबकि गेंट्ज ब्लू एंड व्हाइट पार्टी से जुड़े हैं. अप्रैल में दोनों दलों ने एक साझा समझौते के तहत सरकार बनाई थी. हालांकि, जल्द ही दोनों दलों के बीच मतभेद सामने आने लगे. गेंट्ज का कहना है कि बेंजामिन नेतन्याहू वादी खिलाफी कर रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने इन आरोपों को गलत बताया है. दोनों के बीच ताजा विवाद बजट को लेकर है. गेंट्ज ने मांग की थी कि 2020 और 2021 दोनों को कवर करते हुए एक बजट पारित किया जाए, ताकि स्थिरता बनी रह सके. लेकिन प्रधानमंत्री इसके लिए तैयार नहीं हुए. नेतन्याहू समर्थकों का कहना है कि गेंट्स का यह प्रस्ताव केवल सरकार को अस्थिर करने की साजिश है. वो नेतन्याहू को हटाकर खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं.

Netanyahu के लिए मुश्किल घड़ी
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू  के लिए यह मुश्किल की घड़ी है. उन पर पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और काफी समय से उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हो रहे हैं. ऐसे में यदि चुनाव होते हैं तो नेतन्याहू के लिए फिर से सत्ता में आना मुश्किल हो जाएगा. दिसंबर की शुरुआत में विपक्ष द्वारा 120 सदस्यीय सदन में संसद भंग करने का प्रस्ताव पेश किया था, जिसके पक्ष में 61 और विरोध में 54 वोट पड़े थे. इसके बाद प्रस्ताव को चर्चा के लिए विधायी समिति में भेजा गया था.

वादे नहीं निभा रहे Prime Minister

गेंट्ज ने आरोप लगाया है कि जब से सरकार बनी है, तभी से प्रधानमंत्री गठबंधन के वादे नहीं निभा रहे हैं. उन्होंने हाल ही में कहा था कि गठबंधन सहयोगियों को पता होना चाहिए कि उनका नेता क्या कर रहा है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि हमारे पास अब कोई रास्ता नहीं है. उन्होंने ये भी कहा था कि अब अगर सरकार और गठबंधन बचाने की किसी पर जिम्मेदारी है तो वो नेतन्याहू हैं. उन्हें यह तय करना होगा कि वे क्या चाहते हैं.

 

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