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वॉशिंगटन: किसी जमाने में अपराध की दुनिया का जाना-पहचाना चेहरा रहे फ्रैंक लूकस (Frank Lucas) के कारनामों ने अमेरिकी पुलिस (US Police) को भी हैरान कर दिया था. फ्रैंक ड्रग्स के धंधे का बादशाह था और वो तस्करी के लिए ऐसे-ऐसे तरीके इस्तेमाल करता था कि कोई सोच भी नहीं सकता. 1960-70 के दशक के अंत में जब वियतनाम और अमेरिका के बीच युद्ध जारी था. तब अमेरिका में ब्लू मैजिक और हार्लेम नाम की ड्रग्स लोगों की जिंदगियां छीन रही थी. इसी दौरान, पुलिस को फ्रैंक लूकस के बारे में कुछ ऐसा पता चला जिसे सुनकर उसके होश उड़ गए.
ड्रग्स के बढ़ते मामलों के बीच जब अमेरिकी पुलिस ने छानबीन की तो पता चला ये ड्रग्स युद्ध में शहीद सैनिकों के शवों के जरिए यूएस लाई गई थी. जांच आगे बढ़ी तो ड्रग डीलर फ्रैंक लूकस (America Drug Dealer Frank Lucas) का नाम सामने आया. अमेरिका के नार्थ कैरोलिना में पैदा हुए फ्रैंक का बचपन गरीबी में गुजरा था. थोड़ा बड़ा होने पर उसने एक दुकान में नौकरी की और छोटी-मोटी चोरियों को अंजाम देता रहा. 1946 में पकड़े जाने के डर से वह न्यूयॉर्क भाग गया और वहां ड्राइविंग सीखी.
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फ्रैंक लूकस को बतौर ड्राइवर पहली नौकरी जॉनसन नाम के एक गैंगस्टर के यहां मिली. उसी ने फ्रैंक को अपराध की दुनिया के दांव-पेंच सिखाए. 1968 में जब एक गैंगवार में जॉनसन की मौत हो गई, तब फ्रैंक ने जॉनसन की जगह खुद को स्थापित किया. शुरू में उसने गलियों में ड्रग्स का धंधा शुरू किया लेकिन बिचौलिए उसके लिए परेशानी बन गए. थोड़े ही दिनों में फ्रैंक लूकस ने उन बिचौलियों को मारना शुरू कर दिया और काफी हद तक सफल भी हुआ. इसी बीच पुलिस ने भी गैंगवार और ड्रग्स के कारोबार पर एक्शन लेना शुरू किया. 1970 के अंत में एक समय ऐसा आया जब अमेरिका के शहरों में ड्रग्स की सप्लाई टूट गई और फ्रैंक को अपना भविष्य अंधकार में नजर आने लगा.
इसके बाद फ्रैंक ने सबसे ज्यादा बिकने वाली ड्रग्स ब्लू मैजिक को थाईलैंड से लाने की सोची. इसके लिए उसने कुछ भ्रष्ट अफसरों को अपने साथ लिया और वियतनाम-अमेरिका युद्ध में शहीद सैनिकों के शवों के जरिए ड्रग्स की सप्लाई शुरू की. हालांकि, जब अमेरिका में इस ड्रग्स के ओवरडोज से मौतें शुरू हुई तो पुलिस ने जांच की और फ्रैंक लूकस का नाम सामने आया. इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. 1975 में उस पर हत्या और ड्रग्स को लेकर मुकदमा चला, जिसमें उसे 70 साल की सजा हुई. ड्रग डीलरों की जानकारी देने के ऐवज में वह जेल से जल्दी छूट गया और 2019 में उसकी मौत हो गई.