Dr Manmohan Singh death: पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय मनमोहन सिंह का पैत्रक गांव पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 100 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित ज़िला चकवाल का हिस्सा है. उनका जन्म अखंड भारत के ज़िला झेलम के गांव में एक कपड़े के दुकानदार गुरमुख सिंह और उनकी पत्नी अमृत कौर के घर हुआ था, जिसकी यादें वहां के लोगों के जेहन में आज भी ताजा हैं.
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Shehbaz Sharif Nawaz Sharif criticised: कहावत है कि कोई सुख में बुलाए तो जाओ चाहे न जाओ लेकिन किसी परिचित भले ही उससे बोलचाल बंद हो और उसके यहां दुख हो तो शोक संवेदना जताने जाना चाहिए. लेकिन लगता है कि पाकिस्तान के वर्तमान हुक्मरान ये बुनियादी तहजीब तक भूल गए हैं, इसलिए अब उन्हीं के मुल्क की जनता उन्हें शिष्टाचार का सबक सिखा रही है. दरअसल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर दुनियाभर के नेताओं ने संवेदना जताते हुए संदेश भेजा लेकिन शहबाज शरीफ और उनके भाई नवाज शरीफ दोनों ने चुप्पी साध रखी मानो उनकी जुबान को लकवा मार गया हो. पाकिस्तानी शरीफों की करतूत से इसलिए भड़के हैं क्योंकि मनमोहन सिंह का जन्म अखंड भारत की उस जमीन पर हुआ था जो आज पाकिस्तान है.
पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर खलभली
मनमोहन सिंह के निधन पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के संवेदना न जताने के फैसले की सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है. मनमोहन सिंह की जड़े पाकिस्तान से जुड़ी थीं. पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के गाह गांव में जन्मे मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. जिनका हाल ही में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. मनमोहन सिंह के निधन पर दुनिया भर से शोक संदेश आए लेकिन न तो शहबाज शरीफ और न ही उनके बड़े भाई और तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ ने उनके निधन पर कोई शब्द कहा.
पाकिस्तानी बुद्धिजीवियों का कहना है कि 21 करोड़ आबादी वाले मुल्क की विडंबना है कि महज विदेश मंत्री इशाक डार ने संवेदना प्रकट की.
जिमी कार्टर के इंतकाल से दुखी हुए शहबाज शरीफ
विल्सन सेंटर साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने रविवार को ‘एक्स’ पर कहा, 'न तो शाहबाज और न ही नवाज शरीफ ने मनमोहन सिंह के निधन पर सार्वजनिक रूप से शोक व्यक्त किया है.' पाकिस्तानी लेखिका और सैन्य मामलों की विशेषज्ञ आयशा सिद्दिका ने तंज कसते हुए कहा, 'लगता है कि शरीफ ब्रदर्स, मोदी को नाराज नहीं करना चाहती, या फिर शायद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज वालों को ये लगता है कि जिसे जाना था, वो चला गया और बात खत्म हो गई.'
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पाकिस्तानी पत्रकार अम्मारा अहमद ने कहा, 'ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. मैं नहीं जानती ऐसा क्यों हुआ? मुझे ये कुछ बचकाना सा लगा.' आपको बताते चलें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक सांत्वना जताने से दूरी बनाने वाले कथित 'शरीफों' और पाकिस्तानी सरकार के अफसरों ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के इंतकाल पर संवेदना जताने में देर नहीं लगाई, मानो उनका कोई अपना अल्लाह को प्यारा हो गया हो.