Russia-Ukraine War Update: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) का खामियाजा कुछ भारतीयों को भी भुगतना पड़ा है. वे रूस और अन्य देशों में जाने को मजबूर हो गए हैं. आइए जानते हैं कि इसकी क्या वजह है.
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Russia-Ukraine War Latest News: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को शुरू हुए आज पूरा 1 साल हो गया है. 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था. 365 दिन बीत जाने के बाद भी रूस-यूक्रेन के बीच बात नहीं बन पाई. इस युद्ध में यूक्रेन को भारी नुकसान पहुंचा है. उसके कई शहर तबाह हो गए हैं. हालांकि, यूक्रेन के साथ युद्ध लंबा खिंचने की वजह से रूस भी मुश्किल में है. रूस के सैनिकों के भी बड़ी संख्या में मारे जाने का दावा किया गया है. लेकिन, युद्ध का असर सिर्फ यूक्रेन और रूस के वासियों पर ही नहीं पड़ा है, कई हजार भारतीय स्टूडेंट्स को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. वे यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. तभी रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया और इन भारतीय स्टूडेंट्स को स्वदेश वापस आना पड़ा. लेकिन अब उनको अपनी MBBS की डिग्री पूरी करने के लिए रूस और अन्य देशों में जाना पड़ रहा है.
ये करने को मजबूर हुए भारतीय स्टूडेंट
यूक्रेन पर रूस का हमला होने के बाद भारत लौटीं मेडिकल स्टूडेंट जिसना जीजी ने कहा कि वह यूक्रेन में अपनी मेडिकल की डिग्री की आखिरी साल की पढ़ाई कर रही थीं. लेकिन अब अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए उनको रूस के एक इंस्टीट्यूट में दाखिला लेना पड़ा है. जीजी लगभग 1 साल पहले यूक्रेन से भारत आई थीं.
रूस-यूक्रेन युद्ध से थे सरप्राइज
हालांकि, जीजी ने ये भी बताया कि रूस में उनका स्वागत हो रहा है. उनसे कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा रहा है. हमें अपनी स्टडी जारी करने दी जा रही है. हमारी मेहनत बेकार नहीं जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि साल 2022 उनके लिए इतना उथल-पुथल वाला रहेगा.
17 हजार लोगों को वापस लाया गया भारत
गौरतलब है कि रूस की तरफ से छेड़े गए युद्ध से सभी सरप्राइज थे. इसके बाद जीजी समेत सैकड़ों स्टूडेंट यूक्रेन के वेस्टर्न बॉर्डर पर पहुंचे. भारतीय स्टूडेंट्स को भारत सरकार के ऑपरेशन गंगा के अंतर्गत वापस अपने देश लाया गया. जंग से प्रभावित यूक्रेन से 17 हजार लोगों को भारत लाया गया, जिनमें से अधिकतर स्टूडेंट हैं.
जान लें कि यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई कर रहे कई इंडियन स्टूडेंट्स के सामने यूक्रेन से बाहर जाने और दूसरे देशों के यूनिवर्सिटी में पढ़ाई पूरी करने के सिवा कोई ऑप्शन नहीं था. कई भारतीय स्टूडेंट्स ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रूस, उज्बेकिस्तान, सर्बिया और अन्य यूरोपीय देशों का ऑप्शन चुना.
(इनपुट- भाषा)
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