पंजाबी को कनाडा की संसद में मिला तीसरी बड़ी भाषा का दर्जा
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पंजाबी को कनाडा की संसद में मिला तीसरी बड़ी भाषा का दर्जा

पंजाबी के कनाडा की तीसरी सबसे बड़ी आम भाषा बनने के चार साल बाद उसने अब देश की नई संसद में अंग्रेजी और फ्रांसीसी के बाद में तीसरी सबसे बड़ी भाषा का दर्जा हासिल कर लिया है। हाउस ऑफ कॉमंस में 20 पंजाबी भाषी उम्मीदवार चुने गए हैं, उनमें 18 लिबरल हैं और दो कंजरवेटिव हैं।

पंजाबी को कनाडा की संसद में मिला तीसरी बड़ी भाषा का दर्जा

टोरंटो : पंजाबी के कनाडा की तीसरी सबसे बड़ी आम भाषा बनने के चार साल बाद उसने अब देश की नई संसद में अंग्रेजी और फ्रांसीसी के बाद में तीसरी सबसे बड़ी भाषा का दर्जा हासिल कर लिया है। हाउस ऑफ कॉमंस में 20 पंजाबी भाषी उम्मीदवार चुने गए हैं, उनमें 18 लिबरल हैं और दो कंजरवेटिव हैं।

कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमंस के लिए 19 अक्टूबर को हुए चुनाव में दक्षिण एशियाई मूल के 23 सदस्य निर्वाचित हुए। 'द हिल टाईम्स' के अनुसार उनमें से तीन पंजाबी नहीं बोलते हैं। पहले सदस्य चंद्र आर्य हैं जिनका जन्म और पालन-पोषण भारत में हुआ, दूसरे सदस्य गैरी आनंदसागी हैं, जो तमिल हैं। वहीं तीसरे मैरियम मोसेंफ हैं, जो अफगान मूल के हैं। 

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