बोइंग 737 मैक्स 8: जानिए क्यों चीन ने की उड़ानें रोकने की जल्दबाजी
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बोइंग 737 मैक्स 8: जानिए क्यों चीन ने की उड़ानें रोकने की जल्दबाजी

इथोपिया में बोइंग 737 विमान हादसे के चौबीस घंटे के भीतर ही उसके मॉडल के विमानों की उड़ानों पर रोक लगा दी है.

 चीन ने बोइंग 737 विमान की उड़ानों को रोकने में जल्दबाजी दिखाई है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: हाल ही में इथोपिया का विमान क्रैश होने से क्रू मेबर्स सहित सभी यात्रियों की मौत से पूरी दुनिया सकते में है. यूथोपियन एयरलाइन्स का यह विमान इथोपिया की राजधानी अदीस अबाबा से नैरोबी के लिए रवाना हुआ था. 10 मार्च की सुबह उड़ान भरने के बाद कुछ ही मिनटों में यह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे उसमें सवार कई देशों के सभी 157 नागरिकों की मौत हो गई. इस हादसे की जांच के नतीजों का इंतजार किए बिना चीन ने अपने अपने देश की वायुसेवाओं से कह दिया है कि वे अपनी व्यावसायिक उड़ानों में बोइंग 737 मैक्स 8 का उपयोग बंद कर दें. 

दो साल पहले ही उपयोग में लाया गया यह मॉडल एक बार पहले भी इंडोनेशिया में हुए बड़े हादसे में दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है. बोइंग विमान का यह मॉडल बोइंग 737 मैक्स 8 जो पहले अक्टूबर 2018 में ही इंडोनेशियाई एयरलाइंस लॉयन एयर का विमान जाकार्ता से घरेलू उड़ान भरने के बाद 13 मिनट में ही क्रैश हो गया था. इस दुर्घटना में भी विमान में सवार क्रू सदस्यों सहित सभी 189 सवारों की मौत हो गई थी. इत्तेफाक की ही बात है कि यह विमान दुर्घटना भी सुबह ही हुई थी. 

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क्या है बोइंग 737 मैक्स 8
बोइंग 737 मैक्स 8 अमेरिकी की बहुराष्ट्रीय कम्पनी बोइंग कमर्शियल एयरप्लेन्स के बोइंग 737 की चौथी पीढ़ी की सबसे उन्नत विमान श्रृंखला है. नए एलईएपी-1बी इंजिनों से सुसज्जित विमान को बेहतर परफॉर्मेंस के लिए तैयार किया था जो कि अपनी पिछली पीढ़ी के विमान से 10-12 प्रतिशत बेहतर परफार्मेंस देने वाला बताया गया था.  इस नई पीढ़ी के विमान को बोइंग ने एयर के नए तत्कालीन विमान की प्रतिस्पर्धा में उतारा था. अगस्त 2011 में लॉन्च किया गया था, लेकिन इसकी पहली उड़ान मई 2016 को भरी गई थी. यह मॉडल बोइंग 737 800 मॉडल की जगह लेने के इरादे से विकसित किया गया था. इस नए मॉडल की मांग भी काफी रही. साल 2018 तक 350 विमान को आर्डर पूरा कर दिया गया था जबकी इसमें 5000 से ज्यादा आर्डर दिए गए थे. 

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सबसे पहले मलेशिया की एयरलाइंस ने इस मॉडल का उपयोग किया था. इसके बाद इसे नॉर्वे की एयरलाइंस ने इसकी उड़ान भरी थी. एक साल के भीतर ही 28 ग्राहकों के 130 विमान का आर्डर पूरा कर लिया गया था.  बेशक यह विमान अपने पहले विमानों से बेहतर माना जाता है, लेकिन दो एक ही तरह की विमान दुर्घटना ने इस पर सवाल उठा दिए हैं. हालांकि अभी इथोपिया विमान हादसे के निष्कर्षों पर पहुंचना जल्दबाजी ही होगी, लेकिन चीन ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने देश में व्यापारिक विमानों में बोइंग 737 मैक्स 8 के उपयोग को तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक बंद करने को कह दिया है. 

चीन ने यह वजह बताई विमानों को रोकने की
इथोपिया और इंडोनेशिय़ा के विमान हादसों में समानताओं को देखते हुए चीन के नागर विमानन प्राधिकरण ने कहा कि ये आदेश हमारी सुरक्षा मानदंडों की शू्न्य सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) की नीति के तहत लिया गया है. विमान संरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं की पुष्टि होने के बाद ही बोईंग 737 मैक्स8 का व्यावसायिक इस्तेमाल फिर से शुरू होगा. दरअसल चीन अमेरिका की उड्डयन कंपनियों के लिए एक अहम बाजार है. बोइंग कंपनी के 737 मैक्स8 विमानों के पांचवें हिस्से की खरीदारी चीन करता है. अब तक इस मॉडल के 76 विमान चीन को दिए जा चुके हैं, और 100 से भी ज्यादा दिए जाने हैं. फिलहाल चीन में करीब 96 बोइंग 737 मैकस 8 विमान सेवा में हैं, अब उनकी जगह इसके पुराने मॉडल 737 800 के विमान उपयोग में किए जाएंगे. 

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चीन क्यों इतनी जल्दबाजी दिखा रहा है?
चीन के इस कदम को अमेरिकी-चीन ट्रेडवार के नजरिए से देखा जाए तो पहली नजर में यह लग सकता है कि चीन ने यह कदम इसी परिपेक्ष्य में उठाया होगा. लेकिन इस बार में अभी कोई भी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की जल्दबाजी नहीं कर रहा है. इसके अलावा यह भी माना जाता रहा है कि हाल के ही कुछ सालों में चीन सुरक्षा नियामक के रूप में अपनी स्वतंत्रता चाह रहा है. चीन काफी समय से अमेरिका और यूरोप के नियामकों के साथ परस्पर सुरक्षा मानकों के लेकर बातचीत करता रहा है.

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चीन ने इस कदम से केवल यह जताने की कोशिश की है वह अपने देश में वायुसेवा उड़ानों के सुरक्षा नियामकों को लेकर बहुत गंभीर और संवेदनशील है. अभी चीन ने न तो बोइंग विमानों को पूरी तरह खारिज किया है और न ही अभी किसी विमान का आर्डर रद्द करने की मंशा जताई है. इसके बावजूद यह माना जा रहा है कि चीन इन दुर्घटनाओं को अपने देश में सुरक्षा नियामकों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना दखल मजबूत करना चाहता है. हालांकि विशेषज्ञ अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी ही मान रहे हैं. 

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