म्यांमारः नोबेल विजेता 'आंग सान सू की' कोर्ट में हुईं पेश, पिछली सुनवाई में नहीं ले पाईं थी हिस्सा
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म्यांमारः नोबेल विजेता 'आंग सान सू की' कोर्ट में हुईं पेश, पिछली सुनवाई में नहीं ले पाईं थी हिस्सा

नोबेल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की अपदस्थ नेता 76 वर्षीय आंग सान सू की भ्रष्टाचार के एक मामले में जुंटा कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश हुईं. इससे पहले अस्वस्थ होने के कारण, वह पिछली सुनवाई में पेश नहीं हो पाई थीं. 

 

फाइल फोटो

यांगूनः नोबेल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की पर भ्रष्टाचार सहित कई अन्य आरोपों में मुकदमे चल रहे हैं. ऐसे में वह जुंटा कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश हुईं. हालांकि, इससे पहले स्वास्थ्य कारणों से वह पिछली सुनवाई में पेश नहीं हो पाई थीं. मामला एक हेलीकॉप्टर को लीज पर देने से संबंधित है.

  1. अपदस्थ आंग सान सू की कोर्ट में हुईं पेश
  2. स्वास्थ्य कारणों से पिछली सुनवाई में नहीं लिया था हिस्सा
  3. म्यांमार में सेना ने किया है तख्तापलट
  4.  

चक्कर आने की वजह से पिछली सुनवाई में नहीं हुईं पेश 

हमारी सहयोगी वेबसाइट विऑन में छपी खबर के अनुसार, मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि वह आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन के आरोप में पिछली सुनवाई में शामिल नहीं हुईं थी, क्योंकि उन्हें चक्कर आ रहे थे. बता दें कि हिरासत में लिए गए ऑस्ट्रेलियाई एकेडमिक सीन टर्नेल मामले में सू की के साथ सह-प्रतिवादी हैं.

कोर्ट में लगातार पेशी से पड़ा स्वास्थ्य पर असर

सूत्र ने कहा कि अब वह ठीक हैं. 76 वर्षीय सू की बीमारी के कारण पिछले साल सितंबर में सुनवाईके दौरान पेश नहीं हो पाई थीं. वहीं, अक्टूबर में उनके वकील ने कहा था कि जुंटा द्वारा संचालित कोर्ट में बार-बार पेश होने से, उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ा है. बता दें कि पत्रकारों को सेना द्वारा निर्मित राजधानी नैपीडॉ में मामले की सुनवाई में शामिल होने से रोक दिया गया है. वहीं, उनके वकीलों को प्रेस से बात करने से भी रोक दिया गया है.

सेना ने किया था तख्तापलट

जुंटा (सैन्य) ने घोषणा की है कि उसने सू की के खिलाफ उनकी मां के नाम पर एक चैरिटी फाउंडेशन के लिए दान के रूप में दिए गए 550,000 डॉलर के लिए भ्रष्टाचार का 11वां आरोप दायर किया है. सू की को पिछले साल तब में हिरासत में लिया गया है, जब सेना ने पिछले साल तख्तापलट में उनकी सरकार को हटा दिया गया था. इसके बाद बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसके बाद खूनी सैन्य कार्रवाई में 1,500 से अधिक नागरिक मारे गए थे.

150 साल से अधिक की हो सकती है सजा

एक स्थानीय निगरानी समूह के अनुसार, नोबेल पुरस्कार विजेता को कई आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उनको 150 साल से अधिक की जेल हो सकती है. सू की को पहले ही जनता को सेना के खिलाफ उकसाने, कोविड -19 नियमों का उल्लंघन करने और दूरसंचार कानून तोड़ने के लिए 6 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है. हालांकि, अन्य आरोपों में सुनवाई के दौरान वह घर में ही नजरबंद रहेंगी.

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