मन की चोट किसी को नहीं दिखती! सबकुछ होते हुए भी बेला हदीद उदास क्यों?
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मन की चोट किसी को नहीं दिखती! सबकुछ होते हुए भी बेला हदीद उदास क्यों?

बेला हदीद ने रोती हुई कुछ सेल्फी साझा कीं. वे कहती हैं, 'यह ऐसा अब मेरे साथ ऐसा हर रात, हर दिन होता है.' उन्होंने अपने मानसिक स्वास्थ्य संघर्षों के बारे में खुलकर बात की.

मन की चोट किसी को नहीं दिखती! सबकुछ होते हुए भी बेला हदीद उदास क्यों?

वॉशिंगटन: आज की तारीख में हर दिल में दर्द पलता है. ये दर्द ही आपके मन का अदृश्य लिबास बन जाता है. आप बाहर से कितने ही सुंदर कपड़े क्यों ना पहन लें, आप शारीरिक तौर पर कितने ही सुंदर क्यों ना दिखने लगें, आप कितनी ही चकाचौंध में क्यों ना रह लें. लेकिन अगर मन की गहराईयों में झांककर देखेंगे तो वहां आपको एक ऐसा अंधेरा दिखाई देता है जहां आपका हाथ पकड़ने वाला कोई नहीं है. ऐसी ही कहानी है अमेरिका की 25 वर्ष की सुपर मॉडल और अभिनेत्री बेला हदीद (Bella Hadid) की. आपको बता दें वो दुनिया की हाईएस्ट पेड मॉडल (Highest Paid Model) हैं, जिनके पास 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. 

  1. ब्रेक डाउन जैसी गंभीर समस्या से गुजर रही हैं बेला हदीद
  2. दुनिया की हाईएस्ट पेड मॉडल हैं बेला हदीद
  3. सब कुछ होते हुए भी बेला हदीद को किस बात का दुख?
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दिन-रात रोती है ये मॉडल

Bella Hadid को दुनिया की सबसे खूबसूरत मॉडल्स में से एक माना जाता है और सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा है. दुनिया के करोड़ों लोग उनकी खूबसूरती के दीवाने हैं और एक दिन उनके जैसी लाइफ स्टाइल जीने का सपना देखते हैं. लेकिन हाल ही में Bella Hadid ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें पोस्ट की हैं, जिसमें उन्हें बुरी तरह से रोते हुए देखा जा सकता है. Bella Hadid ने अपनी रोती हुई तस्वीरों के बारे में अपनी पोस्ट में लिखा है कि वर्षों से उनके कई दिन और कई रातें ऐसे ही बीत रही हैं, यानी कई बार उनके दिन की शुरुआत भी रोते हुए होती है और अंत भी रोते हुए ही होता है. उन्होंने अपने फैन्स से कहा कि सोशल मीडिया फेक (Social Media Fake) है. यानी यहां चीजें जितनी शानदार दिखाई देती हैं असल में वैसा नहीं होता.

'सोशल मीडिया फेक है'

वो आगे लिखती हैं कि लगभग हर किसी का यही हाल है, सब लोग दुविधा में, सब लोग खोए-खोए रहते हैं, किसी को ये समझ नहीं आता कि वो इस जीवन में कर क्या रहे हैं. Bella ने इस पोस्ट में ये भी कहा कि वो कई बार बर्न आउट (Burn Out) और ब्रेक डाउन (Break Down) का भी शिकार हो चुकी हैं. आपको बता दें कि बर्न आउट वो स्थिति है जब काम करते करते आपका मन बुरी तरह से थक जाता है, और आपमें इतनी भी ऊर्जा नहीं बचती कि आप एक दिन भी काम कर सकें, जबकि ब्रेक डाउन उस स्थिति को कहते हैं जब आप पूरी तरह से टूट जाते हैं और आपको आगे की कोई राह दिखाई नहीं देती और कई बार आप फूट-फूट कर रोने पर विवश हो जाते हैं.

चकाचौंध के पीछे का अंधेरा

दुनिया ने Bella Hadid को चकाचौंध के बीच रेड कार्पेट पर चलते हुए देखा है, लेकिन पिछले वर्षों से उनके मानसिक स्वास्थ्य का क्या हाल था इसका अंदाजा किसी को नहीं था. Bella Hadid ने कहा है कि उनके लिए मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना जरूरी हो गया है. Bella Hadid ने मशहूर अमेरिकी अभिनेता विल स्मिथ (Will Smith) की बेटी और गायिका विलो स्मिथ (Willow Smith) का एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें विलो स्मिथ मानसिक स्वास्थ्य पर बात कर रही हैं. विलो स्मिथ भी Bella Hadid की तरह बर्न आउट और ब्रेक डाउन का सामना कर चुकी हैं.

