स्वतंत्र देश के तौर पर 1957 में मलेशिया के गठन के बाद से ही मलेशिया में बीएन गठबंधन का राज था और महातिर के विपक्षी गठबंधन ने जीत के साथ सत्ता पर उनकी पकड़ को खत्म कर दिया.
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कुआलालंपुर: मलेशिया में आम चुनावों में चौंकाने वाली जीत हासिल करने वाले 92 वर्षीय नेता महातिर मोहम्मद ने बीते 10 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. इसके साथ ही वह दुनिया के किसी देश के सबसे उम्रदराज शासनाध्यक्ष बन गए. महातिर की इस जीत के साथ ही देश में छह दशकों से चला आ रहा नेशनल फ्रंट (गठबंधन) का शासन खत्म हो गया. पारंपरिक मुस्लिम मलय पोशाक पहने महातिर को देश के सुल्तान किंग सुलमान मुहम्मद (पंचम) ने राष्ट्रीय महल में पद की शपथ दिलायी.
मलेशिया बनने के बाद से ही बीएन गठबंधन का
स्वतंत्र देश के तौर पर 1957 में मलेशिया के गठन के बाद से ही मलेशिया में बारिसन नेशनल (बीएन) गठबंधन का राज था और महातिर के विपक्षी गठबंधन ने जीत के साथ सत्ता पर उनकी पकड़ को खत्म कर दिया. देश पर 22 सालों तक शासन करने वाले महातिर के लिये यह नतीजे सत्ता में उनकी नाटकीय वापसी का ऐलान करते हैं जिन्होंने सियासत से अपने संन्यास को खत्म करते हुये प्रधानमंत्री नजीब रजाक को चुनौती दी थी. नजीब भ्रष्टाचार के व्यापक आरोपों में घिरे हैं.
महातिर ने शपथ ग्रहण करते हुए कहा, ‘‘मैं, महाथिर मोहम्मद, प्रधानमंत्री निर्वाचित होने के बाद अपनी पूरी क्षमता के साथ अपने कर्तव्य का पालन करने की और इस बात की शपथ लेता हूं कि मैं मलेशिया के प्रति वफादार रहूंगा और संविधान की हिफाजत करूंगा.’’ उनके शपथ लेने के साथ कुआलालंपुर में आकाश आतिशबाजी की जगमगाहट से रोशन हो गया.
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सड़क पर उमड़ा समर्थकों का हुजूम
इससे पहले महातिर और उनकी पत्नी सिती हसमाह मोहम्मद अली जब सुल्तान से मुलाकात के लिये कुआलालंपुर स्थित महल में जा रहे थे तो सड़क के दोनों ओर सैकड़ों समर्थक हाथ में झंडा लिए राष्ट्रगान गा रहे थे. भीड़ में मौजूद महातिर की पार्टी के सदस्य मोहम्मद अजलान शाह ने कहा कि वह ‘‘बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मलेशियाई राजीनति को बदलने का हमारा संघर्ष जाया नहीं गया. हमारा मानना है कि महातिर बदलाव ला सकते हैं.’’
अनवर इब्राहिम के साथ महातिर की सुलह
महातिर की वापसी का सबसे यादगार पहलू जेल में बंद विपक्षी नेता अनवर इब्राहिम के साथ उनकी सुलह है. अनवर एक समय महातिर विरोधी के तौर पर देखे जाते थे. अनवर को महातिर का उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन राजनीतिक मतभेद की वजह से 1998 में प्रधानमंत्री ने उन्हें हटा दिया था. बाद में अप्राकृतिक यौनाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप में उन्हें जेल भेज दिया गया था. जिसे व्यापक रूप से उनकी हार के तौर पर देखा गया.
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135 से अधिक सीटों पर जीत
अनवर को नजीब के शासन के दौरान फिर से जेल भेज दिया गया, लेकिन वह जून में जेल से बाहर आ जाएंगे. बीएन गठबंधन की हार देखते हुये नजीब गुरुवार (10 मई) सुबह मीडिया के सामने आए और कहा कि उन्हें लोगों का फैसला स्वीकार है हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी. महातिर के समर्थकों ने उनकी अप्रत्याशित जीत को लेकर कुआलालंपुर की सड़कों पर जश्न भी मनाया. 222 सदस्यीय संसद में नेशनल फ्रंट ने 135 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है.