North Korea Covid Crunch: किम जोंग उन के सामने गंभीर संकट, बाहरी देशों से मदद लेंगे या देश को मरने के लिए छोड़ेंगे?
Advertisement
trendingNow11187870

North Korea Covid Crunch: किम जोंग उन के सामने गंभीर संकट, बाहरी देशों से मदद लेंगे या देश को मरने के लिए छोड़ेंगे?

Corona cases rised in North Korea: किम जोंग उन (Kim Jong-un) ने अपने शासन में ‘आत्म निर्भरता’ पर जोर दिया और बाहरी मदद को मना किया. लेकिन अब उत्तर कोरिया में कोरोना का संकट है, ऐसे में सवाल है कि क्या किम विदेशी सहयोग लेंगे या अपने देश को गंभीर बीमारी से तड़पता छोड़ देंगे.

North Korea Covid Crunch: किम जोंग उन के सामने गंभीर संकट, बाहरी देशों से मदद लेंगे या देश को मरने के लिए छोड़ेंगे?

North Korea is facing covid crunch: एक दशक से अधिक अवधि के दौरान उत्तर कोरिया (North Korea) के नेता के रूप में किम जोंग उन (Kim Jong-un) ने अपने शासन में ‘आत्म निर्भरता’ पर जोर दिया और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को दरकिनार किया. लेकिन अपने देश में कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के कारण वह विदेशी सहयोग लेने को लेकर गंभीर दुविधा में फंसे दिख रहे हैं.

भारी दुविधा में फंसे किम जोंग उन

इसके पहले उन्होंने अपनी लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को घरेलू रणनीति से ठीक करने का प्रयास किया. लेकिन उत्तर कोरिया में हजारों लोगों के कोविड-19 से संक्रमित होने की आशंका के चलते किम का अभिमान दांव पर है. किम इस समय चौराहे पर खड़े हैं, जहां उन्हें या तो अपने अभिमान से सौदा करके बीमारी से लड़ने के लिए विदेशी मदद प्राप्त करनी होगी या फिर अकेले चलना होगा. लेकिन अकेले चलने से बड़ी संख्या में लोगों के कोविड-19 से मरने की आशंका है, जिससे उनका नेतृत्व कमजोर हो सकता है.

अन्य देशों की मदद लेंगे किम जोंग उन?

सियोल स्थित क्यूंगनम विश्वविद्यालय (Yeungnam University) के सूदूर पूर्वी अध्ययन संस्थान की प्रोफेसर लिम एउल-चुल कहते हैं कि यिद किम अमेरिकी या पश्चिमी देशों की मदद स्वीकार करते हैं, तो उन्होंने जिस ‘आत्म निर्भरता’ की नीति का पालन दृढ़ता से किया है, उसे झटका लग सकता है और उन पर लोगों का विश्वास कमजोर हो सकता है.

यह भी पढ़ें: नंदी की मूर्ति ज्ञानवापी मंदिर का सबूत? स्कंद पुराण में भी मिलता है जिक्र

प्रोफेसर कहते हैं कि यदि वे कुछ नहीं करते यानी अकेले चलते हैं, तो संक्रमण से बड़ी संख्या में लोगों की मौत के रूप में एक आपदा का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के बाद से उत्तर कोरिया में 56 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि डेढ़ लाख से अधिक अन्य लोग बीमार हैं.

कोरोना एक गंभीर संकट

बाहरी पर्यक्षकों का कहना है कि बीमारी के ज्यादातर मामले कोरोना वायरस के कारण हैं. उत्तर कोरिया का सरकारी मीडिया कुछ भी कहे, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के कई गुना और गंभीर होने की आशंका है. उत्तर कोरिया में कोविड-19 की पर्याप्त जांच का अभाव है और विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तर कोरिया कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों को छिपा रहा है, ताकि संभावित अस्थिरता से बचा जा सके. क्योंकि जनता में अस्थिरता किम को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है.

मौत का आंकड़ा छुपा रहे हैं किम जोंग उन?

कुछ पर्यक्षकों ने कहा कि उत्तर कोरिया में बताया गया मौत का आंकड़ा कम है, जहां कि 2.6 करोड़ आबादी में से ज्यादातर लोगों को कोविड-19 का टीका नहीं लगाया गया है. उत्तर कोरिया सार्वजनिक रूप से मौतों की वास्तविक संख्या को छिपाने में सक्षम हो सकता है, लेकिन देश में आवाजाही और पृथकवास नियमों को लेकर कड़े प्रतिबंध इसकी कृषि को नुकसान पहुंचा सकते हैं. 2 साल से अधिक समय से जारी महामारी और सीमा बंद रहने के कारण इसकी अर्थव्यवस्था पहले से ही डांवाडोल है.

सियोल यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कोरियन स्टडीज के प्रोफेसर यांग मू-जिन ने कहा कि उत्तर कोरिया चिकित्सा आपूर्ति और भोजन और दैनिक आवश्यकताओं की कमी को लेकर भी चिंतित है, जो सीमा बंद होने के दौरान बाजारों से नदारद हैं. किम ने इसके पहले संयुक्त राष्ट्र समर्थित ‘कोवाक्स’ वितरण कार्यक्रम द्वारा दी जाने वाली टीकों की लाखों खुराक को अस्वीकार कर दिया था.

क्या फैसला लेंगे किम जोंग उन?

एक अन्य प्रोफेसर ने कहा कि किम अंततः चीनी सहायता प्राप्त करना चाहेंगे, लेकिन वह दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका या कोवाक्स से मदद नहीं लेंगे, क्योंकि इससे उनकी प्रतिष्ठा प्रभावित होगी. बाहरी सहायता प्राप्त करना उत्तर कोरिया को एक कठिन स्थिति में डाल देगा. किम ने पिछले दो वर्षों के दौरान बार-बार अपने देश को महामारी के लिए 'अभेद्य' बताया था. लेकिन गत शनिवार को उन्होंने कहा कि उनका देश 'उथल-पुथल' का सामना कर रहा है.

LIVE TV

Trending news