दोहरा जीवन जीते हैं कलाकार

Bella Hadid उन लोगों में से हैं जिन्हें दुनिया में खूबसूरती का पैमाना माना जाता है, ऐसे सेलेब्रिटीज स्टेज पर आने से पहले शानदार मेकअप करते हैं, अच्छा दिखने के लिए सर्जरी तक कराते हैं, स्पेशल डाइट लेते हैं, Gym में घंटों पसीना बहाते हैं. इन लोगों के पास दौलत और शोहरत सब कुछ होता है. कई लोग इन्हें अपना रोल मॉडल मानते हैं, इनके जैसा बनना चाहते हैं, इनके जैसा जीवन जीना चाहते हैं. लेकिन Bella Hadid की कहानी बताती है कि बड़े-बड़े फिल्म स्टार्स, Models और Celebrities जिन्हें आप अपने नायक या नायिका समझते हैं वो कैसे एक दोहरी जिंदगी जीते हैं.

ऐसी स्थिति में होता है ब्रेक डाउन

पर्फेक्ट दिखने की चाह, सोशल मीडिया पर फिल्टर लगाकर अपनी सुंदर तस्वीरें पोस्ट करने की लत और लगातार बिना थके काम करके बुलंदियां छूने की ख्वाहिशों के बीच कई बार हमारा मन भी हमसे चीख-चीख कर कहता होगा कि बस अब और दबाव नहीं सहा जाता. लेकिन हम अपने मन की सुनते ही कितनी बार हैं? शायद एक बार भी नहीं. दुनिया भर के लोग मोबाइल फोन के फिल्टर वाले लैंस में कैद होकर रह गए हैं. इन लेंस की मदद से आप अपने विकारों (Disorders) को छिपाते हैं, जीवन में कितनी गंदगी है ये आप किसी को दिखाना नहीं चाहते. आप इन Celebrities को अक्सर महंगे Resorts में जाते हुए देखते हैं, आलीशान पार्टियां करते हुए देखते हैं, महंगी छुट्टियां मनाते हुए देखते हैं, लेकिन आप ये नहीं समझ पाते कि इसकी कीमत क्या है. ये लोग कभी खुद को समय नहीं दे पाते, इन्हें अपने मानसिक स्वास्थ्य के साथ समझौते करने पड़ते हैं, ये छुट्टियां और ये आलीशान जीवन मुफ्त में नहीं आता इसके लिए कई कुर्बानियां देनी पड़ती हैं और जब इन समझौतों का दबाव ज्यादा हो जाता है तब ब्रेक डाउन जैसी स्थितियां आ जाती हैं.

1 मिनट लेट होने पर कट गई ड्राइवर की सैलरी

हाल ही में जापान में एक ट्रेन ड्राइवर की सैलरी इसलिए काट ली गई क्योंकि उसकी ट्रेन स्टेशन पर एक मिनट देर से पहुंची थी. जापान में समय का पालन करने पर बहुत जोर दिया जाता है. वहां उन्हीं लोगों को पर्फेक्ट माना जाता है जो एक मिनट की भी देरी नहीं करते. इसमें इंसानी गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती. जापान उन देशों में से एक है जहां सबसे ज्यादा रोबॉट्स (Robots) बनाए जाते हैं, लेकिन वहां के लोग भी दिन-रात रोबॉट की तरह ही काम करते हैं और जापान में काम के दौरान की गई गलतियों को बहुत गंभीरता से लिया जाता है. लेकिन जिस ट्रेन ड्राइवर ने एक मिनट की देरी की थी अब उसने अपनी ही कंपनी पर केस करके 14 लाख रुपये का हर्जाना मांगा है. इस ड्राइवर का कहना है कि समय की पाबंदी का इतना दबाव बहुत जहरीला है और इससे उसे मानसिक आघात लगा है. आपको बता दें कि जापान के रेलवे को समय का बहुत पाबंद माना जाता है. साल 2017 में जापान में एक ट्रेन समय से 20 सेकेंड पहले पहुंच गई थी तो ट्रेन चलाने वाली कंपनी ने यात्रियों से माफी मांगी थी.

रोबॉट बनते जा रहे हैं इंसान?

