गुब्बारे जैसे आकार में बनी इस एयरशिप (Airship) का इस तरह डिजाइन किया गया है कि तमाम सुविधाएं होने के बाद भी यह हवाई जहाज से काफी हल्का होता है. इसमें ईंधन कम लगता है और यह कई एडवांस्ड टेक्नॉलॉजी से भी लेस है. एयरलैंडर की छत और फर्श दोनों ही कांच के बनाए गए हैं. इससे यात्रियों को आसमान और धरती दोनों के बेहद खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे.
दुनिया यह सबसे बड़ा एयरशिप 299 फीट (91 मीटर) लंबा और 112 फीट (34 मीटर) चौड़ा है. इसमें एक बार में 100 लोग बैठ सकेंगे. कंपनी का कहना है कि इसकी सेवाएं 2025 तक शुरू हो जाएंगी. इसे कम दूरी के लोकप्रिय डेस्टिनेशंस के बीच चलाया जाएगा.
लाइव साइंस वेबसाइट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के टेक्निकल डायरेक्टर माइक डरहम ने कहा है कि इससे कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम किया जा सकेगा. उन्होंने दावा किया कि इस एयरशिप से 90 फीसदी से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सकेगा.
इस एयरशिप को डिजाइन करते हुए पैसेंजर्स के आराम का खास ख्याल रखा गया है. साथ ही इसका इंटीरियर बेहद खूबसूरत और लग्जरी है. हालांकि इसके लिए पैसेंजर्स को अपनी खासी जेब ढीली करनी पड़ेगी.
इस एयरशिप की सेवाएं शुरू करने से पहले ही इस एयरशिप का अपग्रेडेड वर्जन लाने की योजना भी कंपनी ने बता दी है. इसके मुताबिक 2030 में कंपनी इसका इलेक्ट्रिक वर्जन लाएगी. कंपनी के इंजीनियरों ने कहा कि एयरलैंडर में पारंपरिक बैटरियों के बजाय, तरल हाइड्रोजन ईंधन सेल का यूज किया जाएगा. यह बैटरी की तुलना में ज्यादा ऊर्जा स्टोर कर सकती है.
इस एयरशिप की अधिकतम गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. हालांकि इसे 100 किमी/घंटा की रफ्तार से ही चलाने की बात कंपनी ने कही है. वैसे तो यह एयरशिप 60 किमी से 400 किमी तक की यात्रा कर सकता है, लेकिन यह बहुत कम जगहों पर ही लैंड हो पाएगा. खास बात यह है कि यह एयरलैंडर पानी पर भी लैंड हो सकेगा. इस एयरशिप में बेडरूम और बार भी होगा.
(फोटो साभार: बिजनेस इनसाइडर)
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