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Sri Lankan president appoints new cabinet: श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने सोमवार को एक नया मंत्रिमंडल नियुक्त कर दिया है. खास बात यह है कि नई कैबिनेट में राजपक्षे परिवार के किसी भी सदस्य को जगह नहीं दी गई है. ज्यादातर पुराने और वरिष्ठ सांसदों को हटा दिया गया जो पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री में थे. इस कैबिनेट में राष्ट्रपति के भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, राजपक्षे परिवार की ओर से एक मात्र सदस्य हैं.
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल, छोटे भाई तुलसी और बड़े भाई चमल और उनके बेटे शशिंद्रा सहित राजपक्षे परिवार के किसी भी अन्य सदस्य को नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. इन सभी ने पिछली कैबिनेट में अहम मंत्रालय संभाले थे.
ईंधन, बिजली, भोजन और दवा जैसी कुछ बुनियादी जरूरतों के बिना बड़े वित्तीय संकट के बीच, श्रीलंका में 31 मार्च से आंदोलन जारी है. दो अप्रैल को एक बड़ा विरोध शुरू हुआ, जिसमें प्रतिष्ठित शहर के चौराहे पर राष्ट्रपति कार्यालय के एंट्री गेट को बाधित कर दिया गया जिसका रुख हिंद महासागर की ओर है. इस महीने की शुरुआत में देशभर में हजारों लोग इमरजेंसी और कर्फ्यू तोड़ते हुए सरकार की निंदा करने के लिये सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था.
इसके बाद राष्ट्रपति राजपक्षे को अपना ऑफिस ट्रांसफर करने के लिए मजबूर होना पड़ा. गैर-राजनीतिक विरोध प्रदर्शन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सभी राजपक्षों को पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं. विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के साथ, श्रीलंका बिजली उत्पादन के लिए ईंधन सहित लगभग सभी आयातों के लिए भुगतान करने में असमर्थ रहा है, जिसके कारण घंटों की दैनिक बिजली कटौती और परिवहन प्रणाली में बड़ी खराबी आई है.
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इमरजेंसी सप्लाई और बाकी विदेशी भंडार को बचाने के लिए मंगलवार को, कोलंबो ने घोषणा की थी कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से एक बेलआउट पैकेज की मांग करेगा जो लंबित बाहरी ऋण भुगतान को रोक देगा. रविवार को, वित्त मंत्री सहित एक टीम आवश्यक वस्तुओं के आयात और लेनदारों को भुगतान करने के लिए कम से कम 4 बिलियन डॉलर सुरक्षित करने के लिए आईएमएफ के लिए रवाना हुई.
श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद, अब तक के सबसे बदतर आर्थिक हालात से गुजर रहा है. आर्थिक संकट के चलते देश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है. इसके चलते लोग पिछले दिनों घंटों बिजली गुल रहने व ईंधन, खाद्य सामग्री और रोजमर्रा की जरूरत के सामान की कमी के कारण सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं.
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जनवरी से भारत ने श्रीलंका को भोजन, ईंधन और दवाओं में लगभग 2.5 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दी है. रिपोर्ट के अनुसार, हिंद महासागर द्वीप राष्ट्र ने अपने निकटतम पड़ोसी से 2 बिलियन डॉलर और देने का अनुरोध किया है, जिस पर नई दिल्ली ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है.