डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2020 में स्पेन (Spain) में एक छात्र के स्कर्ट पहनकर क्लास में आने के बाद उसे स्कूल से निकाल दिया गया था. इसके साथ ही उसे मानसिक रूप से कमजोर बताकर मनोवैज्ञानिक के पास भेजा गया. इसके बाद उस बच्चे के सपोर्ट में पूरे देश में कैंपेन चल रहा है और टीचर्स के अलावा कई अन्य लोग स्कर्ट पहनने लगे हैं.
यह आंदोलन जेंडर इक्वालिटी (Gender Equality Movement) को लेकर छेड़ा गया है और अब पूरे स्पेन में 'द क्लॉथ्स हैव नो जेंडर' कैंपेन चल रहा है. इस आंदोलन को पूरे देश में समर्थन मिल रहा है.
स्कूल से निकाले जाने के बाद छात्र ने अपनी स्टोरी टिकटॉक (TikTok) के जरिए शेयर की और बताया कि वो इस तरह सिर्फ महिलावाद और विविधता का समर्थन करना चाहता था.
स्कर्ट पहनने की वजह से बच्चे को स्कूल से निकाले जाने के बाद मैथ टीचर जोस पिनास (Jose Pinas) ने द क्लॉथ्स हैव नो जेंडर (#LaRopaNoTieneGenero) आंदोलन नवंबर में शुरू किया गया. हालांकि यह अभियान ने पिछले महीने ज्यादा चर्चा में आया, जब विर्जेन डी सेसेडोन प्राइमरी स्कूल के टीचर मैनुअल ओर्टेगा और बोरजा वेलाक्वेज स्कर्ट पहनकर स्कूल पहुंच गए.
37 साल के मैन्युएल ओर्टेगा (Mr Ortega) और 36 साल के बोर्जा वेलाजक्वेज (Mr Velazquez) का कहना है कि वे एक महीने से स्कर्ट पहनकर ही स्कूल आ रहे हैं. वहीं इस कैंपेन को शुरू करने वाले जोस पिनास (Jose Pinas) पिछले साल से ही स्कर्ट पहनकर स्कूल आ रहे हैं. उनका कहना है कि इसका मकसद सस्ती लोकप्रियता हासिल करना नहीं, बल्कि वे इस तरह जेंडर इक्वालिटी के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं.
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