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ग्लासगो: स्कॉटलैंड (Scotland) के ग्लासगो (Glasgow) शहर में दो भारतीयों (Indians) को हिरासत में लिए जाने पर जमकर हंगामा हुआ. सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और भारतीयों को लेकर जा रही वैन को घेर लिया. करीब आठ घंटे वैन और उसमें बैठे इमीग्रेशन अधिकारी यूं ही फंसे रहे. बाद में स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने दोनों भारतीयों को रिहा कर दिया. यह रिहाई किसी फिल्मी सीन की तरह थी. जैसे ही दोनों वैन से बाहर निकले लोगों ने तालियों के साथ उनका स्वागत किया.
स्कॉटलैंड की प्रधानमंत्री (First Minister) निकोला स्टुजर्न (Nicola Sturgeon) ने इमीग्रेशन विभाग की कार्रवाई को एकतरफा और गलत करार दिया है. हालांकि, इमीग्रेशन अधिकारियों का कहना है कि सुमित सहदेव और लखबीर सिंह नामक भारतीय स्कॉटलैंड में अवैध रूप से रह रहे हैं, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया था. सुमित शेफ (Sumit Sehdev) और लखबीर मैकेनिक (Lakhvir Singh) हैं. दोनों 10 साल पहले ब्रिटेन आए थे, लेकिन बाद में स्कॉटलैंड शिफ्ट हो गए.
This is the moment that People Power forced the release of Sumit Sehdev and Lakhvir Singh.
They were detained following a Home Office Immigration raid during Eid - with the power of solidarity and humanity the people of Glasgow mobilised and said NO pic.twitter.com/bDCKI0UwdF
— Claudia Webbe MP (@ClaudiaWebbe) May 14, 2021
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ब्रिटिश इमीग्रेशन विभाग के 6 अधिकारी गुरुवार को दोनों भारतीयों के घर पहुंचे थे. उनके साथ स्थानीय पुलिस भी मौजूद थी. पुलिस ने सुमित सहदेव और लखबीर सिंह को हिरासत में लिया और दोनों को डिटेंशन वैन में बैठाकर वहां से जाने लगी. जैसे ही सुमित और लखबीर के पड़ोसियों को इसका पता चला, उन्होंने पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया. देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और वैन को चारों तरफ से घेर लिया.
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इमीग्रेशन और पुलिस अधिकारियों ने भीड़ को समझाने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि दोनों के पास ब्रिटेन में रहने के वैध दस्तावेज नहीं हैं, लेकिन लोग कुछ सुनने को तैयार नहीं थे. इस पूरे मामले में पाकिस्तानी मूल के स्थानीय वकील आमेर अनवर (Aamer Anwar) ने भारतीयों की मदद की. इस दौरान भीड़ लगातार नारेबाजी करती रही. अनवर ने कहा कि पुलिस ने ईद के दिन भड़काने वाली कार्रवाई की है. अधिकारी इन लोगों के जीवन की परवाह नहीं करते, लेकिन ग्लासगो के लोग करते हैं. यह शहर शरणार्थियों के परिश्रम से ही बसा है.
रिहाई के बाद लखबीर ने कहा, ‘मैं नहीं जानता था कि पुलिस हमें क्यों ले जा रही है और आगे हमारे साथ क्या होगा, लेकिन, हमारे पड़ोसियों ने हमें बचा लिया’. भारी दबाव के बीच जैसे ही दोनों भारतीयों को रिहा किया गया, वहां मौजूद लोगों ने काफी देर तक तालियां बजाकर उनका स्वागत किया. कुछ लोग हाथों में बैनर भी लिए हुए थे, जिन पर लिखा था- शरणार्थियों का स्वागत है’.