भारत के लिए झटका, कालेधन के खिलाफ लड़ाई में अड़ंगा बनी स्विट्जरलैंड की पार्टी
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भारत के लिए झटका, कालेधन के खिलाफ लड़ाई में अड़ंगा बनी स्विट्जरलैंड की पार्टी

स्विट्जरलैंड की दक्षिणपंथी और सबसे बड़ी पार्टी स्विस पीपुल्स पार्टी (एसवीपी) ने भारत समेत 11 देशों को टैक्स फ्राड से जुड़े डाटा देने का विरोध किया है। स्विट्जरलैंड और भारत के बीच साल 2016 में एक करार हुआ था, जिसके तहत दोनों देश टैक्स चोरी रोकने के लिए एक दूसरे के बैंक खातों की जानकारी साझा करेंगे।

स्विस अर्थव्यवस्था में विदेशों से आए कालेधन की अहम भूमिका है। (फाइल फोटो)

पेरिस : देश में लंबे समय से कालेधन के खिलाफ चल रही मुहिम को तगड़ा झटका लग सकता है. खासकर स्विट्जरलैंड जैसे देश के मामले में. दरअसल स्विट्जरलैंड की एक बड़ी पार्टी ने भारत को कालेधन के बारे में सूचनाएं देने का विरोध किया है.  मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्विट्जरलैंड की दक्षिणपंथी और सबसे बड़ी पार्टी स्विस पीपुल्स पार्टी (एसवीपी) ने भारत समेत 11 देशों को टैक्स फ्राड से जुड़े डाटा देने का विरोध किया है। स्विट्जरलैंड और भारत के बीच साल 2016 में एक करार हुआ था, जिसके तहत दोनों देश टैक्स चोरी रोकने के लिए एक दूसरे के बैंक खातों की जानकारी साझा करेंगे। 

स्विट्जरलैंड उन देशों में शामिल है, जहां के बैंकों में भारतीय द्वारा सबसे ज्यादा कालाधन जमा करने के आरोप लगते रहे हैं। माना जाता है कि स्विस अर्थव्यवस्था में विदेशों से आए कालेधन की अहम भूमिका है।
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रिपोर्ट के अनुसार एसवीपी ने पिछले हफ्ते एक लिस्ट जारी की है जिसमें भारत, अर्जेंटिना, ब्राजील, चीन, रूस, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, कोलंबिया, मेक्सिको, दक्षिण अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात को “अधिनायकवादी देश” बताया गया है। एसवीपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एल्बर्ट रोस्टी ने कहा कि हम नहीं चाहते कि ऐसे देशों को बैंकों का डाटा दिया जाए। एसवीपी ने दावा किया कि इन देशों को ये डाटा देने पर वहां के टैक्स अधिकारी ग्राहकों का धमकाने और ब्लैकमेल करने के लिए करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार स्विस अखबार टैजेस-एंजीयर ने भारत समेत इन सभी देशों को “अर्ध-तानाशाही वाले देश” बताया है। रिपोर्ट के अनुसार एसवीपी ने दावा किया है कि स्विस संसद में भी उसे कई अन्य दलों का इस मुद्दे पर समर्थन प्राप्त है। 

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