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Unheard War Crime: गर्भवती महिलाओं के शरीर में डाले जाते थे जानलेवा Virus, जापानी सेना की भयावह सच्चाई

जापान की कुख्यात यूनिट 731 (Japanese war crimes Unit-731) के कारनामों को सबसे खतरनाक वॉर क्राइम (War Crime) में गिना जाता है. विश्वयुद्ध के दौरान ये सबसे खतरनाक शोध करने वाली टीम थी. यूनिट के पास कई गुप्त लैब (Lab) थीं जिन्हें इतिहास का सबसे खौफनाक टॉर्चर हाउस माना जाता है.

'जैविक हथियार बनाने की शुरुआत'

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'जैविक हथियार बनाने की शुरुआत'

दरअसल, यूनिट 731 को जापान की सेना ने जैविक हथियार (Biological weapons) बनाने के लिए शुरू किया था, ताकि वो दुश्मनों पर इसका इस्तेमाल कर सकें. इसकी सीक्रेट लैब्स में इंसानों के शरीर में खतरनाक वायरस और केमिकल्स डालकर प्रयोग होते थे. इंसानों को इस लैब में ऐसी खौफनाक यातनाएं दी जाती थीं, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा.

 

फोटो साभार: (रॉयटर्स)

'महिलाओं के साथ होती थी हैवानियत'

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'महिलाओं के साथ होती थी हैवानियत'

महिला कैदियों के साथ जापानी आर्मी जबरदस्ती संबंध बनाकर उन्हें प्रेगनेंट करने के लिए मजबूर करती थी. जिसके बाद गर्भवती महिलाओं के ऊपर वह तरह-तरह के हथियारों का प्रयोग करती थी. इतना ही नहीं, वह उनके शरीर में जानलेवा बीमारियों के जीवाणु भी छोड़ देते थे, सिर्फ ये देखने के लिए की वो कितने दिन तक जिंदा रह पाती है.

 

फोटो साभार: (शिन्हुआ)

गुप्त यूनिट की रेयर तस्वीर

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गुप्त यूनिट की रेयर तस्वीर

अगस्त 1945 में, हिरोशिमा और नागासाकी दोनों पर बमबारी होने के बाद, सोवियत सेना ने मंचूरिया पर हमला किया. इस लड़ाई में जापानी सेना बुरी तरह हारी और यूनिट 731 को आधिकारिक रूप से भंग कर दिया गया था. हालांकि, इस यूनिट में किए गए ज्यादातार प्रयोग को जला दिया गया था. इसके साथ ही जापान ने 13 वर्षों के रिसर्च में पाए गए सभी उपयोगी जानकारी को भी नष्ट कर दिया.

 

फोटो साभार: (NHK Screenshot)

'बिना एनेस्थीसिया के बेहोश किए होते थे प्रयोग'

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'बिना एनेस्थीसिया के बेहोश किए होते थे प्रयोग'

उस दौर में इजिप्ट में एक जानलेवा बीमारी फैल रही थी, जिसका नाम था सिफलिस. जापान ने इस बीमारी का अध्ययन करने के लिए इसके जीवाणु बंदी बनाये हुए कैदियों में डाल दिये थे. इस बीमारी को फैलाने के लिए इससे ग्रसित हुए कैदियों को वह चीन के औरतों के साथ जबरदस्ती संबंध बनाने के लिए भी मजबूर करते थे.

'जिसने भी सुना दहल गया'

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'जिसने भी सुना दहल गया'

ऐसे ही एक और दर्दनाक प्रयोग की बात करें तो फ्रॉस्टबाइट टेस्टिंग नाम के इस प्रयोग में इंसान के हाथ-पैर को पानी में डुबा दिया जाता था और वो जब तक जम न जाए, तब तक पानी को ठंडा किया जाता था. इसके बाद जमे हुए हाथ-पैरों को गर्म पानी में पिघलाया जाता था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अलग-अलग तापमान का इंसानी शरीर पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है.

 

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

भयावह सच्चाई

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भयावह सच्चाई

चीन के पिंगफांग में मौजूद यूनिट 731 खतरनाक प्रयोग करने वाली ये कोई इकलौती लैब नहीं थी. बल्कि चीन में इसकी और भी कई शाखाएं थीं, जिनमें लिंकोउ (Branch 162), मु़डनजियांग (Branch 643), सुनवु (Branch 673) और हैलर (Branch 543) शामिल थीं. हालांकि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद खतरनाक प्रयोग करने का काम रूका तो ये जगहें वीरान हो गईं. अब तो इनमें से कई जगहों पर लोग घूमने के लिहाज से भी आते हैं. चीनी वेबसाइट Ecns wire के मुताबिक अभी पिछले हफ्ते ही यूनिट 731 की उन खौफनाक जुल्मों को दिखाती एक प्रदर्शनी लगाई गई थी. 

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