Nepal: नए प्रधानमंत्री Sher Bahadur Deuba ने जीता विश्वास मत, PM Narendra Modi ने दी बधाई
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Nepal: नए प्रधानमंत्री Sher Bahadur Deuba ने जीता विश्वास मत, PM Narendra Modi ने दी बधाई

13 जुलाई को नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले शेर बहादुर देउबा ने संसद के निचले सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया है. उन्हें 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 वोट हासिल हुए हैं.

नेपाल के नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा.

काठमांडू: नेपाल (Nepal) के नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) ने रविवार को बहाल हुए संसद के निचले सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया. नेपाली कांग्रेस के 75 वर्षीय प्रमुख देउबा ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 मत हासिल किए.

  1. नेपाल के नए प्रधानमंत्री ने हासिल किया विश्वास मत
  2. संसद के निचले सदन में हासिल किए 165 वोट
  3. 13 जुलाई को ली थी प्रधानमंत्री पद की शपथ

249 सांसदों ने किया मतदान

बताया जा रहा है कि 249 सांसदों ने इस मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लिया, और उनमें से 83 ने देउबा के खिलाफ मतदान किया जबकि एक सांसद तटस्थ रहा. देउबा को संसद का विश्वास हासिल करने के लिए कुल 136 मतों की आवश्यकता थी. संसद के निचले सदन में नेपाली कांग्रेस के 61 सदस्य हैं. जबकि उसकी गठबंधन साझेदार नेपाली कम्युनिस्टी पार्टी (माओवादी केंद्र) के 48 सदस्य हैं. सीपीएन-यूएमल के 26 सदस्य माधव नेपाल के करीबी हैं. उन्होंने देउबा का समर्थन किया है. जनता समाजवादी पार्टी के यादव गुट ने भी देउबा का समर्थन किया है.

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पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने नेपाल के पीएम को बधाई देते हुए उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं सभी सेक्टर में अपनी अनूठी साझेदारी को और बढ़ाने के लिए आपके साथ काम करने तथा हमारे गहरे संबंधों को मजबूत करने के लिए तत्पर हूं.'

देउबा ने 13 जुलाई को ली शपथ

देउबा ने 13 जुलाई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. इससे एक दिन पहले ही नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा को बहाल करने का आदेश दिया था, जिसे 5 महीने में दूसरी बार 22 मई को तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (K.P Sharma Oli) की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भंग कर दिया था. अदालत ने फैसले को असंवैधानिक करार दिया था.

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