Sheikh Hasina को तो बहन के साथ देश छोड़कर भागना पड़ा, उनकी फैमिली कहां हैं?
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Sheikh Hasina को तो बहन के साथ देश छोड़कर भागना पड़ा, उनकी फैमिली कहां हैं?

Bangladesh Coup: बांग्‍लादेश के जनक माने जाने वाले शेख मुजीबर रहमान और उनके परिवार के 18 लोगों का 1975 में कत्‍ल कर दिया गया. उनकी दो बेटियां तख्‍तापलट की उस रात बचीं थीं क्‍योंकि शेख हसीना और शेख रेहाना उस वक्‍त जर्मनी में थीं. 

Sheikh Hasina को तो बहन के साथ देश छोड़कर भागना पड़ा, उनकी फैमिली कहां हैं?

Bangladesh Protest: बांग्‍लादेश में आरक्षण को लेकर आए उबाल में 36 दिनों के भीतर 360 लोग मारे गए. हालात जब नियंत्रण से बाहर हो गए तो सेना ने गोली चलाने से इनकार करते हुए अवामी लीग की नेता और प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद को महज 45 मिनट में देश छोड़ने के लिए कहा. वो बांग्‍लादेश की अवाम के लिए एक भाषण रिकॉर्ड करके जाना चाहती थीं लेकिन हर वक्‍त बढ़ते जान के खतरे के बीच उनकी ख्‍वाहिश को सेना ने पूरा नहीं किया. वायुसेना के हेलीकॉप्‍टर से उनको बांग्‍लादेश से निकाल दिया गया. भारत में गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस के सेफ हाउस में एयरफोर्स की निगहबानी में वो इस वक्‍त मौजूद हैं. 

ये सब इतना तेजी से हुआ कि खुद शेख हसीना भी अब इस बात को यकीन नहीं कर पा रही होंगी कि वो अब बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री नहीं रहीं. उनको निर्वासन में भारत आना पड़ा और रहने के लिए अब किसी सुरक्षित मुल्‍क की तलाश है. कहा जा रहा है कि जब वो बांग्‍लादेश से निकलीं तो उनके साथ बहन रेहाना थीं. उनके बांग्‍लादेश छोड़ने के साथ ही अब उनके परिवार का कोई भी शख्‍स बांग्‍लादेश में नहीं रह गया है. 

शेख हसीना
शेख हसीना के शौहर एमऐ वाजेद मियां का 2009 में इंतकाल हो गया था. वो बांग्‍लादेश के प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी थे और बांग्‍लादेश अटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन रहे. उनके दो बच्‍चे हैं. उनकी बेटी साइमा वाजेद (पुतुल) दिल्‍ली में रहती हैं. वो पिछले साल वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रीजनल डायरेक्‍टर बनी थीं. तब से ही दिल्‍ली में तैनात हैं. उनका बेटा साजिब वाजेद (जॉय) पहले से ही विदेश में रहते हैं. हालांकि इसके बावजूद वो अभी तक बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री के एडवाइजर थे. वो बिजनेसमैन और अवामी लीग के सक्रिय सदस्‍य हैं.

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शेख रेहाना
शेख हसीना की छोटी बहन हैं. जब भी अवामी लीग या शेख हसीना पर कोई संकट आया है तब हमेशा रेहाना ने बहन का साथ दिया है. इस संकट में भी वो हसीना के साथ हैं. उनके पास ब्रिटेन की नागरिकता है. उनके पति का नाम प्रोफेसर शफीक अहमद सिद्दीक है. उनके दो बेटियां और एक बेटा है. उनकी बड़ी बेटी ट्यूलिप सिद्दीक ब्रिटेन की सत्‍ताधारी लेबर पार्टी से जुड़ी हैं और इस वक्‍त सांसद हैं. बेटा रदवान मुजीब सिद्दीक अंतरराष्‍ट्रीय संगठन में काम करता है. उनकी छोटी बेटी अजमीना सिद्दीक लंदन में ग्‍लोबल रिस्‍क एनालिसिस एडिटर हैं. 

अपने इन्‍हीं कनेक्‍शंस के दम पर कहा जा रहा है कि भारत में कुछ वक्‍त गुजारने के बाद शेख हसीना, ब्रिटेन में शरण लेने का प्रयास करेंगी. 

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भारत से नाता
शेख हसीना और शेख रेहाना इस तरह के संकट में पहली बार भारत नहीं आई हैं. हकीकत ये है कि इतिहास दोहराया गया है. 1960 के दशक में जब बांग्‍लादेश, पूर्वी पाकिस्‍तान हुआ करता था तो उसके खिलाफ स्‍वतंत्रता आंदोलन चला. उसके नेता अवामी लीग पार्टी के नेता शेख मुजीबुर रहमान थे. नतीजतन दिसंबर, 1971 में बांग्‍लादेश का जन्‍म हुआ. उसके बाद 1975 में वहां सेना ने पहला तख्‍तापलट किया और शेख मुजीबुर रहमान, उनकी पत्‍नी, बेटे-बहुएं समेत 18 लोगों की हत्‍या कर दी गईं. 

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उसके कुछ दिन पहले शेख मुजीब की दोनों बेटियां शेख हसीना और शेख रेहाना जर्मनी चली गई थीं. उस वक्‍त शेख हसीना के पति वहीं थे. इस कारण वो बच गईं. उसके बाद भारत ने मदद की और जर्मनी से शेख हसीना, पति, बच्‍चों और रेहाना को इंडिया लाया गया. 1975 से लेकर 1981 तक वो दिल्‍ली के पंडारा रोड पर छद्म नाम से रहे. उसके बाद 1981 में शेख हसीना ने अवामी लीग की कमान संभाली और बांग्‍लादेश लौटीं. अब 43 साल बाद नियति उनको फिर से उसी राह पर भारत लेकर आई है.

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