इस छोटे से उदाहरण से आप समझ गए होंगे कि कैसे काम के मामले में इंसानों को मशीनों जैसा समझा जाने लगा है, जिन्हें जरा सी भी गलती करने की इजाजत नहीं है. एक जमाना था जब कहा जाता था कि गलती तो इंसानों से ही होती है. लेकिन अब गलती करने वाले इंसान से पूछ लिया जाता है कि तुम कैसे इंसान हो जो इतनी गलतियां करते हो? लगातार बिना थके काम करते रहने का यही दबाव बर्न आउट और ब्रेक डाउन की वजह बनता है.

बर्न आउट और ब्रेक डाउन गंभीर समस्या

Bella Hadid अकेली ऐसी हस्ती नहीं है जिन्होंने बर्न आउट और ब्रेक डाउन की शिकायत की है. इससे पहले कॉमेडियन टिफनी हैडिश (Tiffany Haddish), अमेरिकी गायिका Beyonce, ब्रिटेन के राजकुमार प्रिंस हैरी की पत्नी Meghan Markle, अमेरिकी सिंगर और अभिनेत्री Selena Gomez, अमेरिका की मशहूर जिमनास्ट Simon Billes, और जापान की मशहूर टेनिस खिलाड़ी Naomi Osaka बर्न आउट का शिकार हो चुकी हैं. बर्न आउट होने की वजह से इनमें से कोई अपनी स्टेज परफॉर्मेंस पूरी नहीं कर पाया, तो कोई डिप्रेशन में चला गया, तो किसी को साल में सिर्फ 28 दिन ही ऐसे मिले जब वो अपनी नींद पूरी कर सका. सबसे हैरानी की बात तो ये है कि काम के बोझ का शिकार होने वाले इन लोगों की उम्र 28 से 40 वर्ष के बीच है.

गौरतलब है कि बर्न आउट की समस्या से सिर्फ लोकप्रिय हस्तियां ही परेशान नहीं है बल्कि आम लोग भी इसका शिकार हैं. हो सकता है हमारे- आपके बीच का ही कोई सदस्य भी बर्न आउट का शिकार हो. WHO भी बर्न आउट को एक मानसिक समस्या मानता है. WHO के मुताबिक ये एक ऐसा सिंड्रोम है जो काम के दौरान होने वाले तनाव से पैदा होता है और ये कई गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे सकता है. 

बर्न आउट के लक्षण

  • शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होना और जल्दी थक जाना.

  • अपने काम से एक दूरी बना लेना और मन लगाकर काम ना कर पाना

  • इसके अलावा मन में दूसरों के प्रति कुटिलता का भाव लाना और कार्यकुशलता का कम हो जाना

अमेरिकी कंपनी Gallup द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक दुनिया के 23% कर्मचारी मानते हैं कि वो अक्सर बर्न आउट का शिकार हो जाते हैं. ब्रिटेन में की गई एक स्टडी के मुताबिक कर्मचारियों द्वारा अचानक छुट्टी मांगने के पीछे मानसिक परेशानियां एक बड़ी वजह है. कर्मचारियों द्वारा अचानक छुट्टी लेने से दुनिया की अर्थव्यस्था को हर साल 70 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है.

इस समय दुनिया में लाखों करोड़ों लोग अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे रहे हैं और इस्तीफा देने वाले आधे से ज्यादा कर्मचारी ये मानते हैं कि वो बर्न आउट और इमोशनल ब्रेक डाउन का शिकार हो रहे हैं. बहुत सारे कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें काम के समय Anxiety होती है, कई कर्मचारियों ने डिप्रेशन की समस्या का जिक्र किया तो बहुत से लोगों ने कहा कि वो काम के समय भी उदास रहते हैं. काम का दबाव झेलने के बाद जब लोग घर पहुंचते हैं तो उन्हें वहां भी आराम नहीं मिलता, क्योंकि परिवार की उम्मीदों का बोझ उन्हें एक बार तनाव भरे काम की तरफ लौटने पर मजबूर करता है. इस स्थिति को मशहूर शायर निदा फाजली ने अपने एक शेर में कुछ यूं बयान किया है, वो कहते हैं...

सब कुछ तो है क्या ढूंढ़ती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूं नहीं जाता

यानी दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके मन को इस समय गहरी चोट लगी हुई है. लेकिन उनके आस पास कोई ऐसा नहीं है जो मन पर लगे जख्मों की मरहम पट्टी कर सके. अब सवाल ये है कि इससे बचा कैसे जाए?

तो इसका साधारण सा हल ये है कि आप अपने काम और अपनी महत्वकांक्षाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर हावी ना होने दें, क्योंकि मन पर लगी चोट की दवा आप लाखों करोड़ों रुपये की तनख्वाह से भी नहीं खरीद सकते.

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