फ्रांस : पुलिस हिंसा के विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन, जानिए कैसे हैं हालात
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फ्रांस : पुलिस हिंसा के विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन, जानिए कैसे हैं हालात

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो (Emmanuel Macron) ने कहा, 'फ्रांस को कभी भी नफरत या नस्लवाद फैलाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.'

फोटो साभार : (रॉयटर्स)

पेरिस: फ्रांस (France) में पुलिस की हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए प्रशासन ने हल्का बल प्रयोग किया. भीड़ को तितिर-बितिर करने के लिए पुलिस ने यहां आंसू गैस के गोले दागे. वहीं प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वो अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत अपनी बात रख रहे थे लेकिन पुलिस ने उनकी बात सुनने से भी इंकार कर दिया. 

प्रेस की आजादी की मांग
राजधानी की सड़कों पर मार्च निकाल रहे लोगों ने प्रेस यानी मीडिया की आजादी की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की पिटाई से हुई अश्वेत संगीत निर्माता की हत्या पर नाराजगी जताई. पीड़ित परिवार के लिए इंसाफ दिलाने की मांग की. प्रदर्शनकारी देश के उस नए सुरक्षा कानून का विरोध कर रहे हैं जिसमें पुलिस की कार्रवाई में दौरान उन तस्वीरों को प्रसारित करने के लिए रोक लगाई गई है. 

कोरोनो वायरस महामारी के बीच प्रदर्शनकारियों ने राजधानी के मशहूर Place de la Republique चौक पर जबर्दस्त प्रदर्शन किया. हांलाकि इससे पहले राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो (Emmanuel Macron) ने कहा था कि अश्वेत म्यूजिक प्रोड्यूसर मिशेल जेक्लर की पिटाई की तस्वीरें हमें शर्मसार करती हैं. और ऐसी कोई भी घटना देश में स्वीकार्य नहीं है. इस बीच पेरिस पुलिस ने अपने चार अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. 

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फ्रांसीसी राष्ट्रपति का बयान
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो (Emmanuel Macron) ने कहा, 'फ्रांस को कभी भी नफरत या नस्लवाद फैलाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.' वहीं प्रदर्शनकारियों ने प्लेस डे ला बैस्टिल तक मार्च निकाल कर विरोध जताया. प्रॉसीक्यूटर ऑफिस से मिली अनुसार, वीडियो में पहचाने गए तीन पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है और आगे की जांच के लिए हिरासत में लिया गया है. मैक्रों ने शुक्रवार को ट्वीट में कहा कि सभी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ अधिक प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए प्रस्तावों की भी जरूरत है.

प्रधानमंत्री ने दी सफाई
लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए देश के प्रधानमंत्री जीन कैस्टेक्स (Jean Castex) ने कहा था कि वह अनुच्छेद 24 को फिर से तैयार करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति करेगा. वहीं प्रदर्शन के आयोजकों ने कहा कि दक्षिणी मॉन्टपेलियर में हुए प्रदर्शन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया.

प्रदर्शनकारी अनुच्छेद 24 को यह कहते हुए वापस लेने की मांग कर रहे हैं कि यह गणतंत्र की मौलिक सार्वजनिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. वहीं आशंका इस बात को लेकर भी जताई जा रही है कि अगर लोगों की नाराजगी जल्द ही दूर नहीं हुई तो इन प्रदर्शनकारियों को यलो वेस्ट आंदोलनकारियों का समर्थन भी मिल सकता है.

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