Refugee Crisis: सूडान और यूक्रेन ने दुनिया को मुसीबत में डाला, सामने आया ये सबसे बड़ा संकट
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Refugee Crisis: सूडान और यूक्रेन ने दुनिया को मुसीबत में डाला, सामने आया ये सबसे बड़ा संकट

Ukraine Crisis: दुनियाभर में विपरीत हालातों, अलग अलग हिस्सों में जारी तनाव और युद्ध के बीच एक बार फिर से बड़े पैमाने पर शरणार्थी संकट (World Refugee Crisis) गहरा गया है. जिसके बारे में अब संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने आंकड़ों के जरिए बड़ी भयावाह तस्वीर जारी की है.

Refugee Crisis: सूडान और यूक्रेन ने दुनिया को मुसीबत में डाला, सामने आया ये सबसे बड़ा संकट

World Refugee Crisis: सूडान (Sudan) में लंबे समय से जारी संकट और रूस के हमले की वजह से उपजे यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) वजह से दुनियाभर में शरणार्थी संकट एक बार फिर से गहरा गया है. संयुक्त राष्ट्र (UN) में शरणार्थियों के मामलों से जुड़े कमिश्नर के मुताबिक इन संघर्षों, उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण करीब 11 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. साल 2022 के लिए ‘यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी’ (UNHCR) की ‘ग्लोबल ट्रेंड्स रिपोर्ट’ को बुधवार को जारी करने से पहले जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी ने कहा, ‘यह हमारे विश्व की स्थिति पर एक कलंक है.’

पिछले साल करीब 2 करोड़ लोगों का विस्थापन

एबीसी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल करीब 1.9 करोड़ लोग विस्थापित हुए, जिनमें से 1.1 करोड़ से अधिक लोगों ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण अपना घर छोड़ा है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग जंग के कारण विस्थापित हुए हैं. ग्रैंडी ने कहा कि हम लगातार आपात स्थिति का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल 35 आपात स्थितियां सामने आईं, जो पिछले कुछ वर्षों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक हैं. ग्रैंडी ने कहा, ‘इनमें से कुछ ही मीडिया में सुर्खियां बंटोर पाईं.’

सूडान संकट की दुनिया ने की उपेक्षा

ग्रैंडी ने तर्क दिया कि सूडान से पश्चिमी नागरिकों को निकाले जाने के बाद वहां हो रहे संघर्ष की खबर अधिकतर अखबारों से गायब रही. सूडान में संघर्ष के कारण अप्रैल के बाद से करीब 20 लाख विस्थापित हुए हैं. वहीं, कांगो गणराज्य, इथोपिया और म्यांमा में संघर्ष के कारण करीब 10-10 लाख लोगों को घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है. ग्रैंडी ने हालांकि इस तथ्य को सकारात्मक बताया कि 2022 में पुनर्वासित शरणार्थियों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी होकर 114000 पर पहुंच गई. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि यह संख्या अब भी समुद्र में एक बूंद के बराबर है.’

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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