कनाडा की संसद की तीसरी भाषा बनी पंजाबी
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कनाडा की संसद की तीसरी भाषा बनी पंजाबी

पंजाबी के कनाडा की तीसरी सबसे बड़ी आम भाषा बनने के चार साल बाद उसने अब देश की नई संसद में अंग्रेजी और फ्रांसीसी के बाद में तीसरी सबसे बड़ी भाषा का दर्जा हासिल कर लिया है और हाउस ऑफ कॉमंस में 20 पंजाबी भाषी उम्मीदवार चुने गए हैं। कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमंस के लिए 19 अक्तूबर को हुए चुनाव में दक्षिण एशियाई मूल के 23 सदस्य निर्वाचित हुए।

टोरंटो : पंजाबी के कनाडा की तीसरी सबसे बड़ी आम भाषा बनने के चार साल बाद उसने अब देश की नई संसद में अंग्रेजी और फ्रांसीसी के बाद में तीसरी सबसे बड़ी भाषा का दर्जा हासिल कर लिया है और हाउस ऑफ कॉमंस में 20 पंजाबी भाषी उम्मीदवार चुने गए हैं। कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमंस के लिए 19 अक्तूबर को हुए चुनाव में दक्षिण एशियाई मूल के 23 सदस्य निर्वाचित हुए।

एक रिपोर्ट के अनुसार, उनमें से तीन पंजाबी नहीं बोलते हैं। पहले सदस्य चंद्र आर्य हैं जिनका जन्म और पालनपोषण भारत में हुआ, दूसरे सदस्य गैरी आनंदसागी हैं जो तमिल हैं और तीसरे मैरियम मोसेंफ है जो अफगान मूल के हैं। पंजाबी बोलने वाले जो 20 उम्मीदवार निर्वाचित हुए हैं उनमें 18 लिबरल हैं और दो कंजरवेटिव हैं। 

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