Ukraine Crisis: रूस ने क्यों की भारत-चीन की तारीफ? कहा- अमेरिकी दबाव के बाद भी डटे रहे
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Ukraine Crisis: रूस ने क्यों की भारत-चीन की तारीफ? कहा- अमेरिकी दबाव के बाद भी डटे रहे

Russia-Ukraine Crisis: रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में साथ देने पर भारत और चीन समेत कई देशों का आभार जताया है. रूस  (Russia) ने कहा कि ये देश अमेरिकी दबाव के आगे भी नहीं झुके और सच का साथ दिया. 

Ukraine Crisis: रूस ने क्यों की भारत-चीन की तारीफ? कहा- अमेरिकी दबाव के बाद भी डटे रहे

Russia-Ukraine Crisis: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में यूक्रेन (Ukraine) की स्थिति पर चर्चा के लिए हुई बैठक में साथ देने के लिए रूस (Russia) ने भारत, चीन, केन्या और गैबॉन का आभार जताया है. संयुक्त राष्ट्र में तैनात एक रूसी राजनयिक ने ‘अमेरिकी (US) दबाव के बावजूद डटे रहने’ पर चारों देशों को शुक्रिया अदा किया. 

  1. यूक्रेन सीमा पर जमे हैं 1 लाख रूसी सैनिक
  2. 'जनसंपर्क हथकंडे का था तरीका'
  3. 'भारत-चीन जैसे देशों का आभार'

यूक्रेन सीमा पर जमे हैं 1 लाख रूसी सैनिक

बता दें कि यूक्रेन (Ukraine) की सीमाओं के पास हजारों रूसी (Russia) सैनिक पिछले 2 महीने से घेरा डाले हुए हैं. इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अमेरिका के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को अहम बैठक की थी. इस बैठक के लिए परिषद को नौ मतों की आवश्यकता थी. रूस और चीन ने बैठक के खिलाफ मतदान किया, जबकि भारत, गैबॉन और केन्या ने भाग नहीं लिया. वहीं फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन सहित परिषद के 10 अन्य सदस्यों ने बैठक के चलने के पक्ष में मतदान किया. 

बैठक में भारत ने बल दिया कि यूक्रेन संकट का हल निकालने के लिए शांत और रचनात्मक  कूटनीति  समय की आवश्यकता है. इसलिए  अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के व्यापक हित में किसी भी पक्ष को तनाव बढ़ाने वाले कदम से बचना चाहिए. 

'जनसंपर्क हथकंडे का था तरीका'

इस बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में तैनात रूस (Russia) के प्रथम उप स्थाई प्रतिनिधि दमित्रि पोलिंस्की ने सोमवार को ट्वीट कर अपना जवाब दिया. पोलिंस्की ने ट्विटर पर लिखा, ‘जैसा हमने उम्मीद की थी, यह एक जनसंपर्क हथकंडे के अलावा और कुछ नहीं था. यह ‘मेगाफोन डिप्लोमेसी’ (सीधे बातचीत करने के बजाय विवादित मामले में सार्वजनिक बयान देने की कूटनीति) का उदाहरण है. कोई सच्चाई नहीं, केवल आरोप और निराधार दावे.’

'भारत-चीन जैसे देशों का आभार'

पोलिंस्की ने कहा, ‘यह अमेरिकी कूटनीति का सबसे खराब स्तर है. अपने चार सहयोगियों चीन, भारत, गैबॉन और केन्या का धन्यवाद, जो मतदान से पहले अमेरिकी दबाव के बावजूद डटे रहे.’

 इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी (US) राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने ट्वीट कर कहा था, ‘रूस (Russia) की आक्रामकता केवल यूक्रेन (Ukraine) और यूरोप के लिए खतरा नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए भी खतरा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर इसे जिम्मेदार बनाने का दायित्व है. यदि पूर्व साम्राज्यों को बल से अपने क्षेत्र फिर से हासिल करना शुरू करने का लाइसेंस मिल जाए, तो दुनिया के लिए इसका क्या अर्थ होगा? यह हमें एक खतरनाक मार्ग पर ले जाएगा.’ 

'रूस की सद्भावना की परीक्षा'

ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘हम स्वयं पर संकट आने से रोकने के लिए यूएनएससी में इस मामले को लेकर आए. यह रूस की सद्भावना की परीक्षा होगी कि क्या वह वार्ता की मेज पर बैठेगा और तब तक बना रहेगा, जब तक हम किसी सहमति पर नहीं पहुंच जाते? अगर वह ऐसा करने से इनकार करता है, तो दुनिया को पता चल जाएगा कि इसके लिए कौन और क्यों जिम्मेदार है.'

बता दें कि रूस (Russia) ने बार-बार इस बात से इनकार किया कि वह यूक्रेन (Ukraine) पर हमले की योजना बना रहा है. हालांकि उसके करीब एक लाख सैनिक अपने भारी हथियारों के साथ रूस-यूक्रेन सीमा पर लगातार युद्धाभ्यास कर रहे हैं. जिससे इस बात की आशंका बनी हुई है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है. 

'यूक्रेन को नाटो में शामिल न करने की मांग'

रूस (Russia) की मांग है कि अमेरिका (US) उससे वादा करे कि वह कभी भी यूक्रेन (Ukraine) को नाटो में शामिल नहीं करेगा और न ही यूक्रेन में अपने हथियार तैनात करेगा. रूस का कहना है कि अगर अमेरिका ऐसा करता है तो उसकी सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा, जो उसे बिल्कुल भी मंजूर नहीं है. रूस ने इस मुद्दे पर अमेरिका से सुरक्षा गारंटी देने की मांग कर रखी है, जिसे मानने से अमेरिका ने इनकार कर दिया है. 

ये भी पढ़ें- यूक्रेन को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस-अमेरिका का आमना-सामना

'सभी देश मिलकर तनाव को तत्काल कम करें'

इसी बीच संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने परिषद में कहा कि नई दिल्ली यूक्रेन (Ukraine) से संबंधित घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रही है. तिरुमूर्ति ने कहा, ‘भारत का हित एक ऐसा समाधान खोजने में है जो सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को तत्काल कम कर सके और इसका उद्देश्य क्षेत्र तथा उसके बाहर दीर्घकालिक शांति और स्थिरता हासिल करना हो.’

तिरुमूर्ति ने कहा कि यूक्रेन (Ukraine) के सीमावर्ती इलाकों समेत उस देश के विभिन्न हिस्सों में 20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक पढ़ते एवं रहते हैं. इस इलाके में अपने नागरिकों की सुरक्षा भारत की पहली प्राथमिकता है.

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